जन्मदिन पर .
तुमनें दी
शुभकामनाएं
कुछ की
प्रभु से प्रार्थनाएं .
सोचता हूँ
तुम्हें आभार दूँ
या दिल की
गहराइयों से चलकर
रूह के धरातल पर
उबलते , उफनते
विचार दूँ ?
क्या बता दूँ ?
की मैं क्यों
हो जाता हूँ उदास
क्यों बस
एक ही एहसास
मुझे कर जाता है
अंतर से बदहवास
हर साल
जब देती हो तुम
कुछ सपनों में ढाल
प्रेम से बुना
दिल से…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on February 25, 2012 at 5:30pm — 2 Comments
तुम .
मेरी चेतना के पंख
रूह के मंदिर में
बजता भोर का शंख
मन की उड़ान
देह की जान
बनती बिखरती कहानी
निर्मल निर्झर का
बहता हुआ सा पानी
फूलों की खुशबू
या वो पवन
जो लाती है वो जादू
जो बना देता है
मतवाला अक्सर .
तुम ही तो हो
ये सब .
फिर क्यों
कभी कभी
मैं हो जाता हूँ
तन्हा.
बताओ तो जरा…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on February 9, 2012 at 9:28pm — 1 Comment
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