For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sarita Bhatia's Blog – July 2013 Archive (9)

कुण्डलिया छंद [ तीज]

खुशियाँ लाया तीज है , गाएं गीत मल्हार
आंगन पींगों से सजे , झूलें कर श्रृंगार||
झूलें कर श्रृंगार ,ओढ के लाल चुनरिया
चूड़ियाँ हरी लाल , पहन झूमती गुजरिया||
आया श्रावण माह ,माँ ने पीहर बुलाया
मिले प्रेम उपहार, तीज है खुशियाँ लाया||

******************

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on July 31, 2013 at 9:30pm — 9 Comments

जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई [गजल]

बहर में लिखने का प्रथम प्रयास 

2 1 2  2 1 2  2 1 2  2 1 2

.

जिंदगी में तुम्हारी कमी रह गई

प्यास मेरी अधूरी यही रह गई

आशियाने बहे ना डगर ही मिली

सूचना आसमानी धरी रह गई



घोर तांडव हुआ खैर पा ना सके

फूल तोडा गया बस कली रह गई

ये कयामत चली लेखनी की तरह

ख़्वाब टूटे मगर चोट भी रह गई

ये ख़ुशी नागवारी खुदा को हुई

तो अकड़ आदमी की धरी रह गई

पेड़ काटे अगर तो सही त्रासदी

पेड़ रोपे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 25, 2013 at 7:30pm — 15 Comments

गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं

सार छंद / ललित छंद [प्रथम प्रयास]

छन्न पकैया छन्न पकैया के स्थान पर 

गुरु  का आओ सम्मान करें 

....................................................

गुरु का आओ सम्मान करें , 'गुरु' मतलब समझाएं

'गु' से होता अज्ञान तिमिर का, 'रु' से उसको हटाएँ

गुरु का आओ सम्मान करें ,गुरु पूर्णिमा आई

अज्ञान तिमिर का जो हर रहे ,सबके मन का भाई

गुरु का आओ सम्मान करें, अँधेरा दूर हटाएँ

गुरु दक्षिणा आज उसे देवें, ज्ञान प्रकाश…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 22, 2013 at 8:00pm — 7 Comments

कुण्डलिया [सावन]

सावन आया झूम के,देखो लाया तीज

रंगबिरंगी ओढ़नी, पहन रही है रीझ

पहन रही है रीझ, हार कंगन झाँझरिया

जुत्ती तिल्लेदार, आज लाये साँवरिया

उड़ती जाय पतंग, लगे अम्बर मनभावन…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 18, 2013 at 10:30am — 6 Comments

कुण्डलिया छंद

अबला नारी को कहें, उनको मूर्ख जान |
नारी से है जग बढ़ा ,नारी नर की खान ||
नारी नर की खान , प्यार बलिदान दिया है |
नारी नहिं असहाय , मर्म ने विवश किया है
पाकर अनुपम स्नेह ,नारी बनेगी सबला |
नर जो ना दे घाव ,तो क्यों रहे वह अबला||

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on July 15, 2013 at 10:30am — 8 Comments

कुण्डलिया छंद

बरखा रानी आ गई ,लेकर बदरा श्याम |

धरा आज है पी रही ,भर भर घट के जाम|| 

भर भर घट के जाम ,हो रही धरा है तृप्त |

पानी हुआ तुषार, हो रही ग्रीष्म है लुप्त ||

लोग हुए खुशहाल ,चला जीवन का चरखा |

बच्चे  ख़ुशी मनात , मेघा ले आय बरखा ||

|............................|

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on July 10, 2013 at 9:00am — 17 Comments

सुप्रभात दोहे 2.

सुबह सुहानी आ गई  ,लेकर शुभ सौगात |

अधर पर मुस्कान लिए, प्यार बसे दिन रात||

पूरे हों सपने सभी ,रहो न उनसे दूर |

गम का ना हो सामना ,ख़ुशी मिले भरपूर||

तारे सारे छुप गए ,आई प्यारी भोर |

आँगन खुशिओं से भरे ,मनवा नाचे मोर||

सुखद सन्देश जो मिले ,अधर आय मुस्कान| 

खुशिओं से हो वास्ता ,मिले हमेशा मान||

पुष्प सी मुस्कान लिए ,रहो हमेशा पास |

होना ना उदास कभी क्योंकि आप हो ख़ास||

रविवार का दिवस अभी ,करलो…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 4, 2013 at 4:00pm — 11 Comments

सुप्रभात दोहे 1.

सुप्रभात दोहों से मैं, करती हूँ आगाज |

अधर पर मुस्कान लिए,सरिता बोले आज||

नई सवेर ले आए ,रोज सुखद सन्देश |

पूरी हो हर कामना ,संकट हरे गणेश||

आये कोई विघ्न ना ,सर पर रखना हाथ|

पूरी करना कामना ,हे नाथों के नाथ||

चूम उठाया भोर ने ,ख़ुशी से झूमा दिल| 

सुबह संदेश आपका ,गया जैसे ही मिल||

बन जायेंगे आपके, सारे बिगड़े काम |

थके बिन बढते रहना, मन में धारे राम||

सुबह सुहानी ले आई बरसात की फुहार |…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 3, 2013 at 3:30pm — 9 Comments

कुण्डलिया छंद [प्रथम प्रयास]

बरखा छम छम आ गई ,लेकर सुखद फुहार

सावन के झूले पड़े ,कोयल करे पुकार

कोयल करे पुकार ,सबहीं का चित चुराए

मीठे मीठे आम ,सभी के मन को भाए

सखि न झूला सोहै ,ना ही चलत है चरखा

आय न सजन हमार,ना भाए रूत बरखा

 ........मौलिक व…

Continue

Added by Sarita Bhatia on July 1, 2013 at 1:00pm — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service