For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Neeraj Nishchal's Blog – February 2018 Archive (5)

अंजामे दिल/ग़ज़ल

महफिलों से एक दिन जाना ही है ।

आख़िरश अंजामे दिल तनहा ही है ।

क्या हुआ जो आज मै तड़पा बहुत,

मुद्दतों से दिल  मेरा तड़पा ही है ।

मै तुम्हे अपनी हकीकत क्या कहूँ,

तुमने जो सोचा तुम्हे करना ही है ।

प्यार के सपने बिखर कर चूर हैं,

प्यार भी शायद कोई सपना ही है ।

प्यार में दिल टूटना क्यों आम है,

सब ये कहते हैं कि ये…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on February 18, 2018 at 1:56am — 3 Comments

इश्क कुछ इस तरह निबाह करो/ ग़ज़ल

इश्क कुछ इस तरह निबाह करो ।
तुम मुझे और भी तबाह करो ।

तोड़ दो दिल तो कोई बात नहीं,
टूटे दिल मे मगर पनाह करो ।

मै अगर कुछ नहीं तुम्हारा हूँ,
दर्द पर मेरे तुम न आह करो ।

चाहना तुमको मेरी फितरत है,
तुम भले ही न मेरी चाह करो ।

तुम सजा पर सजा सुना दो पर,
मत कहो मुझसे मत गुनाह करो ।

आज कुछ यूँ मुझे सताओ तुम,
ग़ज़ल पर मेरी वाह वाह करो ।

नीरज मिश्रा
मौलिक व अप्रकाशित

Added by Neeraj Nishchal on February 15, 2018 at 5:26am — 4 Comments

दिल/ग़ज़ल

दर्द में ऐसे जलता है दिल ।
मोम जैसे पिघलता है दिल ।

यादों में ही रहे बेकरार,
यादों में ही बहलता है दिल ।

दर बदर ठोकरें मिल रहीं,
पर भला कब सँभलता है दिल ।

कुछ कभी तो कभी है ये कुछ ,
लमहा लमहा बदलता है दिल ।

तनहा तनहा किसी शाम सा,
होके वीरान ढलता है दिल ।

प्यार का कोई दरिया सा है,
जिसमें हर वक्त घुलता है दिल ।

नीरज मिश्रा 

मौलिक व अप्रकाशित

Added by Neeraj Nishchal on February 14, 2018 at 12:18am — 6 Comments

मजबूर/ग़ज़ल

होके मजबूर तेरी गलियों से जाना होगा ।

अब खुदा जाने कहाँ अपना ठिकाना होगा ।

मै मना पाया न रब को न तेरे दिल को,

अब तो तनहाई में खुद को ही मनाना होगा ।

जान मेरी मै बिना तेरे जियूँगा लेकिन,

मेरे जीने में न जीने का बहाना होगा ।

तनहा होकर भी रहूँगा न कभी तनहा,

तेरी यादों का मेरे साथ ज़माना होगा ।

हर रजा अपनी मै हारूँगा रजा पर तेरी,

प्यार जब कर ही लिया है तो निभाना होगा ।

प्यार का नाम फकत प्यार को…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on February 13, 2018 at 9:37am — 10 Comments

बन गया तुम्हारी याद हूँ मैं/ग़ज़ल

कुछ कह न सकूं राहे दिल पर बरबाद हूँ या आबाद हूँ मै ।

रहती है तेरी याद मुझे या खुद ही तेरी याद हूँ मै ।

 

ठुकराया भी तुमसे न गया अपनाया भी तुमसे न गया,

उल्फत के दर फरियादी की इक टूटी सी फरियाद हूँ मै ।

मैं जिस्म हूँ कोई माटी का इस जिस्म की जान तुम्ही तो हो,

कुछ भी न तुम्हारे पहले था कुछ भी न तुम्हारे बाद हूँ मै ।

ये दर्दे जुदाई भी तेरी ये इश्के खुदाई भी तेरी,

तेरे गम में गमगीन फिरूँ तेरे मद…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on February 12, 2018 at 12:30am — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service