2122 1212 22
अपनी ज़ुल्फों को धो रही है शब
और ख़ुश्बू निचो रही है शब
oo
मेरे ख़ाबों की ओढ़कर चादर
मेरे बिस्तर पे सो रही है शब
oo
अब अंधेरों से जंग की ख़ातिर
कुछ चराग़ों को बो रही है शब
oo
सुब्ह-ए-नौ के क़रीब आते ही
अपना अस्तित्व खो रही है शब
oo
दिन के सदमों को सह रहा है दिन
रात का बोझ ढो रही है शब
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"मौलिक व…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 29, 2019 at 10:51am — 6 Comments
1212 1122 1212 22/112
--
जनाबे मीर के लहजे की नाज़ुकी कि तरह
तुम्हारे लब हैं गुलाबों की पंखुड़ी की तरह
oo
शगुफ्ता चेहरा ये ज़ुलफें ये नरगिसी आँखे
तेरा हसीन तसव्वुर है शायरी की तरह
oo
अगर ऐ जाने तमन्ना तू छत पे आ जाए
अंधेरी रात भी चमकेगी चांदनी की तरह
oo
यूँ ही न बज़्म से तारीकियाँ हुईं ग़ायब
कोई न कोई तो आया है…
Added by SALIM RAZA REWA on April 18, 2019 at 9:55am — 7 Comments
मफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
.
हद से गुज़र गई हैं ख़ताएँ तो क्या करें
ऐसे में उनसे दूर ना जाएँ तो क्या करें
oo
उसकी अना ने सारे तअल्लुक़ मिटा दिए
उस बे-वफ़ा को भूल न जाएँ तो क्या करें
oo
मीना भी तू है मय भी तू साक़ी भी जाम भी
आँखों में तेरी डूब न जाएँ तो क्या करें
oo
कश्ती को डूबने से बचाया बहुत मगर
हो जाएं गर…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 8, 2019 at 4:30pm — 10 Comments
मफ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
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आख़िर ये इश्क़ क्या है जादू है या नशा है
जिसको भी हो गया है पागल बना दिया है
oo
हाथो में तेरे हमदम जादू नहीं तो क्या है
मिट्टी को तू ने छूकर सोना बना दिया है
oo
उस दिन से जाने कितनी नज़रें लगी हैं मुझपर
जिस दिन से तूने मुझको अपना बना लिया है
oo
खिलता हुआ ये चेहरा यूँ ही रहे सलामत
तू ख़ुश रहे हमेशा मेरी यही…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 4, 2019 at 9:13am — 6 Comments
ओबीओ को समर्पित एक क़त'आ
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जब से तेरी मेहरबानी हो गई
ख़ूबसूरत ज़िन्दगानी हो गई
हम हुए तेरे दिवाने इस तरह
जिस तरह 'मीरा' दिवानी हो गई
...........
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
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जिंदगी को गुनगुना कर चल दिए
मौत को अपना बना कर चल दिए
oo
उम्र भर की दोस्ती जाती रही
आप ये क्या गुल खिलाकर चल…
ContinueAdded by SALIM RAZA REWA on April 2, 2019 at 10:00am — 6 Comments
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