Added by रामबली गुप्ता on August 28, 2016 at 11:00pm — 7 Comments
Added by रामबली गुप्ता on August 19, 2016 at 10:00pm — 9 Comments
Added by रामबली गुप्ता on August 18, 2016 at 6:34am — 4 Comments
Added by रामबली गुप्ता on August 11, 2016 at 9:30am — 13 Comments
Added by रामबली गुप्ता on August 4, 2016 at 12:37pm — 8 Comments
वागीश्वरी सवैया
वशीभूत जो सत्य औ स्नेह के हो, जहाँ में उसे ढूंढना क्या कहीं?
न ढूंढो उसे मन्दिरों-मस्जिदों में,शिवाले-शिलाखण्ड में भी नहीं!
जला प्रेम का दीप देखो दिलों में, मिलेगा तुम्हें वो सदा ही यहीं।
जहाँ नेह-निष्काम निष्ठा भरा हो, सखे! ईश का भी ठिकाना वहीं।।
दुर्मिल सवैया
दुख जीवन में अति देख कभी, मन को नर हे! न निराश करो।
रहता न सदा दुख जीवन में, तुम साहस से मन धीर धरो।।
रजनी उपरांत विहान नया, अँधियार घना मत देख डरो।
लघु-दीप जला…
Added by रामबली गुप्ता on August 1, 2016 at 8:30pm — 10 Comments
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