For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Prachi Singh's Blog – August 2012 Archive (9)

देह-बोध

काश
टूट जाए ये दीवार
और हो उन्मुक्त,
 उड़ चलूँ मैं,
भाव-पंख पसार
विस्तृत आकाश में दूर क्षितिज को नापने...
या 
बन मछली, करती
लहरों से अठखेलियाँ, 
बूँद बूँद से मोहब्बत,
छू लूँ सागर की तह
और ढूँढ लूँ सारे मोती....
या
मिल जाऊं मिट्टी में
और एकीकृत हो धरा से
शांत करूँ उसकी हलचल
ताकि न उजड़े फिर…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 27, 2012 at 9:30am — 10 Comments

कुम्हलाते मस्तिष्क (कुछ हाइकू )

 

१.
धूमिल ओज .
मासूम बचपन .
बस्तों का बोझ .
२.
कड़ी तपस्या .
विद्रूप बाल्य शिक्षा .
बड़ी समस्या .
३.
जीवन बूँद .
उन्मुक्त बचपन .
घिरती धुंध .
४.
रटंत शिक्षा .
कुम्हलाते मस्तिष्क .
व्यर्थ की दीक्षा .
५.
ढूँढे किरण .
बाल्यांकुर खिलते .
नेह सिंचन…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 24, 2012 at 7:12pm — 19 Comments

नेताजी (कुण्डलिया-४)

 
नेताजी के मन बसा, चटकीला  शृंगार
नेतानी जी सुरसती, सौम्य  रूप  अवतार…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 17, 2012 at 7:14pm — 6 Comments

एक तस्वीर (कुछ हाइकू )

१.

एक तस्वीर.
पुष्प छिपे कंटक.
कसी जंजीर.
२.
नित्य विकास.
प्रकृति उपेक्षित.
नित्य विनाश.
३.
बाल श्रमिक.
कैद में बचपन.
निष्ठुर गिद्ध.
४.
जनता त्रस्त.
आन्दोलन की गूँज.
नेता अभ्यस्त.
५.
तमस तले.
वो बीपीएल गाँव.
चिराग जले.
६.
पैना…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 15, 2012 at 4:08pm — 13 Comments

नेताजी (कुण्डलिया -३)

नेताजी (कुण्डलिया -३)
 
नेता जी की ख्वाहिशें, बढ़े खूब व्यापार,
नेतानी की राह पर, सामाजिक उपकार |
सामाजिक उपकार, करें जब भी नेतानी,
धन लुटवाए कुढें, कि, चले नहीं मनमानी |
घोटालों के रिस्क, कमाई तिगडमबाजी,
समझे नहिं नादान, सोचते थे नेताजी ||

Added by Dr.Prachi Singh on August 12, 2012 at 6:30pm — 5 Comments

स्मृतियों की इक बगिया है....

 

काल चक्र के जीवन प्रांगण में स्मृतियों की इक बगिया है....

 

नेह तृप्त कुसुमित सुरभित सी 

बेसुध करती मादकता में,

कँवल कली के मध्य बिंधा सा

एक हठीला सा भँवरा है…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 11, 2012 at 11:00pm — 5 Comments

नेताजी (कुण्डलिया-2)

नेताजी (कुण्डलिया-2) 

 

बीवी टॉपर ही मिले, नेताजी की चाह,
खुद थे इंटर पास वो, पीजी से गय ब्याह,
पीजी से गय ब्याह, किया था फर्जीवाड़ा,
ज्ञानी साथी पाय विरोधी खूब पछाड़ा,
नेतानी जी सभ्य, चतुर और बुद्धिजीवी,
घर हु पढाए पाठ, मिली थी ऐसी बीवी.

Added by Dr.Prachi Singh on August 6, 2012 at 2:30pm — 15 Comments

नेताजी (कुण्डलिया)

नेताजी (कुण्डलिया)
 

नेताजी का हो गया, कवियित्री से ब्याह,

नेतानी कविता लिखें, उनकी निकले आह,

उनकी निकले आह, सुनें जब भी वो दोहा,

लिखना विखना छोड़ पकाना सीखो पोहा,

चलो डार्लिंग किटी, रमी में जीतो बाजी,

समझाते हैं मस्त, नेतानी को नेताजी .......

Added by Dr.Prachi Singh on August 5, 2012 at 1:30pm — 28 Comments

कुछ कह मुकरियाँ

1.

उस बिन दुनिया ही धुंधलाए 

नयना दुख-दुख नीर बहाए,

है सौगात, नायाब करिश्मा,

ऐ सखि  साजन ? न सखी चश्मा l



2.

नज़र नज़र में ही बतियाए,

देख उसे मन खिल खिल जाए,

सुबह शाम उसको ही अर्पण,

ऐ सखि साजन? न सखी दर्पण l



3.

साथ बिताएँ रैन दोपहरी ,

बातें करता मीठी…
Continue

Added by Dr.Prachi Singh on August 4, 2012 at 6:30pm — 33 Comments

Monthly Archives

2022

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service