चाँदी के रथ पे सवार लिए जीवन नवल
चिर प्रीतम संग चंद्रिका आयी धवल ..............
प्रिय सखी निशा संग
भरती किलकारियाँ
गगन से धरा तक
करती अठखेलियाँ
रूप किशोरी सी चंद्रिका आयी धवल .........
शशि प्रियतम संग
चमचम सितारों वाली
श्याम चुनरिया ओढ़े
धीरे धीरे दबे पाँव
प्रिय सुंदरी सी चंद्रिका आयी धवल ................
दुग्ध अभिसिंचित हये
सभी तरुवर तड़ाग
मुसकुराती…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 26, 2014 at 4:30pm — 9 Comments
प्रथम प्रयास
(1)
रखती उसको हिये लगाये
सबके मन पर वो छा जाये
उसकी सूरत दिल मे उतरी
क्या सखि साजन ? न सखि मुंदरी
(2)
उसके नाम से ही डरूँ मै
होती शाम छिपती फिरूँ मै
आए जब चैन न पाऊँ क्षन भर
क्या सखि साजन ? ना सखि मच्छर
(3)
बालक बूढ़े सबको भाये
बिना उसके चैन नहि पाये
सुंदर सूरत सुनहरी चाम
क्या सखि साजन ? ना सखी…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 24, 2014 at 2:30pm — 16 Comments
( 1 )
दो पुष्प खिले
हर्षित हृदय
लीं बलैयां
( 2 )
धीरे धीरे
बढ़ चले राह
पकड़ी बचपन डगर
( 3 )
मार्ग दुर्गम
वे थामे अंगुली
आशित जीवन
( 4 )
हुये बड़े
बीता बचपन
डाले गलबहियाँ
( 5 )
संस्कार भरे
करते मान सम्मान
न कभी अपमान
( 6 )
जीवन बदला
खुशियाँ…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 21, 2014 at 9:15pm — 5 Comments
यक्ष प्रश्न
सास बहू के बिगड़ते सम्बन्धों पर बहुत ही प्रभावशाली जोशपूर्ण भाषण देने के बाद अब राधा देवी मीडिया वालों के सवालों के उत्तर दे रही थी.
"मैडम ! लोग बेटी और बहू में अंतर क्यों करते हैं?"
"यह लोगों की नादानी ही नहीं बल्कि घोर पाप है। जो लड़की अपना मायका छोड़ कर ससुराल घर आई हो उसको तो सोने मे तौल कर रखना चाहिए।"
"लेकिन मैडम, हम ने सुना है कि आपकी अपनी बहू से नहीं बनती और आपने उसे घर से निकाल दिया है और बेटे को भी नहीं मिलने देती है ।…
Added by annapurna bajpai on February 18, 2014 at 2:00pm — 15 Comments
दोहे
1) नारी है सुता ,दारा धारे रूप अनेक ।
बंधन बांधे नेह का धीरज धर्म विवेक ॥
2) ये नारी है सृजक नहि अबला कमजोर ।
रोम रोम ममता भरी सह पीड़ा घनघोर ॥
3) महल दुमहले बन रहे वसुधा हरी न शेष ।
जीव जन्तु भटके सभी ऐसे महल विशेष ॥
4) माया माया कर रहा बढ़े चौगुना मोह ।
पानी पत्थर पूजि के रहा मुक्ति को टोह॥
5) सन्मार्ग दो प्रभु दिखा, दो ऐसा वरदान ।
सब मिल शुचिता…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 18, 2014 at 1:00pm — 15 Comments
आँगन की नीम कहे
कुछ पात ही अब शेष रहे
प्रिय बसंत तुम आना
नव मधुमास ले आना
निज कर तुम सजाना
प्रीतम की राह तके
आँगन की ..................
पत्तों पर से ओस हटी
मण्डल मे छायी धुंध हटी
अंतस मे कोंपल सजी
नवजीवन ही आस रहे
आँगन की नीम ...................
शरद शिशिर सब है गए
सज धज ऋतुराज है आए
आहट पा नीम लहराये
चिर बसंत ही शेष रहे
आँगन की…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 5, 2014 at 8:30pm — 8 Comments
श्रवण कुमार
“आप बड़ी खुशकिस्मत हो भाभी जो आपको इतना हीरे जैसा बेटा दिया भगवान ने । आपकी हर बात मानता है आपका कितना सम्मान करता है, कोई बुरी लत नहीं , कोई गलत रास्ता नहीं, वरना आजकल की औलादें तो बस पूछो ही मत ।“ एक ठंडी सी आह भर कर कामिनी देवी ने अपनी भाभी से कहा । “ हाँ कामिनी तू सच कह रही है, आज कल कहाँ बच्चे बूढ़े माँ बाप की चिंता करते है सच मै बड़ी भाग्यशाली हूँ जो हीरे जैसा बेटा है मेरा , एकदम श्रवण कुमार। “ शीला जी ने अपनी ननद की बात का समर्थन किया ।
आज शीला जी का शव आँगन के…
ContinueAdded by annapurna bajpai on February 1, 2014 at 12:00am — 13 Comments
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