(फाइला तुन _फ इलातुन _फ इ ला तुन _फेलुन)
दोस्तों वक़्त के रहबर का तमाशा देखो |
कोई तकलीफ में, खुश कोई है फिरक़ा देखो |
कोई पत्थर की तरह आपकी ठोकर में है
मेरे महबूब ज़रा गौर से कूचा देखो |
आपको करना है दीदार गरीबी का अगर
जाके फुट पाथ का रातों में नज़ारा देखो |
हर किसी शख्स के हाथों में नहीं यूँ पत्थर
फ़िर कोई आ गया कूचे में दिवाना देखो |
गिडगिडाने से कभी हक़ नहीं मिल पाएगा
कर के तब्दील ज़रा…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on May 19, 2018 at 10:30am — 8 Comments
(फाइलातुन - - मफा इलुंन - - - फेलुन)
जिस को कुछ ग़म न हो कमाई का |
वो करे काम आशनाई का |
मुझको ले आए ग़म की सरहद तक
शुक्रिया उनकी रहनुमाई का |
झूटी तुहमत पे तैश खाते हो
यह तरीक़ा नहीं सफ़ाई का |
मनज़िले इश्क़ पा सकेगा वही
सह लिया जिसने ग़म जुदाई का |
मैं वफादार था लगा फ़िर भी
मुझ पे इल्ज़ाम बे वफाई का |
ज़ुल्म उस हद तलक रहें मह दूद
आए मौक़ा न जग हँसाई…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on May 15, 2018 at 8:00pm — 8 Comments
(फ़ा इलातुन--मफाइलुन--फ़ेलुन)
हुस्न और इश्क़ की कहानी है।
एक है आग एक पानी है।
कह रही है वफ़ा जिसे दुनिया
उसको पाने की मैं ने ठानी है।
बन के आए हैं वो तमाशाई
आग घर की किसे बुझानी है।
सोच कर कीजियेगा तर्के वफ़ा
अपनी यारी बहुत पुरानी है।
घिर गए मुश्किलों में और भी हम
आप की बात जब से मानी है।
वो अदावत से काम लेते हैं
हम को जिन से वफ़ा निभानी है।
प्यार को क्या…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on May 9, 2018 at 3:00pm — 17 Comments
(मफा इलातुन---मफा इलातुन)
किसी का लहजा बदल गया है।
चरागे उम्मीद जल गया है।
मैं क्यूँ न समझूँ इसे मुहब्बत
वह मेरा शाना मसल गया है
भला खफ़ा क्यूँ हैं आइने पर
था हुस्न दो दिन का ढल गया है।
ख़ुदा मुहाफ़िज़ है अब तो दिल का
निगाह से तीर चल गया है।
वो मिल गए तो लगा है ऐसा
जो वक़्ते गर्दिश था टल गया है।
जो बीच अपने था भाई चारा
उसे त अस्सुब निगल गया है।
मिली है तस्दीक़…
ContinueAdded by Tasdiq Ahmed Khan on May 9, 2018 at 3:00pm — 15 Comments
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