तन की बात - लघुकथा –
नंदू स्कूल का बैग पटक कर चिल्लाया,"माँ, मैं खेलने जा रहा हूँ। आज स्कूल की छुट्टी होगयी"।
"अरे रुक तो सही, क्या हुआ। अभी गया था और तुरंत वापस आगया। बता तो,क्यों हो गयी छुट्टी"? ममता रसोईघर से हाथ पौंछते हुई निकली|
"माँ, स्कूल की एक लड़की ने स्कूल में आत्म हत्या कर ली"।
इतना बोलकर नंदू खेलने दौड़ गया।
ममता यह खबर सुनकर बेचैन हो गयी।वह भी तुरंत स्कूल पहुंच गयी ।भीड़ लगी हुई थी।पुलिस वाले भी आ चुके थे।लोगों में कानाफ़ूसी चल रही थी।
कोई…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on April 24, 2018 at 6:03pm — 14 Comments
गुहार - लघुकथा –
मंत्री जी की गाड़ी जैसे ही बँगले से बाहर निकली, एक जवान औरत हाथ में खून से सनी दरांती और गोद में छोटी बच्ची लिये गाड़ी के आगे आकर खड़ी होगयी। ड्राइवर ने बताया कि वह सुबह से आपसे मिलने की ज़िद कर रही थी। दरबान ने नहीं आने दिया।
"क्या हुआ बेटी। यह क्या हालत बना रखी है"?
"साहब मैं एक फ़ौज़ी की विधवा हूं। मेरा ससुर और देवर मेरी ज़मीन और मेरे शरीर के लिये मुझे परेशान करते हैं”|
"तुम थाने क्यों नहीं गयी। वहाँ जाकर रिपोर्ट लिखाओ"?
"गयी थी साहब।…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on April 21, 2018 at 11:42am — 10 Comments
पथरीली डगर - लघुकथा –
"माँ, अब से हम अकेले स्कूल नहीं जाया करेंगे"?
"क्यों, क्या हुआ, मेरी बच्ची"?
"आप बापू से बोलो, हमें स्कूल छोड़ने और लेने आया करें"।
"अरे कुछ बतायेगी भी कि बस एक ही रट लगा रखी है"?
"क्या बतायें, कुछ बताने लायक बात हो तब ना"?
"बिटिया, तेरे बापू को काम पर जाना होता है। कैसे तेरे साथ जायेगा"?
"तो फिर हम पढ़ाई छोड़ देते हैं"?
"कैसी बात करती है मेरी लाड़ो? तू हमारी इकलौती संतान है। हम दोनों तेरे भविष्य के लिये ही तो रात…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on April 13, 2018 at 3:45pm — 6 Comments
मानवता की मौत -- लघुकथा –
दिल्ली की ब्लू लाइन बस में आश्रम से सफ़दरगंज अस्पताल जाने के लिये एक बूढ़ी देहाती औरत अपने साथ एक जवान गर्भवती स्त्री को लेकर चढ़ रही थी।
"अरे अम्मा जी, बस में पैर रखने को जगह नहीं है। इस बाई की हालत भी ऐसी है कि ये खड़ी भी न हो पायेगी। कोई और सवारी देख लो"? बस कंडक्टर ने सुझाव दिया|
"एक घंटो हो गयो, खड़े खड़े। लाड़ी के दर्द शुरू हो गये। अस्पताल पहुंचनो जरूरी है| सारी सवारी गाड़ियों की हड़ताल है, सरकार ने पेट्रोल के दाम बढ़ा दिये, इसलिये| घनी मजबूरी है…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on April 8, 2018 at 8:02pm — 12 Comments
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