For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AjAy Kumar Bohat
  • Male
  • Delhi
  • India
Share on Facebook MySpace

AjAy Kumar Bohat's Friends

  • Ranveer Pratap Singh
  • Rekha Joshi
  • Shayar Raj Bajpai
  • Ajay Kumar Dubey
  • Sonam Saini
  • SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR
  • संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी'
  • विनोद अनुज
  • rajesh kumari
  • anamika ghatak
  • Monika Jain
  • shashiprakash saini
  • M GULAM WARIS
  • Pradeep Bahuguna Darpan
  • Nazeel

AjAy Kumar Bohat's Groups

 

AjAy Kumar Bohat's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Delhi
Native Place
Roorkee, Uttarkhand.
Profession
Govt, Job
About me
I want to be near the light of Literature

AjAy Kumar Bohat's Blog

" नपुंसक सोच "

वे विचार करते हैं

पर नहीं जनम लेता कोई नया विचार बाँझ मस्तिष्क से

इसी सोच विचार में बैठे रहने ने

अकड़ा दी है उनकी पीठ और गर्दन

कहीं से आती भी है आहट

किसी  नए विचार की

तो उस पर ध्यान देने कि अपेक्षा

वो करते हैं प्रयास

अकड़ी गर्दन घुमा कर देखने का कि

ये आवाज़ कहाँ से आती है

तब जाके जान पाता हूँ मैं कि

सुनने से ज़यादा , उनके लिए महत्वपूर्ण है

देखना आवाज़ कि शकलो-सूरत

और इस तरह नहीं ले पाते

वे ' गोद ' किसी भी नए विचार को…

Continue

Posted on November 25, 2013 at 10:18pm — 10 Comments

“ पितृ-सत्ता से संवाद “

नारी को दुर्गा, नारी को शक्ति, नारी को जननी , कह कर बुलाते हो

और जब वो नन्ही सी बेटी बन कर आये

इस खबर से क्यों तुम डर जाते हो…

जानते हो भलीभांति , जब खोली तुमने आँखें

तो पाया माँ का प्यार ,

बहन का दुलार

आगे किसी मोड़ पर जीवन-संगिनी भी मिली

सेवा समर्पण लिए

 

प्रश्न मेरा केवल इतना है तुमसे, लेकिन

क्या सीखा है तुमने ... केवल लेना ही लेना ???

तुमको तो बनाया है, सर्वथा-शक्तिशाली

उस सर्व-शक्तिमान ने

तभी तो…

Continue

Posted on August 19, 2013 at 2:00pm — 5 Comments

"श्री कृष्ण को समर्पित कुछ दोहे"

सुध-बुध सारी भूल गयी, भूली जान-अजान,

कान्हा ने जब छेड़ दी, मधुर-मुरली की तान.



मुख पर छाए लालिमा, खिले अधर मुस्कान,

कान्हां जी को कैसा लागे राधा-राधा नाम.



जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत,

जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत.



लाज बचाई आपने, सुन अबला मन की पीर,

अबला अब सबला भयी , छोटो है गयो चीर.



दरस तुमरे पाने को, जुग-जुग जाते बीत,

भाग बढे सुदामा के, जो भये तुम्हारे मीत.



हर युग अवतार लिए, खेले क्या-क्या दांव,…

Continue

Posted on August 10, 2012 at 8:30am — 8 Comments

"निशानी"

थाम कर तुम्हारी उँगलियाँ
जब ये चलेगा
मोहब्बत की एक नयी इबारत
लिखी जाएगी,
पहली मुलाक़ात की
'निशानी'
अपना कलम मैं तुमको दे आया हूँ
जो भी लिखोगे इस से
वो तकदीर मेरी
बन जाएगी.......

Posted on June 28, 2012 at 4:38pm — 1 Comment

Comment Wall (8 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:59am on August 13, 2012, Ranveer Pratap Singh said…

janmdiwas ki hardik shubhkaamnaayein...

At 3:17pm on April 7, 2012, anamika ghatak said…

dhanyawad 

At 8:56pm on January 8, 2012,
सदस्य कार्यकारिणी
अरुण कुमार निगम
said…

आपके निमंत्रण हेतु धन्यवाद.

At 8:20am on May 7, 2011, Abhinav Arun said…

आपकी रचना को माह की श्रेष्ट रचना चुने जाने पर हार्दिक बधाई स्वीकारें अजय जी | हार्दिक शुभकामनाएं भी आपके लेखन को नित नयी ऊंचाई मिले !!!!!!!

At 11:03pm on May 5, 2011, Admin said…

आदरणीय अजय कुमार बोहत जी ,

सादर अभिवादन !
मुझे यह बताते हुए हर्ष हो रहा है कि आप की कविता "हिंसा" को महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना (Best Creation of the Month) के रूप मे सम्मानित किया गया है तथा ओपन बुक्स ऑनलाइन के मुख्य पृष्ठ पर आपके छाया चित्र के साथ स्थान दिया गया है,
इस शानदार उपलब्धि पर बधाई स्वीकार करे,धन्यवाद,
आपका
एडमिन
ओपन बुक्स ऑनलाइन

At 4:41pm on December 31, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…
At 4:03pm on December 31, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 12:55pm on December 31, 2010, Admin said…
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
9 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service