साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....
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बहुत दिनों के बाद घर वापसी हुई है आदरणीय दिलबाग जी, उम्मीद है आप सक्रीय रहेंगे ताकि आपकी विद्वता का लाभ हम सभी उठा सके, आपकी खूबसूरत ग़ज़ल हेतु बहुत बहुत बधाई।
अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीय दिलबाग विर्क जी| हार्दिक बधाई|
जह्र अपना पिला गया है मुझे
चापलूसी सिखा गया है मुझे
कत्ल करना तो शौक है उसका
और कातिल बता गया है मुझे .
मै जिसे नासमझ, समझ बैठा
आईना वो दिखा गया है मुझे
फिर मै कैसे यकीन कर लेता
बारहा तो छला गया है मुझे
बन के कल सूरमा जो फिरता था
पीठ वो ही दिखा गया है मुझे
अपने दिल की मै सुन रहा हूँ अब
ढंग जीने का आ गया है मुझे
शौक ए ज़ुल्मत को तुम बदल डालो
सब्र करना तो आ गया है मुझे
मौलिक एवं अप्रकाशित
अच्छी ग़ज़ल है मोहतरम नादिर खान साहिब। दिली मुबारकबाद आपको
आ. नादिर खान साहब.
अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दाद के साथ मुबारकबाद पेश है
जनाब नादिर खान साहिब,
बेहतरीन अश्आर मुबारकबाद क़बूल करें,,
उम्दा ग़ज़ल है आ0 नादिर ख़ान जी !!!
आदरणीय नादिर खान जी आदाब,
ग़ज़ल की दूसरी पेशकश भी बहुत ही उम्दा । हर शे'र एक से बढ़कर एक । दिली मुबारकबाद कुबूल करें ।
आ0 नादिर खान जी बहुत अच्छी ग़ज़ल शेर दर शेर मुबारकवाद।
आदरणीय नादिर खान साहब बहुत ही सुंदर गजल लिखने के लिए दिल से बधाई
आ. नादिर खान साहब.
अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दाद के साथ मुबारकबाद पेश है
उम्दा प्रस्तुति आदरणीय नादिर खान जी
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