प्रिय, मुझे आज तुमसे कुछ कहना है ...
जानता है उल्लसित मन, मानता है मन
तुम बहुत, बहुत प्यार करती हो मुझसे
गोधूली-संध्या समय तुम्हारा अक्सर चले आना,
गलें में बाहें, गालों पर चुम्बन, अपनत्व जताना
झंकृत हो उठता है मधुरतम पुरस्कृत मन-प्राण
मैं बैठा सोचता, सपने में भी कोई इतना अपना
आत्म-मंदिर में अपरिसीम मधुर संगीत बना
निज का साक्षात प्रतिबिम्ब बन सकता है कैसे
पलता है मेरी आँखों में प्रिय, यह प्यार…
ContinueAdded by vijay nikore on February 26, 2020 at 6:30pm — 4 Comments
जीवन्तता
माँ
कहाँ हो तुम ?
अभी भी थपकियों में तुम्हारी
मैं मुँह दुबका सकता हूँ क्या
तुम्हारा चेहरा सलवटों भरा
मन शाँत स्वच्छ निर्मल
पथरीले…
ContinueAdded by vijay nikore on February 24, 2020 at 5:30am — 4 Comments
प्यार का प्रपात
प्यार में समर्पण
समर्पण में प्यार
समर्पण ही प्यार
नाता शब्दों का शब्दों से मौन छायाओं में
आँखों और बाहों का हो महत्व विशाल
बह जाए उस उच्च समर्पण में पल भर…
ContinueAdded by vijay nikore on February 21, 2020 at 3:30am — 4 Comments
गुज़ारिश
मुहब्बत में मज़हब न हो
मज़हब में हो मुहब्बत
मुहब्बत ही हो सभी का मज़हब
तो सोचो, हाँ, सोचो तो ज़रा
कैसी होगी यह कायनात
कैसी होगी यह ज़मीन
खुश होगा कितना…
Added by vijay nikore on February 15, 2020 at 4:00pm — 4 Comments
डूब गया कल सूरज
कल ही तो था जो आई थी तुम
बारिश के मौसम की पहली सुगन्ध बनी
प्यार की नई सुबह बन कर आई थी तुम
मेरे आँगन में नई कली-सी मुस्कराई थी तुम
याद है मुझको वसन्त रजनी में
कल…
ContinueAdded by vijay nikore on February 15, 2020 at 6:30am — 4 Comments
नया साल चढ़ा है
कुछ बुदबुदाता हुआ
आया है नया साल
ओढ़े बबूलपन के संग
बुद्धी की सचाई की
मुरझाई पुष्पलता
हो सकता है यह पहनावा
नया…
ContinueAdded by vijay nikore on February 6, 2020 at 6:30am — 4 Comments
आँख-मिचौनी
साँझ के रंगीन धुँधलके ...
आँख-मिचोनी खेलते
एक दूसरे को टटोलते
मद्धम रोशनी में उभरती रही
कोई पवित्र विलुप्त लालसा
आवेगों में खो जाने की…
ContinueAdded by vijay nikore on February 2, 2020 at 2:30pm — 4 Comments
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