२१२२ २१२२ २१२२ २१२
हर ग़ज़ल अच्छी बनेगी ये जरूरी तो नहीं
दुनिया मुझको ही पढेगी ये जरूरी तो नहीं
फ़ौज सरहद पे खडी हो चाहे दुश्मन की तरह
कोई गोली भी चलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज सागर हाथ में माना कि मेरे दोस्तों
प्यास पर मेरी बुझेगी ये जरूरी तो नहीं
इन चिरागों में भरा हो तेल कितना भी भले
रात भर बाती जलेगी ये जरूरी तो नहीं
आज उसकी ही खता है खूब है उसको पता
मांग पर माफी वो लेगी ये जरूरी तो नहीं
जोड़ लो दुनिया की दौलत जीत लो हर जंग…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 28, 2014 at 12:15pm — 31 Comments
२२२ ११२ १२२
नानी अब न कहे कहानी
राजा खोये नहीं वो रानी
रेतीली वो नदी पुरानी
गुम पैरों कि मगर निशानी
बोली तुतली हिरन सी आँखे
जाने खोयी कहाँ दिवानी
बचपन बीत गया है पल में
मुरझाई सी लगे जवानी
देखेंजब भी जहर हवा में
बहता आँख से मेरी पानी
भूली सजनी किये थे वादे
उंगली में है पडी निशानी
बिसरा पाये कभी नहीं हम
गांवों वाली…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 26, 2014 at 2:54pm — 12 Comments
2122 2122 2122
नीले नीले नयनो पर पलकों का पहरा
जैसे चिलमन झील पे कोई हो पसरा
दिल तेरा बेचैन है मुझको भी मालुम
बाँध लूं कैसे मैं लेकिन सर पे सहरा
झीने बस्त्रों में तेरा मादक सा ये तन
जैसे बैठा चाँद कोई ओढ़े कुहरा
सुध में उसकी होश मेरे जब भी उड़ते
जग को लगता जैसे मैं कोई हूँ बहरा
उसकी बातें ज्यों हो कोयल कूके कोई
उतरे बन अहसास कोई दिल पे गहरा
मौलिक व अप्रकाशित
Added by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 4:25pm — 15 Comments
२१२२ २१२२ २११२२
कितने ही लोगों से हमने हाथ मिलाये
गम में डूबे जब भी कोई काम न आये
दिल तन्हा ये रो के अपनी बात बताये
कैसे उल्फत हाय तन में आग लगाये
तोहफे में दे सका जो गुल भी न हमको
आज वही फूलों से मेरी लाश सजाये
जिनके दिल में गैरों की तस्वीर लगी है
करके गलबहिया वो सर सीने में छुपाये
दिल की बातें दिल ही जब समझे न यहाँ पर
क्यूँ तन्हा फिर भीड़ में दिल खुद को न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 17, 2014 at 2:30pm — 21 Comments
2222 2112 2 222
देखा जब भी जाम मेरे हाथों रूठे
कोई तो समझाए उन्हें दिल भी टूटे
हमसे कहते यार कभी भी मत पीना
खुद पीते मयख्वार बड़े ही हैं झूठे
यारों अपने पास नशे की वो दौलत
चोरी करता चोर नहीं डाकू लूटे
माया ममता त्याग कठिन होता कितना
मय जब उतरे यार गले सब कुछ छूटे
हमको ये मालूम हुआ मैखाने आ
कहकर मय को शेख बुरा मस्ती लूटे
मैखाने से देख निकलना मयकश का
डगमग डगमग…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 14, 2014 at 12:30pm — 13 Comments
2122 1222 2122 22/112
दिल से ज्यादा हमें करता कोई मजबूर नहीं
रोज कहता कि घर है उनका बहुत दूर नहीं
मैकदे की चुनी खुद मैंने डगर है साकी
रिंद के दिल में तू रहती है कोई हूर नहीं
आज सागर पिला दे पूरा मुझे ऐ साकी
रिंद वो क्या नशे में जो है हुआ चूर नहीं
गर जो होती नहीं मजबूरी वो आती मिलने
प्यार मेरा कभी हो सकता है मगरूर नहीं
रुख पे बिखरी तेरी जुल्फों ने सितम ढाया है
आज चिलमन में…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on May 9, 2014 at 5:00pm — 22 Comments
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