देखा इतना दर्द दिलों का इस बेदर्द ज़माने में
बस थोड़ा सा वक़्त बचा है सैलाबों को आने में
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अपनापन का जज़्बा खोया और मरासिम भी टूटे
कंजूसी करते हैं सारे थोड़ा प्यार दिखाने में
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उनकी फ़ितरत कैसी होगी ये अंदाज़ा मुश्किल है
जिनको खूब मज़ा आता है गहरी चोट लगाने में
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वादा पूरा करना अपना इस सावन में आने का
वरना दिलबर क्या रक्खा है सावन आने जाने में
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बात…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 23, 2019 at 7:30am — 6 Comments
ये ज़ीस्त रोज़ सूरत-ए-गुलरेज़ हो जनाब
राह-ए-गुनाह से सदा परहेज़ हो जनाब
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मंज़िल कहाँ से आपके चूमें क़दम कभी
कोशिश ही जब तलक न जुनूँ-ख़ेज़ हो जनाब
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क्या लुत्फ़ ज़िंदगी का लिया आपने अगर
मक़सद ही ज़िंदगी का न तबरेज़ हो जनाब
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मुमकिन कहाँ कि ज़िंदगी की पीठ पर कभी
लगती किसी के ग़म की न महमेज़ हो जनाब
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उस जा पे फ़स्ल बोने की ज़हमत न कीजिये
जिस जा अगर ज़मीं ही न ज़रखेज़ हो…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 15, 2019 at 4:00pm — 2 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 10, 2019 at 12:00am — 2 Comments
ग़ज़ल(२२१ २१२१ १२२१ २१२ )
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रब है ज़रूर आपको दिखता भले न हो
हर सू है नूर आपको दिखता भले न हो
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होता ज़रूर है किसी में कम किसी में ख़ूब
दिल का गुरूर आपको दिखता भले न हो
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जोश-ओ-जुनून से किये हासिल कई मुक़ाम
होता फ़ितूर आपको दिखता भले न हो
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मौज़ूदगी है उनकी तसव्वुर में आपके
जलवा-ए-हूर आपको दिखता भले न हो
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अनजान कोई रह सके क्या उसके दर्द से
दिल चूर चूर आपको दिखता भले न हो
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हर वक़्त डोलता रहे…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 6, 2019 at 11:30pm — 3 Comments
कभी देखा नहीं सुनते रहे सैलाब आएगा
हमारे गाँव की चौपाल तक अब आब आएगा
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खिलौना जानकर कुछ लोग उसको तोड़ डालेंगे
अगर तालाब की तह में उतर महताब आएगा
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हमेशा ख़्वाब देखें और मेहनत भी करेंगे तो
हक़ीक़त में उतर कर एक दिन वो ख़्वाब आएगा
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नहीं था इल्म हमको ये कि जिस फ़रज़न्द को पाला
वही बेआब करने सूरत-ए-कस्साब आएगा
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ग़रीबी से दिलाएगा निज़ात अब कौन और कैसे
अमीरी का रियाया को कभी क्या ख़्वाब आएगा …
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on September 2, 2019 at 11:00pm — 5 Comments
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