For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Kalpna mishra bajpai's Blog – March 2015 Archive (8)

तुमसे अकेले में मुलाक़ात

आज झुरमुट से उजास में

शुभ्र नूतन सा गुलाबी प्रभात

तुम से की, शरमाते हुए ,

आज कितने दिनों के बाद

तुमसे अकेले में की मुलाक़ात

 

और अपलक रही थी निहार…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 28, 2015 at 9:30am — 6 Comments

नूतन गीत



नूतन वर्ष सुहाना आता 

-------------------------

नूतन वर्ष सुहाना आता 

माता की गोदी में चढ़ कर

मन ही मन हर्षाता

 

दिनकर चुनरी लाल उड़ाता 

शीतल पवन झकोरे लाता 

कच्ची कच्ची धूप मनोहर 

मलिया शगुन सुनाता

 

बगिया की गोदी में खिल कर 

दिवस मल्हारें गाता ।

 

कलियाँ खिल कर युवा हो गईं 

झोली भर कर सुगंध ले आईं 

अंगनाई उर महके चन्दन 

तितली काया सौरभ धोई

 

भोर की गोदी सूरज चढ़ कर…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 21, 2015 at 9:30am — 12 Comments

गौरैया दिवस पर कुछ दोहे

आँगन के ऊपर बना ,सरिया का आकाश

दाना नीचे है पड़ा खा पाती मैं काश ॥

अंबर पर उड़ते मिले ,चतुर सयाने बाज

जीवन कितना है कठिन ,हम जैसों का आज ॥ 

सूरज दादा भी तपें ,करें गज़ब का खेल

सूख गए वन बावड़ी,बची न कोई बेल ॥

एक दिवस में क्या मिले,कैसे रखलूँ धीर

सोच सोच ये बात को,मन में उठती पीर ॥

मन करता है आज भी,आँगन फुदकूँ जाय

झूला झूलूँ तार पर......मुन्नी लख हर्षाय ॥

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 21, 2015 at 12:00am — 13 Comments

मन भावन पैगाम (दोहे )

मन भावन पैगाम सब ,रक्खे बड़े सम्हाल 

आते जब भी सामने,कहते सारा हाल ॥

स्नेह पगे जो शब्द हैं,करते अब मनुहार 

इक-इक पाती प्रेम की,कहती बात हजार ॥

आखर में जब तुम दिखो,भर आती है लाज 

आवेदन ये प्रेम का ,भर जाते  है आज ॥

बिना कहे सब बोलती,हृदय की ये बात

आमंत्रण देती रहीं ,सपनों की बारात ॥

पाती में मिलते रहे ,सूखे सुमन गुलाब

मन मंदिर ले बाचती, खुशबू भरी…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 16, 2015 at 12:00pm — 11 Comments

दोहे (गंगा माँ )

गंगा माँ की गोद में,बसा कानपुर धाम

सरसैया के घाट पर, उगती सहर तमाम  ॥

 

महा आरती मात की, कर लो हृदय लगाय

  कट जायें संकट सभी ,सुंदर सरल उपाय ॥

 

हिमगिर के उर से बही,पसरी वसुधा गोद

लहराती वो चल पड़ी,भरती मन आमोद 

 

मोक्षदायनी याद में , कहाँ भागीरथ आज

उनका तप बल याद कर,सफल बना लो काज ॥

 

गंगा गीता गाय को , प्यार करें भगवान

मानव इसको भूल…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 12, 2015 at 11:30am — 20 Comments

किताब /पुस्तक पर -दोहे

पुस्तक गुण की खान है,सीखें रखती गोय

जो उसका प्रेमी बना ,जग में जय जय होय॥

सखी भरी है ज्ञान से,उर में रखती भाव

पढ़-पढ़ के हासिल करो,रहे न ज्ञान अभाव॥

इस पूरे संसार की,जो रखती है थाह

दुनियाँ में कैसे मिली,किसको कहाँ पनाह॥

वर्ण-वर्ण मिल बन गई,सुंदर सुखद किताब

मनसा वाचा कर्मणा ,रख लो खूब हिसाब ॥

गुणी जनों ने बैठ कर,लिखे सुघर मंतव्य

रुचि जिसकी जिसमें रहे, खोजो वो…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 11, 2015 at 10:00am — 9 Comments

कुण्डलिया छंद (अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष_

नारी अब चेतन हुई ,बदला उसका रूप 

हर मौसम हर समय वो ,लेती नए स्वरूप 

लेती नए स्वरूप ,आसमां पर छा जाती 

सहती हर संघर्ष ,दिलेरी खूब दिखाती 

स्वाभिमान को जान,स्वयं पर जाती वारी

खूब कमाती मान ,आज कीशिक्षित नारी ॥ 

अप्रकाशित व मौलिक 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Added by kalpna mishra bajpai on March 8, 2015 at 4:00pm — 12 Comments

दोहे भाग 3

घूँघट पट क्यों ओढ़ती,तुम पर मैं बलिहार

घट मेरे बसती सदा,तुम पर जान निसार ॥

गोरी तुम मैं सांमला,प्रीत घनेरी होय

राधा वर मैं बन गया,जो होए सो होय ॥

बंशी मेरी टेरती , तुम को सुबहो शाम

दर्शन श्यामा के बिना ,हमें कहाँ आराम॥

बहुत हुआ अब चुप रहो,नटवर नागर नन्द

मदन माधुरी डालते, भरते दिल आनन्द ॥

पुष्प लता है  बावरी ,प्रेमातुर संसार

कंठ कंठ में रम रहा ,दामोदर करतार॥

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना…

Continue

Added by kalpna mishra bajpai on March 4, 2015 at 3:00pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service