Added by Dr Nutan on March 5, 2011 at 1:00am — 4 Comments
विश्व-कप में
टीम इंडिया आई
आस जगाई.....१
इंतजार में
जोरदार तैयारी
है बेक़रारी ...२
माही! तुम में
ज़ज्बा है हिम्मत भी
सामने आओ ...३
देश का मान
विश्व-कप जीत के
भारत लाओ ....४
अब सचिन!
शतकों के शतक
का इंतजार .....५.
खेलो न पूरे
जी जान से निराली
टीम इंडिया ....७
BRIJESH
Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on March 4, 2011 at 10:00pm — No Comments
अपने औदें पर इतना अक़ड़ता क्यूं हैं
तू बात बात पर यूं बिगड़ता क्यूं हैं
क्या संसद का पानी पी आया हैं
तू बार बार यूं रंग बदलता क्यूं हैं
लिबास तो बड़ा ही सफ़्फ़ाख है…
Added by अमि तेष on March 4, 2011 at 3:30pm — 4 Comments
Added by neeraj tripathi on March 4, 2011 at 2:25pm — 4 Comments
जिसने बांटे दर्द सभी के, मिलते उसको छाले हैं !
एक पिता का हाल देखिए, इस नफरत की दुनिया में,
जिसने धन दौलत तक दे दी, रोटी तक के लाले हैं !
अब प्यार के जहाँ में पैगाम नहीं मिलते !
Added by gaurav uphar on March 4, 2011 at 1:00pm — 2 Comments
Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 4, 2011 at 9:20am — No Comments
जहाँ फ़ैल रहा प्रकाश वहाँ, क्यों फैला रहे अंधेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा,
जालिम कहर तुम्हारी, बरसे जहाँ जहाँ पर ,
रहते थे शान्ति के पुजारी,बंजर है अब वहाँ पर,
कितनो के चमन उजाड़ दिए, कितनो का लूटोगे डेरा,
खुशियों को छीन लो ना उनसे, होने दो वहाँ सवेरा.
अन्दर तुम्हारे है क्या , लेते सदा सहारा,
खुद की जमीं बचा न सके तो, दूसरों का घर उजाड़ा,
कब तक बनोगे सांप तुम,नचाएगा तुम्हे संपेरा,
खुशियों…
Added by Dhananjay Pathak on March 4, 2011 at 12:00am — No Comments
यादें.................
मन की उदासी को ह्रदय में,
बसा के रख लिया ,
आप की बेवफाई को,
जीवन अंग समझ लिया !
मैंने की बेहद मुहब्बत मगर,
आपको क्या फर्क पडा,
तुमने लिए जो फैसले प्यार में,
उस दर्द से दिल मेरा रो पडा !
मिलेंगे तुम्हें हज़ारो दौलतमंद पर,
प्रीत की होगी वहां न भनक,
राह भूल मेरे अनमोल प्रेम को,
तोड़ देगी पैसे की खनक !
अपने सारे गमो को मै छुपा लूंगा,
एक तुम्हारी ख़ुशी के लिए
अब ना आयेंगे…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 3, 2011 at 7:30pm — 2 Comments
आप खुश रहना................
है दिए जो जख्म आपने दिल को,
भर दे उसे कोई किसी में है ओ प्रीत कहाँ,
बहते मेरे लावारिस अश्को को कोई थामले,
है एक तेरे सिवा दूसरा मन्मित कहाँ,
है किये जो घोर अँधेरा मेरे जीवन में,
आक़े करे कोई रोशन है यैसी तक़दीर कहाँ,
जब ह्रदय की आशाएं बंद हो चली हो,
फिर इस बेचैन दिल को मिलता है करार कहाँ,
जब तुम कर चले बेदरंग इस जीवन को,
फिर इस जीवन में किसी और प्रीत रंग की है आश…
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 3, 2011 at 12:00pm — 2 Comments
Added by Sanjay Rajendraprasad Yadav on March 2, 2011 at 5:37pm — 1 Comment
शब्दों के जाल में फँस कर उलझ गया हूँ ,
मैं बस शब्द बन कर रह गया हूँ ,
सोचता हूँ निकल जाऊ इस जाल से ,
मगर वो कर नहीं पाता, कारण ?
जब भी कोशिश करता हूँ ,
और भी उलझता ही जाता हूँ ,
पहले बेटा फिर भाई ,
फिर काका बन गया ,
आगे चल कर पति ,
फिर पिता और अब ,
दादा बन गया हूँ ,
अगर अब भी नहीं निकल पाया ,
तो ये मेरी बदनसीबी हैं ,
हे प्रभु बुद्धि दे ,
मेरी सुधि ले ,
कि मैं इस मकड़ जाल से निकल सकूँ ,
और इन शब्द जाल से निकल…
Added by Rash Bihari Ravi on March 2, 2011 at 4:00pm — 3 Comments
वक़्त की अठखेलियों से फिर जनाज़े हाय निकले;
एक पिंजरे में कुरेदा तो अनोखे भाव निकले;
कितने अरमान गूंजते थे जुगनुओं से रास्तों में;
सुर्ख थे नींदों में सारे जब जगा तो स्याह निकले.
जब जलज की पंखुड़ी पर अश्रु थामे तुम खड़े थे;
दुःख तो थोड़े थे हमारे किन्तु तुम कितने बड़े थे;
नीर था चारों तरफ फिर नाव क्यों चलती नहीं थी;
हम किनारे पर डुबे थे तुम तो दरिया पार निकले.
सोचता हूँ इस…
Added by neeraj tripathi on March 2, 2011 at 11:12am — 5 Comments
Added by राजेश शर्मा on March 2, 2011 at 9:00am — 7 Comments
Added by Akhileshwar Pandey on March 1, 2011 at 4:30pm — 3 Comments
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