पढ़े लिखे कुछ लोग भी, दे हैरत में डाल।
बेटी भी औलाद है, फिर क्यूँ करे बवाल।।
इतनी छोटी बात भी, समझे ना इंसान।
बेटी जन्में पुत्र को, रखते कुछ तो मान।।
बेटी मेरा खून है, बेटी मेरी जान।
बेटी से ये सृष्टि है, बेटी से इंसान।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
Added by शिज्जु "शकूर" on February 22, 2014 at 5:30pm — 14 Comments
1222/1222/1222/1222
अरे नादान ये मय है जिगर को ये जला ही दे
मेरे इस दर्दे दिल के वास्ते कोई दवा ही दे
कभी जब खींच ले जाये समंदर साथ अपने तो
गुज़रती मौज कश्ती को किनारे पर लगा ही दे
तेरी आँखों में मेरे दर्द की तासीर है शायद (तासीर= असर)
उदासी भी तेरी इस बात की पैहम गवाही दे (पैहम= लगातार)
इरादों को किया मजबूत तेरे पत्थरों ने ही
तेरा हर वार मेरा हौसला आखिर बढ़ा ही दे
बचूँगा कब…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on February 18, 2014 at 7:30am — 19 Comments
इक गुलदस्ते की तरह, सजा हमारा देश।
तरह-तरह के लोग हैं, तरह-तरह के वेश।।
जाति धर्म के फेर में, उलझ गया इंसान।
प्रेम शांति का मार्ग है, सत्य यही लो जान।।
तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।
बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।
मक्कारी औ झूठ से, जो ना आये बाज।
उसकी भाषा लो समझ, पहचानो आवाज।।
(मौलिक व अप्रकाशित)* संशोधित
Added by शिज्जु "शकूर" on February 12, 2014 at 9:30pm — 22 Comments
दोहे लिखने की मेरी पहली कोशिश है
घूम - घूम के देश मे, बाँट रहा है ज्ञान।
बातें कड़वी बोलता, सत्य उसे ना मान।।
अपना सीना तान के, करे शब्द से वार।
अन्धे उसके भक्त हैं, करते जय जयकार।।
बाँटे अपने देश को, लेके प्रभु का नाम।
उसको आता है यही, अधर्म का ही काम।।
यही देश का भाग है, यही देश का सत्य।
कोई आगे आय ना, नाग करे सो नृत्य।।
(मौलिक व अप्रकाशित)
संशोधन के पश्चात पुनः दोहे…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on February 2, 2014 at 10:30pm — 16 Comments
212 212 212 212
चंद यादें ग़ज़ल बन किताबों में हैं
हसरतें तेरी ही इन निगाहों में हैं
कुर्बतें वो तबस्सुम तेरी शोखियाँ
बस यही साअतें मेरी यादों में हैं
अपने आँचल से तूने हवा दी जिन्हें
वो शरारे हरिक सिम्त राहों में हैं
जो सिवा अपने सोचें किसी और की
अज़्मतें इतनी क्या हुक्मरानों में हैं
कुछ खबर ले कोई आके इनकी ज़रा
कितनी बेचैनियाँ ग़म के मारों में हैं
साअत= क्षण,…
ContinueAdded by शिज्जु "शकूर" on February 1, 2014 at 3:45pm — 30 Comments
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