For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Hariom Shrivastava's Blog – May 2019 Archive (7)

कुण्डलिया छंद-

1-

भाई भाई के लिए, हो जाता कुर्बान।

रिश्ता है यह खून का, ईश्वर का वरदान।।

ईश्वर का वरदान, नहीं है जिसका सानी।

पाण्डव हों या राम, सभी की यही कहानी।।

सुलझाकर मतभेद, न मन में रखें खटाई।

बुरे वक्त में काम, सिर्फ आता है भाई।।

2-

भाई का रिश्ता अमर, जैसे लक्ष्मण राम।

मगर विभीषण ने किया, इसे बहुत बदनाम।।

इसे बहुत बदनाम, और भेदी कहलाया।

देकर सारे भेद, नाश कुल का करवाया।।

तुलसी ने रच ग्रंथ, इन्हीं की महिमा गाई।

दशरथ नंदन राम, भरत लक्ष्मण…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 17, 2019 at 9:40am — 4 Comments

चतुष्पदी -

धरती  से  तो   आसमान   का,  हो   जाता   अनुमान।
किंतु न खुद की छत से दिखता,खुद का कभी मकान।।
जो   जमीन   पर   पैर  जमाकर, करे   लक्ष्य   संधान।
वही   बनाता   है   इस   जग  में, नये-नये    प्रतिमान।।

(मौलिक व अप्रकाशित)
-हरिओम श्रीवास्तव-

Added by Hariom Shrivastava on May 14, 2019 at 2:00pm — 4 Comments

सार छंद - (मातृदिवस पर रचित)

1~

बचपन की यादों में जब मैं, मातृ दिवस पर लौटा।

पाया खुद के ही मुखड़े पर, नकली एक मुखौटा।।

लौट गया मैं गाँव अचानक, माँ से करने बातें।

माँ तो वहाँ न थी लेकिन थीं, यादों की बारातें।।

2~

माता माता मन्दिर जाती, रखे हाथ पर लोटा।

सीढ़ी चढ़ने में साड़ी का, लेती सदा कछोटा।।

माँ के पीछे-पीछे चलकर, हम बच्चे भी जाते।

माता को चुपचाप देखते, माता से बतियाते।।

3~

माँ ने अपनी खातिर माँ से, कभी नहीं कुछ माँगा।

उन मधुरिम यादों को हमने, क्योंकर खूँटी…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 13, 2019 at 11:30am — 2 Comments

सार छंद -

1~

भवन और सड़कें पुल-पुलियाँ,मजदूरों की माया।

ईंटे पत्थर ढोते-ढोते, सिकुड़ी इनकी काया।।

श्रम के कौशल से भारत में, ताजमहल बन पाया।

लेकिन मजदूरों के हिस्से, हाथ कटाना आया।।

2~

भूख मिटाने की खातिर ही, श्रम करतीं महिलाएँ।

यदाकदा मजदूरी करते, बाल श्रमिक भी पाएँ।।

शिक्षा से वंचित रह जातीं, इनकीं ही संतानें।

मगर नीति निर्धारक शिक्षा, सौ प्रतिशत ही मानें।।

3~

सबकी खातिर महल अटारीं, जो मजदूर बनाते।

भूमिहीन होकर बेचारे, बेघर ही रह…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 9, 2019 at 9:28pm — 2 Comments

मदलेखा छंद -

  1. (मगण,सगण व गुरु एवं दो-दो चरणों में सम तुकांतता)

    -----------------------------------------------------------------

    1-

    नेताजी   कल   आए, बैठे   थे   बतियाए।

    बोले वोट दिलाओ, आओ हाथ मिलाओ।।

    2-

    नेताजी  जब आए, नारे  खूब  लगाए।

    घण्टों वो रिरियाए, पैसे भी दिखलाए।।

    3-

    मेरी  नाक  बचाओ, कोई  स्वाँग  रचाओ।

    जो चाहो तुम बोलो, मेरी किस्मत खोलो।।

    4-

    जो नेतागण आते, दूजे को गरियाते।

    घोटाले  करवाते, बातों में भरमाते।।

    5-

    कुर्सी…
Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 8, 2019 at 10:30am — 2 Comments

कुण्डलिया छंद-

1-

राह  बताते  और  को, स्वयं  लाँघते  भीत।

जग का यही विधान है,यही आज की रीत।।

यही  आज की  रीत, सभी को प्रवचन देते।

लेकिन  वही  प्रसंग, अमल में कभी न लेते।।

खुद   करते   पाखंड,  दूसरों  को  भरमाते।…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 2, 2019 at 11:01pm — 6 Comments

कुण्डलिया छंद-. [अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के उपलक्ष्य में]

खेती में घाटा हुआ, कृषक हुए मजबूर।

क्षुधा मिटाने के लिए, बने आज मजदूर।।

बने आज मजदूर, हुए खाने के लाले।

चले गाँव को छोड़, घरों में डाले ताले।।

खाली है चौपाल, गाँव में है सन्नाटा।

फाँसी चढ़े किसान, हुआ खेती में घाटा।।

2-

बिकने को बाजार में, खड़ा आज मजदूर।

फिर भी देश महान है, उनको यही गुरूर।।

उनको यही गुरूर,नहीं अब रही गरीबी।

वह खुद हुए धनाड्य,साथ में सभी करीबी।।

नेता शासक वर्ग, सभी लगते घट चिकने।

लेते आँखें मूँद, खड़ा है मानव…

Continue

Added by Hariom Shrivastava on May 1, 2019 at 3:11pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service