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Manan Kumar singh
  • बिहार
  • India
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Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश में। 'नहीं।कभी नहीं।' बाती तपाक से बोली। 'कब तलक जलेगी? तेल तो खत्म हो चला।' अँधेरे ने चुटकी ली। 'प्राची के आने तक। स्नेहसनी…"
Oct 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-113
"मौके नीकू भाई और भीखू दा फिर से दोस्त हुए।उनकी राजनीति की धाराएं अब  सामनधर्मा हो गईं।बेचारे कक्काजी की शामत आ गई।उनके यहां एक पुलिसिया छापा पड़ा।खबर आई कि उनके यहां से गैर लाइसेंसी हथियार ,कारतूस  वगैरह बरामद हुए हैं।कक्काजी को जेल हुई।…"
Aug 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Manan Kumar singh's blog post बेदर्द लोग
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। इन कुटिल राजनीतिक सामाजिक भेड़ियों पर करारी चोट की है इस छोटी सी रचना द्वारा। कोटि कोटि नमन।"
Aug 8
Manan Kumar singh posted a blog post

बेदर्द लोग

बाप बोला,'गलती हो जाती है।बच्चे हैं।'फिर बेटा सयाना हुआ,बोला,'DNA तो कराते।फिर न्याय होता।'उधर बारह की बिटिया तब से कराह रही है।"मौलिक तथा अप्रकाशित"@See More
Aug 8
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"आदरणीया,सच परे रह गया।शीर्षक के हिसाब से उभय पक्षों का समावेश चाहिए था।विराम चिन्हों पर गौर करें। फिलवक्त,बधाइयां लें।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"आभार आदरणीया।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"आभार आदरणीय।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"लघुकथा हेतु बधाई आदरणीय मिथिलेश जी।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"बाल मानस की उलझन को सुलझाने का प्रयास बेहतर ढंग से निरूपित हुआ है।झूठ  के अलावे सच का  भी निदर्शन आता, तो पूर्णता आ जाती,शायद।फिलवक्त, बधाइयां स्वीकार करें,आदरणीय उस्मानी जी।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
Jul 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-112
"झूठ - सच भूख के भय से मुक्त हुए लोगों के सम्मान में समारोह चल रहा था। सभी सजे - धजे थे।चकाचौंध बिखेड़ती रोशनी,रंग - बिरंगी सजावट मन मोहते थे।अचानक ऐलान हुआ कि मंत्री जी पधार रहे हैं। उनके सम्मान में मारे गूंजने लगे , " भूखों का मसीहा जिंदाबाद!…"
Jul 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
Jun 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
Jun 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
Jun 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"समाधि के फूल वे लड़के बापू की समाधि से एक फूल उठा लाए।घर खुशबू से नहा गया।उनकी खुशियों का ठिकाना न था। गांव - मुहल्ले भी गुलजार थे। मुफ्त की सुगंध उनपर तारी थी।एक दिन  भाइयों की आपसी खींचातानी में फूल की पंखड़ियां छितरा गईं। कुछ आंगन में रहीं,…"
Jun 30
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-103 (विषय: उपहार)
"तब वह अबोध था.....। आपका हार्दिक आभार आ. उस्मानी जी। नमस्ते। "
Oct 31, 2023

Profile Information

Gender
Male
City State
Mumbai
Native Place
E 52 Krishna Apt , Patna
Profession
Service
About me
A poet/ Writer

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बेदर्द लोग


बाप बोला,'गलती हो जाती है।बच्चे हैं।'
फिर बेटा सयाना हुआ,बोला,'DNA तो कराते।फिर न्याय होता।'
उधर बारह की बिटिया तब से कराह रही है।

"मौलिक तथा अप्रकाशित"
@

Posted on August 4, 2024 at 5:50pm — 1 Comment

चुटकुला(लघुकथा)

दोनों के ठहाकों की गूँज सुन एकत्र हुई भीड़ से आवाज आई, "मौन माहौल में ऐसी हँसी क्यूं, भाई?"
"खुद पर हँस रहा हूं।" पहले व्यक्ति ने जवाब दिया।
"कारण?" भीड़ ने जानना चाहा।
"अपने मत से मैंने ऐसी सरकार चुनी। मति मारी गई थी मेरी।"
"और तुम....?" दूसरे से सवाल हुआ।
"मैंने मत नहीं दिया था। खुश हूं।"
फिर भीड़ शराबियों की तलाश में आई पुलिस के पीछे दौड़ी जो एक अधनंगे भिखारी को नशाखोरी के आरोप में पकड़कर ले जाने लगी थी।
"मौलिक एवं अप्रकाशित"

Posted on April 25, 2023 at 1:53pm — 2 Comments

कर्तव्य-बोध(लघुकथा)

कर्तव्य-बोध

मरे कौवे ली लाश तीन दिनों से उस पॉश कॉलोनी के बीचोबीच गुजरनेवाली सड़क पर पड़ी थी। गाड़ियाँ गुजरतीं,उसे रौंदतीं। लोग आते। चले जाते। दो लोग अपने अच्छी नस्ल के कुत्तों को सायंकालीन प्राकृतिक क्रिया से निबटारा कराने के लिए भ्रमण के बहाने वहाँ से गुजरे। कौवे की शेष बची लाश पर अकस्मात एक का पैर पड़ गया।नाक-भौं सिकोड़ते हुए वह गुर्राया,

कैसे लोग इधर रहते हैं! सड़ी लाश के परखच्चे उड़ रहे हैं। किसी को कोई चिंता ही नहीं।

नगर…

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Posted on November 10, 2022 at 9:28am — 4 Comments

किसका बच्चा(लघुकथा)

किसका बच्चा

सँवरी के नाक-नक्श तीखे हैं। मुँह का पानी थोड़ा फीका पड़ा है,तो क्या? उसे दूल्हे के लिए कभी तरसना नहीं पड़ता। चढ़ती जवानी में उसे दिल्ली के दिल वाले दूल्हे का संग मिला। खूब रंगरेलियाँ हुईं।फिर उसे लगा कि उसका दूल्हा किसी और पर फिदा है।स्मृति-पटल पर वे लमहे उभरते, जब उसके हर नाज-नखरे कुबूल होते थे। अब उसे अपने भाव में कमतरी का अहसास हुआ। बिदक गई। दिल्लीवाले को चिढ़ाने के लिए उसने एक ठेंठ भोजपुरिया दूल्हा ढूँढा। उसके संग हो गई।प्यार…

Continue

Posted on November 7, 2022 at 3:14pm — 2 Comments

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At 12:51pm on January 23, 2020, TEJ VEER SINGH said…

जन्म दिन की हार्दिक बधाई एवम शुभ कामनायें आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

At 11:03pm on September 17, 2016,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
आदरणीय
श्री मनन कुमार सिंह जी,
सादर अभिवादन,
यह बताते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में विगत माह आपकी सक्रियता को देखते हुए OBO प्रबंधन ने आपको "महीने का सक्रिय सदस्य" (Active Member of the Month) घोषित किया है, बधाई स्वीकार करें | प्रशस्ति पत्र उपलब्ध कराने हेतु कृपया अपना पता एडमिन ओ बी ओ को उनके इ मेल admin@openbooksonline.com पर उपलब्ध करा दें | ध्यान रहे मेल उसी आई डी से भेजे जिससे ओ बी ओ सदस्यता प्राप्त की गई है |
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सादर ।
आपका
गणेश जी "बागी"
संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक
ओपन बुक्स ऑनलाइन
At 8:47pm on May 24, 2015, kanta roy said…
स्वागत आपका दोस्त
At 5:20pm on April 12, 2015, Manan Kumar singh said…
आदरणीय गोपालजी, आपकी मित्रता मेरे लिए अमूल्य है।
At 8:29pm on April 7, 2015, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

आ0 मनन जी

आपकी मित्रता मेरा गौरव है . सादर .

 
 
 

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"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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