For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Omprakash Kshatriya
  • Male
  • नीमच
  • India
Share on Facebook MySpace

Omprakash Kshatriya's Friends

  • Rahila
  • सतविन्द्र कुमार राणा
  • Archana Tripathi
  • Maheshwari Kaneri
  • मिथिलेश वामनकर
 

Omprakash Kshatriya's Page

Latest Activity

Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"एक क्षण में बहुत कुछ उद्घाटित करती इस रचना के लिए हार्दिक बधाई"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"आपकी सूत्र शैली में लिखे गए इस रचना के लिए बधाई"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"फौजी के अंतर्द्वंद को बहुत ही सुंदर ढंग से हमारे सम्मुख रखती इस बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"दाल काली ना हो, इसी पहलू को दर्शाती बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"सैनिक जीवन के एक ओर पहलू को दर्शाती रचना के लिए हार्दिक बधाई"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"फौजी जीवन के इस अनोखों पहलू को दर्शाती अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई।"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-82 (विषय: 'सैन्य जीवन)
"लघुकथा- दूसरी शादी                            ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश' "मैं दूसरी शादी करके…"
Jan 31, 2022
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-78 (विषय: 'विजय)
"आदरणीय शेख शाहजाद उस्मानी जी आपको लघुकथा में व्यंग्यगात्मकता नजर आई। यह बहुत ही बढ़िया बात है। आपका हार्दिक आभार लघुकथा पसंद करने के लिए।"
Sep 29, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-78 (विषय: 'विजय)
"लघुकथा- विजय ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ "पापाजी! आपके पास इतनी रीवार्ड पड़े हैं, आप इनका उपयोग नहीं करते हो?" " बेटी! मुझे क्या खरीदना है जो इनका उपयोग करुँ," कहते हुए पापाजी ने बेटी की अलमारी में भरे कपड़े, सौंदर्य…"
Sep 29, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहजाद उस्मानी जी।"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी आपको मेरी लघुकथा पसंद आई इसके लिए आपका हार्दिक आभार"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"आदरणीय तेजवीर सिंह जी आपको लघुकथा अच्छी लगी। इस हेतु आपका हार्दिक आभार आदरणीय ।"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"आदरणीय तेजवीर सिंह जी आप अपने कुत्तों के बहाने बहुत बढ़िया लघुकथा कही है। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"आदरणीय"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"लघुकथा- आप की कसम "मुझे चार लाख में खरीदा था। बीस लाख की रजिस्ट्री करवाई थी।" " हां! मैं जानती हूं,"  उसके पास फड़ी हुई दूसरी जमीन ने कहा, " मुझे बेकार की जमीन घोषित करके और मेरे मालिक की मजबूरी का फायदा उठा कर मुझे भी…"
Jun 30, 2021
Omprakash Kshatriya replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" हीरक जयंती अंक-75 (विषय मुक्त)
"आपने बहुत ही बढ़िया विषय उठाया है। इस विषय पर इस शानदार लघुकथा के लिए आपको हार्दिक बधाई।।"
Jun 30, 2021

Profile Information

Gender
Male
City State
Neemuch Madhya Pradesh India
Native Place
Ratangarh
Profession
Govt Service
About me
मूलत: बालकहानीकार , लेखक और शिक्षक

लघुकथा— गलतफहमी

लघुकथा—                                             

गलतफहमी

                                                                   ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

भाभी ने फिर वही उलाहना दिया,'' आप से पराये अच्छे हैं. जिन्हों ने बुरे वक्त में हमारी सहायता की थी.''

'' हां भाभी. मैं भी यही चाहता था.''

'' हांहां, मुझे पता है. आप क्या चाहते थे. हम भीख मांगे. अपनी जमीन आप के नाम कर दें.''

'' वह तो आप ने अब भी उस ट्रस्ट के नाम पर की है.''

'' हां की है. उस ट्रस्ट ने हमारी सहायता तब की थी जब इस के पापा एक दुर्घटना में शांत हो गए थे. मगर, उस ट्रस्टी से मैं आज तक नहीं मिलीं.'' भाभी ने यह कह कर मुंह बनाया, '' आप से इन का वह पराया दोस्त अच्छा है जिस ने हमें ट्रस्ट से सहायता दिलवाई थी. उसी की बदौलत आज मेरा बेटा एक सफल व्यापारी है.''

'' मैं भी यही चाहता था भाभी. यह आत्मनिर्भर बनें. किसी की सहायता के बिना.''

'' रहने दीजिए. आप की निगाहें तो हमारी जमीन पर थी. उसे हड़पना चाहते थे,'' भाभी ने यही कहा था कि किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई.

उन्हों ने दरवाजा खोला तो चौंक गई,'' अरे भाई साहब ! आप. आइएआइए. इन से मिलिए. ये कहने मात्र के लिए मेरे देवर है.''

फिर भाभी अपने देवर की ओर घुम कर बोली,'' और देवरजी ! ये इन के वही दोस्त है जिन्हों ने हमारी बुरे दिनों में सहायता की थी.''

तभी आंगुतक ने हाथ जोड़ते हुए कहा'' अरे ! सरजी आप !'' फिर माला टंगी तस्वीर की ओर इशारा कर के कहा, '' ये आप के भाई थे ?''

'' जी हां.''

तभी भाभी बोली,'' आप इन्हें जानते हैं ?''

'' हां. ये वही ट्रस्टी है, जिन्हों ने गोपनीय रूप से ट्रस्ट बना कर आप की जमीन पर, आप का कारखाना खोलने में मदद की थी.''

यह सुनते ही भाभी संहल नहीं पाई. धड़ाम से सौफे पर बैठ गई.

---------------------------------

Omprakash Kshatriya's Photos

  • Add Photos
  • View All

Omprakash Kshatriya's Blog

लघुकथा - केस

कार से टकरा कर लहूलुहान हुए बासाहब से इंस्पेक्टर ने दोबारा पूछा , “ क्या सोचा है ? कार सुधराई के पैसा देना है या नहीं ?”

“साहब ! बहुत दर्द हो रहा है. अस्पताल ले चलिए.” वह घुटने संहाल कर बोला तो इंस्पेक्टर ने डपट दिया,“अबे साले ! मैं जो पूछ रहा हूँ, उस का जवाब दे ?” कहते हुए जमीन पर लट्ठ दे मारा.

“साहब ! मेरा जुर्म क्या है ? मैं तो रोड़ किनारे बैठा था. गाड़ी तो लड़की चला रही थी. उसी ने मुझे टक्कर मारी है. साहब मुझे छोड़ दीजिए. ” वह हाथ जोड़ते हुए धीरे से विनय करने लगा.

“जानता…

Continue

Posted on May 3, 2016 at 12:30pm — 14 Comments

लघुकथा- नफरत

लघुकथा- नफरत

अख़बार में प्लास्टिक की बोरी पर दीपक बेचते गरीब बच्चे की फोटो के साथ उस की दास्ताँ छपी थी. जिस ने अपने मेहनत से अमेरिका में एरोनाटिक्स इंजीनियरिंग में मुकाम हासिल किया था. उस फोटो को देख कर हार्लिक बोला , “ कितना गन्दा बच्चा है. इसे देख कर खाना खाने की इच्छा ही न हो.”

“ यदि मैं देख लू तो मुझे उलटी हो जाए,” लुनिक्स ने अपना तर्क दिया, “ मम्मा ! ये भारतीय बच्चे इतने गंदे क्यों होते हैं ? आप तो भारत में रही है ना. आप वहां कैसे रहती थी. ये तो नफरत के काबिल है.”

“…

Continue

Posted on November 7, 2015 at 3:30pm — 10 Comments

लघुकथा - अनाथ

लघुकथा- अनाथ

पत्नी की रोजरोज की चिकचिक से परेशान हो कर महेश पिताजी को अनाथालय में छोड़ दरवाजे से बाहर तो आ गया, मगर मन नहीं माना. कहीं पिताजी का मन यहाँ लगेगा कि नहीं. यह जानने के लिए वह वापस अनाथालय में गया तो देखा कि पिताजी प्रबंधक से घुलमिल कर बातें कर रहे थे. जैसे वे बरसों से एकदूसरे को जानते हैं.

पिताजी के कमरे में जाते ही महेश ने पूछा, “ आप इन्हें जानते हैं ?” तो प्रबंधक ने कहा, “ जी मैं उन्हें अच्छी तरह जानता हूँ. वे पिछले ३५ साल से अनाथालय को दान दे रहे हैं . दूसरा बात…

Continue

Posted on October 21, 2015 at 3:00pm — 19 Comments

लघुकथा - पूंछ

लघुकथा – पूंछ

सीढ़ियाँ गंदी हो रही थी कविता ने सोचा झाड़ू निकल दूँ. यह देखा कर पड़ोसन ने कचरा सीढ़ियों पर सरका दिया.

बस ! फिर क्या था. कविता का पारा सातवे आसमान  पर, “ मैं इस के बाप की नौकर हूँ. नहीं निकाल रही झाड़ू,” बड़बड़ाते हुए कविता ऊपर आई , “ साली अपने को समझती क्या है ? कभी सीढ़ियों पर पानी डाल देगी. कभी लहसन का कचरा. कभी कुछ. मैं इस की नौकर हूँ जो रोजरोज सीढ़ियाँ साफ करती रहू. साली अपने को न जाने क्या समझती है ?

“ क्यों जी. आप बोलते क्यों नहीं.” उस ने पति के हाथ से अख़बार…

Continue

Posted on September 22, 2015 at 8:30am — 4 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 7:25am on January 26, 2016, सतविन्द्र कुमार राणा said…
जन्मदिवस एवम् गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं जी।
At 1:50am on January 26, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 8:09pm on October 31, 2015, Omprakash Kshatriya said…

आदरणीय राहिला जी आप का कहना सही है. मगर पोलिसी कर के लोगों को मरवा देना, इस पर मेरा प्रश्न था. कही ऐसा भी होता है, इसी के लिए कहा था. खैर आप का शुक्रिया.

At 3:18pm on October 30, 2015, Rahila said…
हां आद. ओम प्रकाश जी ये घटना हो चुकी है । बहुत से लोग पॉलिसी के बारे में ज्यादा समझते नही ंबस ले लेते है ।
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service