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मैं चाहता हूँ कि बिल्ली सी हों मेरी कविताएँ !
क्योकि -
युद्ध जीत कर लौटा राजा भूल जाता है -
कि अनाथ और विधवाएँ भी हैं उसके युद्ध का परिणाम !
लोहा गलाने वाली आग की जरुरत चूल्हों में है अब !
एक समय तलवार से महत्वपूर्ण हो जातीं है दरातियाँ !
क्योंकि -
नई माँ रसोई खुली छोड़ असमय सो जाती है अक्सर !
कहीं आदत न बन जाए दुधमुहें की भूख भूल जाना !
कच्ची नींद टूट सकती है बर्तनों की आवाज से भी ,
दाईत्वबोध पैदा कर सकता…
ContinuePosted on July 28, 2014 at 10:47am — 24 Comments
समय के पाँव भारी हैं इन दिनों !
संसद चाहती है -
कि अजन्मी उम्मीदों पर लगा दी जाय बंटवारे की कानूनी मुहर !
स्त्री-पुरुष अनुपात, मनुस्मृति और संविधान का विश्लेषण करते -
जीभ और जूते सा हो गया है समर्थन और विरोध के बीच का अंतर !
बढती जनसँख्या जहाँ वोट है , पेट नहीं !
पेट ,वोट ,लिंग, जाति का अंतिम हल आरक्षण ही निकलेगा अंततः !
हासिए पर पड़ा लोकतंत्र अपनी ऊब के लिए क्रांति खोजता है
अस्वीकार करता है -
कि मदारी की जादुई…
ContinuePosted on June 4, 2014 at 10:30am — 10 Comments
आखिर कैसा देश है ये ?
- कि राजधानी का कवि संसद की ओर पीठ किए बैठा है ,
सोती हुई अदालतों की आँख में कोंच देना चाहता है अपनी कलम !
गैरकानूनी घोषित होने से ठीक पहले असामाजिक हुआ कवि -
कविताओं को खंखार सा मुँह में छुपाए उतर जाता है राजमार्ग की सीढियाँ ,
कि सरकारी सड़कों पर थूकना मना है ,कच्चे रास्तों पर तख्तियां नहीं होतीं !
पर साहित्यिक थूक से कच्ची, अनपढ़ गलियों को कोई फर्क नहीं पड़ता !
एक कवि के लिए गैरकानूनी होने से अधिक पीड़ादायक है गैरजरुरी होना…
ContinuePosted on June 1, 2014 at 1:00pm — 23 Comments
अपनी कविताओं में एक नायक रचा मैंने !
समूह गीत की मुख्य पंक्ति सा उबाऊ था उसका बचपन ,
जो बार-बार गाई गई हो असमान,असंतुलित स्वरों में एक साथ !
तब मैंने बिना काँटों वाले फूल रोपे उसके ह्रदय में ,
और वो खुद सीख गया कि गंध को सींचते कैसे हैं !
उसकी आँखों को स्वप्न मिले , पैरों को स्वतंत्रता मिली !
लेकिन उसने यात्रा समझा अपने पलायन को !
उसे भ्रम था -
कि उसकी अलौकिक प्यास किसी आकाशीय स्त्रोत को प्राप्त हुई है !
हालाँकि उसे ज्ञात था…
Posted on April 28, 2014 at 11:00am — 27 Comments
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Comment Wall (13 comments)
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शुक्रिया अरुन जी
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
jaankaari ke liye dhnyvaad Arun ji
thanks Arun ji ,I am new to this site and have to learn a lot ,please guide me
आपका स्वागत है मित्रवर ..................
आदरणीय , श्री अरुण जी.
अजय, आपकी रचनायें बहुत खूबसूरत हैं. बधाई व शुभकामनायें.
mujhe ek mitr mila !
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