बडा मंदिर न मस्जिद , न कोई गिरजा शिवाला है
न कोई अर्चना , पूजा बडी , अरदास , माला है
वतन सबसे बडा मंदिर , वतन सबसे बडी पूजा
है ईश्वर तुल्य वो , जो अपने वतन पर मरने वाला है ।
जो सच की पैरवी और झूठ का प्रतिकार करता है ,
मोहब्बत हो जिसे इंसानियत से और एतबार करता है
जरूरी है नहीं हर शख्स सरहद पर लडे जाकर ,
वही सच्चा सिपाही है , जो वतन से प्यार से करता है ।
न कोई आरजू , ख्वाहि श , न कोई शर्त रखते हैं ।
न बोझा कोई सीने पर , न सर पे कर्ज…
Added by ajay sharma on January 25, 2015 at 11:01pm — 9 Comments
खामोशी ने ऐसी खता की
बात न की पर उसने जता दी
दिए हैं उसने ज़ख़्म अगर तो
दवा भी उसने हमें लगा दी
न जाने क्या-क्या था सोच रखा
मिला जो उसने , शरत लगा दी
मेरी अना थी , गुरूर उसका
मगर ये रिश्ते में इक वफ़ा थी
खत इक लिखा , फिर ज़वाब उसका
था काम इतना , उमर लगा दी
बग़ैर उसके , सफ़र कहाँ था
कभी था चेहरा , कभी सदा थी
अजय कुमार शर्मा
मौलिक प्रकाशित
Added by ajay sharma on January 18, 2015 at 11:08pm — 7 Comments
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