वो बैठा दिल में आन सलीके से
फिर ले ली मेरी जान सलीके से
यूँ ही पहले थोड़ी सी बात हुई
बन बैठे फिर अरमान सलीके से
पल भर को पहलू में आओ चन्दा
इतना तो कर अहसान सलीके से
काफी है पलकों का उठना गिरना
तू नैन कटारी तान सलीके से
दिल की दुनिया लूट गईं दो आँखें
फिर होती हैं हैरान सलीके से
कोने की उस जर्जर अलमारी में
रख छोड़े कुछ अरमान सलीके से
जिनको थी लाज बचानी कलियों की
बन…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2018 at 5:00pm — 18 Comments
इस ग़ज़ल के साथ ओबीओ परिवार को नवरात्री की शुभकामनाएं.. जय माता की
फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन
हर कली में देवियों का वास हो
पत्थरों को दर्द का अहसास हो
फिर कोई अवतार आये भूमि पे
निश्चरों को मृत्यु का आभास हो
लाज की मारी न रोये द्रोपदी
अब नहीं वैदेही को वनवास हो
पीर की तासीर जाओगे समझ
लुट चुका कोई तुम्हारा खास हो
बात इतनी सी समझते क्यों नहीं
घात मिलती है जहाँ बिस्वास हो
(मौलिक एवं…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 11, 2018 at 12:30pm — 17 Comments
किसलिये हैं नैन घायल
आँसुओं से तर-ब-तर?
फिर किसी सुनसान कोने
चीख कोई जो उठी
रात की खामोशियों में
रातरानी रो उठी
दानवी अट्टाहसों में
आह तड़पी घुट गई
टूटती साँसें समेटे
लड़खड़ाती वो उठी
इस कदर बरपी क़यामत
बन गई मातम सहर
इसलिये हैं नैन घायल
आँसुओं से तर-ब-तर
है नहीं जग में ठिकाना
आँख जाए नीर का
मोल कोई दे सकेगा
वेदना का पीर का
जिस नज़र पे था भरोसा
घात भी उससे मिली
हाथ…
Added by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 4, 2018 at 6:00pm — 20 Comments
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