पिता
गर बेटियाँ है तुम्हारा स्वाभिमान
फिर क्यों
समाज के विद्रूपताओं से भयभीत होकर
रोकते हो उसकी हर उड़ान
बनाने क्यों नहीं देते उसकी
स्वयं की साहसी पहचान
असुरक्षा के डर से
देना चाहते हो उसको
किसी का साथ
खर्च कर लाखोँ लाते हो
छान बिन कर एक जोड़ी अदद हाथ
जो बनेगा तुम्हारी बेटी का आजीवन रक्षक
पर क्या होता है सही ये फैसला
हर बार
वक्त के साथ देख बेटियों की दुर्दशा
क्या…
ContinueAdded by MAHIMA SHREE on June 15, 2014 at 3:00pm — 8 Comments
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