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{सभी आदरणीय सजृनकर्ताओं को प्रणाम, एक माह तक भारतीय रेल सिगनल इंजीनियरी और दूरसंचार संस्थान , सिकन्दराबाद - आंध्र प्रदेश में नवीन तकनीकी ज्ञान अर्जन करने के कारण ओ बी ओ परिवार से दुर रहना पड़ा, इसके लिए क्षमा चाहता हूँ । पुनः प्रथम रचना के रूप में यह आलेख प्रस्तुत है}
हमारे जीवनयापन की आवश्यकताओं के बाद सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता होती है हमारी अभिव्यक्ति अर्थात हमारी बोलने की जरूरत, जिसके बिना इंसान का जीवन कष्टमय हो जाता है । यदि किसी को कठोर सजा देनी होती है तो उसे…
ContinuePosted on September 30, 2013 at 8:30pm — 8 Comments
आगे बढ़ती भारत माँ के, पैरों में चुभ रहे काँटे !
आओ हम मिल कर उसके, एक एक दर्द को बाँटे !
समता, करूणा, वैभवशाली, भारत माँ की शान निराली !
धर्म ,प्रांत , जाति में बँटकर, हमने इसकी आभा बिगाड़ी !
जिस किसी ने भारत माँ पर, बुरी निगाह गड़ाई है ।
हमारे सपूतों ने हिम्मत से, उन्हें गर्त दिखाई है।
हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई, इन नामों को बदलो भाई।
हम सब तो बस बन्दे है, इस झंझट में क्यूं पड़ते हैं।
कोई ना रहेगा पराया तब, सब अपने बन जायेंगे…
Posted on August 14, 2013 at 12:00pm — 11 Comments
इस आधुनिक और भागमभाग जिंदगी में यदि किसी चीज़ का अकाल पड़ा है तो वो समय है कोई किसी से बिना मतलब मिलना नहीं चाहता यदि आप किसी से मिलना चाहो तो उसके पास टाइम नही है। और मजबूरी वश या अनजाने में यदि मिलना भी पड़ जायें तो मात्र दिखावटी प्यार व चन्द रटी रटाई बातें करने के बाद मौका मिलते ही “आओ ना कभी ” कह कर बात खत्म करने की कोशिश की जाती है और सामने वाला भी तुरन्त आपकी मंशा समझ कर टाइम ही नही मिलता का नपा तुला जवाब देकर इतिश्री कर लेता है। लगता है जैसे एक…
ContinuePosted on August 3, 2013 at 9:23am — 13 Comments
आज मन उदास है ,
तुम कुछ बोल दो !
अर्न्तमन की आँखों से मुस्कुरा,
प्रेम शब्द उकेर दो !
खिलते गुलाब की पंखुड़ी से,
गुलाबी अधर खोल दो !
आज मन उदास है , तुम कुछ बोल दो !
.
तुम्हारे स्वप्निल ख्यालों में ,
मन कहीं खो जाये !
तन स्पर्श ना सही ,
मन स्पर्श हो पायें !
स्वर कोकिला रूप में ,
श्वासों की सुगन्ध धोल दो !
आज मन उदास है तुम कुछ बोल दो !
प्रेम का मधुपान करूं ,
अपना सा अहसास करूं !
मोहपाश में बाँध कर ,…
Posted on July 12, 2013 at 7:30am — 10 Comments
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Comment Wall (24 comments)
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माथुरजी ,नमस्कार
आभार व्यक्त करता हूँ और स्वेम को कृतार्थ भी समझता हूँ , अनेक शुभकामनाएँ और शुभदिन की शुभेच्छा भी .
आदरणीय माथुर साहब, आपका हार्दिक आभार! भाई जी मेरे योग्य जो भी सेवा हो उसके लिए मैं पहले भी तैयार था आज भी हूँ.
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी said…
आदरणीय माथुर भाई जी , आपका बहुत बहुत आभार !!
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी said…
आपका स्वागत है मित्र !! सादर !!
आदरणीय माथुर साहब, आपका हार्दिक आभार! अपना स्नेह यूं ही बनाए रखिए।
स्वतंत्रता दिवस के शुभ कामनाओ के साथ ही मित्रता का प्रसताव स्वीकारते हुए मुझे बड़ी प्रसन्नता हो रही है | आपका हार्दिक स्वागत ही मित्र श्री माथुर साहब
नमस्कार आदरणीय आपका स्वागत है ..
आदरणीय माथुर जी आप अपने को लेखक न मानें पर मैं तो मानता हूं। आपकी लेखनी कहती है यह। आपका लिखा आकर्षित करता है। आप सतत लिखें यही आपसे अपेक्षा है।
सुस्वागतम्...
आदरणीय माथुर जी ... आपका सहृदय आभार .. और मंगलकामनाएं
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