For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Arun Sri
  • 41, Male
  • U.P.
  • India
Share on Facebook MySpace

Arun Sri's Friends

  • Zubair Ali 'Tabish'
  • Sulabh Agnihotri
  • CHANDRA SHEKHAR PANDEY
  • Sumit Naithani
  • अशोक कत्याल   "अश्क"
  • बृजेश नीरज
  • Meena Pathak
  • नादिर ख़ान
  • Vipul Kumar
  • deepti sharma
  • Rekha Joshi
  • SANDEEP KUMAR PATEL
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • दिव्या
  • Sarita Sinha
 

Arun Sri's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Mughalsarai
Native Place
Kalani , Ramgarh(Kaimur)
Profession
Accountant
About me
रण में कुटिल काल सम क्रोधी .............. तप में महासूर्य जैसा !

Arun Sri's Photos

  • Add Photos
  • View All

Arun Sri's Blog

बिल्ली सी कविताएँ --- अरुण श्री !

मैं चाहता हूँ कि बिल्ली सी हों मेरी कविताएँ !

 

क्योकि -

युद्ध जीत कर लौटा राजा भूल जाता है -

कि अनाथ और विधवाएँ भी हैं उसके युद्ध का परिणाम !

लोहा गलाने वाली आग की जरुरत चूल्हों में है अब !

एक समय तलवार से महत्वपूर्ण हो जातीं है दरातियाँ !

 

क्योंकि -

नई माँ रसोई खुली छोड़ असमय सो जाती है अक्सर !

कहीं आदत न बन जाए दुधमुहें की भूख भूल जाना !

कच्ची नींद टूट सकती है बर्तनों की आवाज से भी ,

दाईत्वबोध पैदा कर सकता…

Continue

Posted on July 28, 2014 at 10:47am — 24 Comments

अजन्मी उम्मीदें --- अरुण श्री

समय के पाँव भारी हैं इन दिनों !

 

संसद चाहती है -

कि अजन्मी उम्मीदों पर लगा दी जाय बंटवारे की कानूनी मुहर !

स्त्री-पुरुष अनुपात, मनुस्मृति और संविधान का विश्लेषण करते -

जीभ और जूते सा हो गया है समर्थन और विरोध के बीच का अंतर !

बढती जनसँख्या जहाँ वोट है , पेट नहीं !

पेट ,वोट ,लिंग, जाति का अंतिम हल आरक्षण ही निकलेगा अंततः !

 

हासिए पर पड़ा लोकतंत्र अपनी ऊब के लिए क्रांति खोजता है

अस्वीकार करता है -

कि मदारी की जादुई…

Continue

Posted on June 4, 2014 at 10:30am — 10 Comments

आखिर कैसा देश है ये ? --- अरुण श्री

आखिर कैसा देश है ये ?

- कि राजधानी का कवि संसद की ओर पीठ किए बैठा है ,

सोती हुई अदालतों की आँख में कोंच देना चाहता है अपनी कलम !

गैरकानूनी घोषित होने से ठीक पहले असामाजिक हुआ कवि -

कविताओं को खंखार सा मुँह में छुपाए उतर जाता है राजमार्ग की सीढियाँ ,

कि सरकारी सड़कों पर थूकना मना है ,कच्चे रास्तों पर तख्तियां नहीं होतीं !

पर साहित्यिक थूक से कच्ची, अनपढ़ गलियों को कोई फर्क नहीं पड़ता !

एक कवि के लिए गैरकानूनी होने से अधिक पीड़ादायक है गैरजरुरी होना…

Continue

Posted on June 1, 2014 at 1:00pm — 23 Comments

नायक (अरुण श्री)

अपनी कविताओं में एक नायक रचा मैंने !

समूह गीत की मुख्य पंक्ति सा उबाऊ था उसका बचपन ,

जो बार-बार गाई गई हो असमान,असंतुलित स्वरों में एक साथ !

तब मैंने बिना काँटों वाले फूल रोपे उसके ह्रदय में ,

और वो खुद सीख गया कि गंध को सींचते कैसे हैं !

उसकी आँखों को स्वप्न मिले , पैरों को स्वतंत्रता मिली !

लेकिन उसने यात्रा समझा अपने पलायन को !

उसे भ्रम था -

कि उसकी अलौकिक प्यास किसी आकाशीय स्त्रोत को प्राप्त हुई है !

हालाँकि उसे ज्ञात था…

Continue

Posted on April 28, 2014 at 11:00am — 27 Comments

Comment Wall (13 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 1:57pm on February 27, 2013, Meena Pathak said…

शुक्रिया अरुन जी 

At 11:54pm on February 22, 2013, बृजेश नीरज said…

आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!

At 1:18am on July 5, 2012, deepti sharma said…
shukriya Arun ji
At 11:18am on May 16, 2012, Rekha Joshi said…

jaankaari ke liye dhnyvaad Arun ji 

At 10:44am on May 16, 2012, Rekha Joshi said…

thanks Arun ji ,I am new to this site and have to learn a lot ,please guide me 

At 8:17pm on May 14, 2012, SANDEEP KUMAR PATEL said…

आपका स्वागत है मित्रवर ..................

At 12:58pm on April 1, 2012, PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA said…

आदरणीय , श्री अरुण जी.

सादर अभिवादन.
धन्यवाद.  स्नेह बनाये रखियेगा.
At 5:52am on January 9, 2012, Shanno Aggarwal said…

अजय, आपकी रचनायें बहुत खूबसूरत हैं. बधाई व शुभकामनायें. 

At 1:02pm on January 8, 2012, दीपक कुमार said…

mujhe ek mitr mila !

At 7:20am on January 6, 2012, आशीष यादव said…
Congrats. Ur creation is month's best creation.
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
8 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service