'हंसी-ठिठोली', मस्तियों की "टोली"... करें 'अठखेली', बन "हमजोली"...
हर 'साल' की तरह... लो फिर आई "होली"... ... ...…
ContinueAdded by Julie on March 19, 2011 at 6:30pm — 9 Comments
Added by Sudhir Sharma on March 19, 2011 at 5:52pm — 3 Comments
Added by satish mapatpuri on March 19, 2011 at 2:46pm — 5 Comments
Added by Abhinav Arun on March 19, 2011 at 1:30pm — 3 Comments
यूं तो गुज़री हूँ बहुत बार खुद की नज़रों से..
Added by Lata R.Ojha on March 19, 2011 at 1:38am — 5 Comments
Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 18, 2011 at 12:42pm — 4 Comments
Added by Sujit Kumar Lucky on March 18, 2011 at 9:06am — No Comments
Added by rajkumar sahu on March 17, 2011 at 10:54pm — No Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 17, 2011 at 10:19pm — 1 Comment
Added by Pranjal Mishra on March 17, 2011 at 9:55pm — No Comments
Added by Shamshad Elahee Ansari "Shams" on March 17, 2011 at 6:49pm — No Comments
इन अकेली वादियों में चले आये
(मधु गीति सं. १७१७, दि. १० मार्च, २०११)
इन अकेली वादियों में चले आये, भरा सुर आवादियों का छोड़ आये;
गान तुम निस्तब्धता का सुन हो पाये, तान नीरवता की तुम खोये सिहाये.…
ContinueAdded by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:06pm — 2 Comments
Added by Lata R.Ojha on March 17, 2011 at 1:34am — 1 Comment
OBO पर आकर बहुत अच्छा लगा. यहाँ पर एक से एक उस्ताद शायर और कवियों की रचनाएं पढ़कर आनंद आ गया.
अपनी एक नयी ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ, आप सब से मार्गदर्शन की आशा है.
अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में
उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में
ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं…
Added by Saahil on March 16, 2011 at 8:07pm — 11 Comments
Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 1:52am — No Comments
1. समारू - जाटों ने ओबीसी आरक्षण के लिए आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है।
पहारू - आरक्षण का झमेला तो राजनीतिक पार्टियों ने वोट के लिए पाल रखी है।
2. समारू - टैक्स पर इनकम बटोरने वाला एक और नाम आया।
पहारू - जितनी कमाई, उतनी टैक्स चोरी, खुली छूट है।
3. समारू - छग विधानसभा में कांग्रेस, भाजपा सरकार को घेरने में सफल नजर आ रही है।
पहारू - इतनी एकजुटता दिखाकर चुनाव में मेहनत करते तो विपक्ष में नहीं रहते।
4. समारू - पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी की…
Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 12:10am — No Comments
प्रिय अभी
मै न चाहते हुए भी आज उन स्थानों पर कभी-कभी पहुँच जाता हूँ,जहां कभी अपने प्रेम के बहारो के फूल खिले थे , ना जाने कितने आरजुओ ने जन्म लिए थे जब कभी मै उन जगहों पर जाता हूँ तो हमेशा मेरी नज़र उन जगहों को देखती है जहां हम साथ चले थे , मेरे होठो पर तुम्हारा नाम बरबस ही आ जता है,मेरी नज़रे शायद तुम्हारे पद चिन्हों को ठुंठती है ! पर उसे असफलता ही हाँथ लगाती…
ContinueAdded by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 14, 2011 at 8:05pm — 3 Comments
मैं रहूँ न रहूं ,यादें मेरी रह जाएंगी..
Added by Lata R.Ojha on March 14, 2011 at 12:30pm — 3 Comments
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