“बेटा एक बात कहूं क्या?”
“हाँ बोल न माँ, पर अपनी बहू के बारे में नहीं।“
माँ चुप हो गयी, फिर बोली “बेटा, अपने से जुड़े हुए लोगों का महत्व समझना चाहिये, हमे देखना चाहिये की वो हमसे कितना प्यार करते हैं, हमे भी उनको उतना ही स्नेह और महत्व देना चाहिये, कभी-कभी हम अपने से स्नेह करने वालों से, चाहे वो कोई भी क्यों न हों, इस तरह का व्यवहार करने लग जाते हैं, जैसे ‘घर की मुर्गी दाल बराबर’ ।“
बेटा हो सकता है वो आपको, आपके इस तरह के उपेक्षापूर्ण…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on August 1, 2017 at 9:02pm — 9 Comments
Added by Dr.Prachi Singh on August 1, 2017 at 2:52pm — 3 Comments
Added by Naveen Mani Tripathi on August 1, 2017 at 2:00pm — 10 Comments
Added by C.M.Upadhyay "Shoonya Akankshi" on August 1, 2017 at 1:00pm — 8 Comments
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