For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sanjiv verma 'salil''s Blog – October 2012 Archive (7)

विचित्र किन्तु...: 'आत्मा' का वजन सिर्फ 21 ग्राम

विचित्र किन्तु ...:

'आत्मा' का वजन सिर्फ 21 ग्राम !

 

इंसानी आत्मा का वजन कितना होता है? 

 

इस सवाल का जवाब तलाशने के लिये 10 अप्रैल 1901 को अमेरिका के…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 21, 2012 at 8:45am — 7 Comments

कजरी गीत: गौरा वंदना --संजीव 'सलिल'

कजरी गीत:

गौरा वंदना

संजीव 'सलिल'

*

गौरा! गौरा!! मनुआ मानत नाहीं, दरसन दै दो रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!! तुम बिन सूना है घर, मत तरसाओ रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!!  बिछ गये पलक पाँवड़े, चरण बढ़ाओ रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!! पीढ़ा-आसन सज गए, आओ बिराजो रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!! पूजन-पाठ न जानूं, भगति-भाव दो रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!! कुल-सुहाग की बिपदा, पल में टारो रे गौरा!

*

गौरा! गौरा!! धरती माँ की कैयाँ हरी-भरी हो रे गौरा!…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 18, 2012 at 11:00am — 1 Comment

लेख: हमारे सोलह संस्कार --संजीव 'सलिल'

लेख:

हमारे सोलह संस्कार

संजीव 'सलिल'

*

अर्थ:

'संस्कारो हि नाम संस्कार्यस्य गुणकानेन, दोषपनयेन वा' अर्थात गुणों के उत्कर्ष तथा दोषों के अपकर्ष की विधि ही संस्कार है।

शंकराचार्य के ब्रम्ह्सूत्र के अनुसार किसी वस्तु, पदार्थ या आकृति में गुण, सौंदर्य, खूबियों को आरोपित करना / बढ़ाना  तथा उसकी त्रुटियों, कमियों, दोषों को हटाने / मिटने का नाम संस्कार है।

संस्कृत भाषा में प्रयुक्त क्रिया (धातु) 'कृ' के पूर्व सम उपसर्ग तथा पश्चात् 'आर' कृदंत के संयोग से बने इस शब्द…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 16, 2012 at 10:09pm — 1 Comment

दोहा सलिला: सूत्र सफलता का सरल --संजीव 'सलिल'

दोहा सलिला:



सूत्र सफलता का सरल



संजीव 'सलिल'

*

सूत्र सफलता का सरल, रखें हमेशा ध्यान।

तत्ल-मेल सबसे रखें, छू लें नील वितान।।

*

सही समन्वय से बने, समरस जीवन राह।

सुख-दुःख मिलकर बाँट लें, खुशियाँ मिलें अथाह।।

*

रहे समायोजन तभी, महके जीवन-बाग़।

आपस में सहयोग से,…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 15, 2012 at 8:00pm — 6 Comments

मानव मणि: नर से नारायण - स्वामी विवेकानंद -संजीव 'सलिल'

मानव मणि:

नर से नारायण - स्वामी विवेकानंद

संजीव 'सलिल'


*



'उत्तिष्ठ, जागृत, प्राप्य वरान्निबोधत।'  



'उठो, जागो और अपना लक्ष्य प्राप्त करो।' 



'निर्बलता के व्यामोह को दूर करो, वास्तव में कोई दुर्बल नहीं है। आत्मा अनंत, सर्वशक्ति संपन्न और सर्वज्ञ  है। उठो! अपने वास्तविक रूप को जानो…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 14, 2012 at 4:51pm — 4 Comments

मुक्तिका; बेवफा से ... संजीव 'सलिल'

मुक्तिका;

बेवफा से ...

संजीव 'सलिल'

*

बेवफा से दिल लगा के, बावफा गाफिल हुआ। 

अधर की लाली रहा था, गाल का अब तिल हुआ।।



तोड़ता था बेरहम अब, टूटकर चुपचाप है।

हाय रे! आशिक 'सलिल', माशूक का क्यों दिल हुआ?



कद्रदां दुनिया थी जब तक नाश्ते की प्लेट था।

फेर लीं नजरों ने नजरें, टिप न दी, जब बिल हुआ।।



हँसे खिलखिल यही सपना साथ मिल देखा मगर-

ख्वाब था दिलकश,  हुई ताबीर तो किलकिल हुआ।।



'सलिल' ने माना था भँवरों को  कँवल का मीत पर-

संगदिल…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 11, 2012 at 7:59pm — 8 Comments

शब्द-तर्पण: माँ-पापा संजीव 'सलिल'

शब्द-तर्पण:

माँ-पापा

संजीव 'सलिल'

*

माँ थीं आँचल, लोरी, गोदी, कंधा-उँगली थे पापाजी.

माँ थीं मंजन, दूध-कलेवा, स्नान-ध्यान, पूजन पापाजी..

*

माँ अक्षर, पापा थे पुस्तक, माँ रामायण, पापा गीता.

धूप सूर्य, चाँदनी चाँद,  चौपाई माँ, दोहा पापाजी..

*

बाती-दीपक, भजन-आरती, तुलसी-चौरा, परछी आँगन.

कथ्य-बिम्ब, रस-भाव, छंद-लय, सुर-सरगम थे माँ-पापाजी..

*

माँ ममता, पापा अनुशासन, श्वास-आस, सुख-हर्ष अनूठे.

नाद-थाप से, दिल-दिमाग से, माँ छाया तरु थे…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on October 6, 2012 at 3:01pm — 9 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
14 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
19 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
20 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
21 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service