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Azeez Belgaumi
  • Bangalore Karnataka
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GAZAL BY AZEEZ BELGAUMI

अहबाब ऐतबार के काबिल नहीं रहे

ये कैसे सर हैं ..! दार के काबिल नहीं रहे



जज़्बात इफ्तेखार के काबिल नहीं रहे

अब नवजवान प्यार के काबिल नहीं रहे



हम बेरुखी का बोझ उठाने से रह गए

कंधे अब ऐसे बार के काबिल नहीं रहे



ज़ागो ज़गन तो खैर, तनफ्फुर के थे शिकार

बुलबुल भी लालाज़ार के काबिल नहीं रहे



पस्पाइयौं के दौर में यलगार क्या करें

कमज़ोर लोग वार के काबिल नहीं रहे



कांटे पिरो के लाये हैं अहबाब किस लिए

क्या हम गुलों के हार…

Continue

Posted on May 25, 2011 at 12:15am — 7 Comments

GAZAL by AZEEZ BELGAUMI

ग़ज़ल 



अज़ीज़ बेलगामी



हर शब ये फ़िक्र चाँद के हाले कहाँ गए

हर सुबह ये खयाल उजाले कहाँ गए



अब है शराब पर या दवाओं पे इन्हेसार

जो नींद बख्श दें वो निवाले कहाँ गए



वो इल्तेजायें मेरी तहज्जुद की क्या हुईं

थी अर्श तक रसाई, वो नाले कहाँ गए



मंजिल पे आप धूम मचाने लगे जनाब

मुझ को ये फ़िक्र, पांव के छाले कहाँ गए



दस्ते कलम में आज भी अखलाक सोज़ियाँ

किरदारसाज थे जो रिसाले, कहाँ गए



गुलशन के बीच खिलने लगे…
Continue

Posted on May 13, 2011 at 10:11am — 16 Comments

Ek aur Gazal aap ke liye

ग़ज़ल 

अज़ीज़ बेलगामी 

मेरा असासा सुलगता हुवा मकाँ है अभी 

अगरचे आग बुझी है  धुवाँ धुवाँ  है  अभी

यकीं की शम्मा जलाता रहा हूँ सदियौं…

Continue

Posted on December 29, 2010 at 10:53am — 3 Comments

ग़ज़ल : अज़ीज़ बेलगामी

ग़ज़ल



अज़ीज़ बेलगामी



ग़म उठाना अब ज़रूरी हो गया

चैन पाना अब ज़रूरी हो गया



आफियत की ज़िन्दगी जीते रहे

चोट खाना अब ज़रूरी हो गया



गूँज उट्ठे जिस से सारी काएनात

वो तराना अब ज़रूरी हो गया



जारहिय्यत  के दबे एहसास का

सर उठाना अब ज़रूरी हो गया



अब करम पर कोई आमादा नहीं

दिल दुखाना अब ज़रूरी हो गया



साज़िशौं, रुस्वायियौं को दफ'अतन…

Continue

Posted on December 26, 2010 at 2:00pm — 7 Comments

Comment Wall (10 comments)

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At 12:56am on May 1, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आदरणीय अजीज बेलगामी जी, आपको ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें 

At 9:07am on May 1, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

आ0 अजीज बेलगामी जी,
सुन्दर संवारें सौ वर्ष,
हर दिन सजाए नवहर्ष।
मंगल कामना सा कर्म,
जीतें जहां का सब धर्म।।
........जन्मदिन के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं स्वीकारें। सादर,

At 10:27am on May 13, 2011, Deepak Sharma Kuluvi said…
अज़ीज़ जी

आपकी  ग़ज़लों का दर्द 
मुझको तो अपना सा लगे
मीठा मीठा तो  नहीं 
फिर भी प्यारा सा लगे

दीपक "कुल्लुवी"
09136211486
At 10:37am on May 1, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 4:13pm on December 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…

आदरणीय , आप ने एक नया नाम दिया मुझे "नागेश" धन्यवाद |

At 3:16pm on December 17, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 10:06am on December 13, 2010, Admin said…

At 3:01pm on December 3, 2010, Mayank awasthi said…
Sir! Main Apaka Khadim hoon . Aap jo Kahein Hukm Hai mere Liye Aur Meri Khushkismatee hai .aap hamare saath hain ye Sabase Badee Baat hai .
Wo aaye hgar mein Hamare Khuda ki Kudarat Hai
Kabhi Ham unako Kabhi apanr Ghar ko dekhate Hain
At 1:35pm on December 2, 2010, Ratnesh Raman Pathak said…

At 7:37am on December 2, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

 
 
 

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"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
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"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
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"सुविचारित सुंदर आलेख "
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"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
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