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Sarita Bhatia's Blog – October 2013 Archive (10)

लगा अब दांव पर परिवार का सम्मान है /

1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2



लबों से आज गायब हो गई मुस्कान है

अजब सी अब परेशानी लिए इन्सान है /

कभी तो दिन भी बदलेंगे ,मिलेगा चैन तब

दुखों का अंत होगा तब यही अनुमान है /

गिले शिकवे यूँ अब हावी हुए रिश्तों पे हैं

लगा अब दांव पर परिवार का सम्मान है /

किसे अपना कहें किसको पराया हम कहें

यहाँ हर चेहरे की अब छुपी पहचान है /

रचे हैं साजिशें गहरी मगर अब सोचते

जफ़ा पाकर खुदी का डोलता ईमान है…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 29, 2013 at 1:45pm — 18 Comments

कुण्डलिया

रावण अंतस में जगा ,करता ताण्डव नृत्य
दमन करें इसका अगर फैले नहीं कुकृत्य/
फैले नहीं कुकृत्य ,सख्त कानून बनायें
पूजनीय हो नार,इसे सम्मान दिलायें
करना ऐसे काम ,धरा हो जाए पावन
अंतरमन हो शुद्ध, नहीं हो पैदा रावण //

...................................................

..........मौलिक व अप्रकाशित...............

Added by Sarita Bhatia on October 26, 2013 at 6:00pm — 6 Comments

कुण्डलिया

रावण जितने देश में घूम रहे हैं आज
हर बाला सहमी हुई, फैला रावण राज
फैला रावण राज, माँ बहनों को बचाओ
कपटी, नेता, भ्रष्ट ,जेल इन्हें पहुँचाओ
नहीं जमानत होय, बेल लें पापड़ कितने
घूम रहे हैं आज देश में रावण जितने //

.............मौलिक व अप्रकाशित ........

Added by Sarita Bhatia on October 25, 2013 at 1:38pm — 15 Comments

दिले नादान आ जाना [ गजल ]

दिले नादाँ  पिया आना
दिले महफिल सजा जाना /

दिलों के जख्म सीले हैं
उन्हें मरहम लगा जाना /


सनम यह बेरुखी क्यों है ?
जरा आकर बता जाना /

सनम मुझसे खफा क्यों हो ?
वो हाले दिल सुना जाना /

नहीं तकरार करना अब
करें इज़हार आ जाना /

अभी मजबूरियां क्या हैं ?
कहे सरिता बता जाना //

..................................

    मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 15, 2013 at 1:30pm — 16 Comments

गजल

2 1 2 2  2 1 2 2   2 2 1 2 

तेरी मैं परछाई , तुम हो मेरी पिया

अब कहीं लागे नहीं तुम बिन यह जिया/

आसमाँ से है उँचा,सागर से गहन

ऐसा सच्चा प्यार हमने तुमको किया/

चाँद तुम मेरे अगर, मैं हूँ चाँदनी

ऐसा है अपना मिलन ओ मेरे पिया/

आइना तुम हो अगर मैं तस्वीर हूँ

अक्स तुझमें मेरा ही है दिखता पिया

तुम अगर दीया हो तो 'बाती' हूँ तेरी

हैं अधूरे एक दूजे बिन ओ पिया/

मैं समाई सिन्धु में जैसे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 10, 2013 at 11:30am — 9 Comments

कुण्डलियाँ [ माँ ]

मैया दस्तक दे रही ,खोलो मन के द्वार

मात कृपा से हो सदा ,हर सपना साकार //

हर सपना साकार ,जा कर द्वार पर कर लो

देती माँ आशीष , झोलियाँ खाली भर लो

सरिता करे पुकार ,तार माँ सबकी नैया

दे दर्शन चढ़ शेर ,सदा जगदम्बे मैया//

तेरे दर पर हूँ खड़ी,नतमस्तक कर जोड़

सर पर रखना हाथ माँ, दुख जाएँ दर छोड़

दुख जाएँ दर छोड़ ,हो साकार हर सपना

रहे न पारावार दो आशीष माँ अपना

भेंट करो स्वीकार, कब से लगाती फेरे

दर्शन देदो मात ,दर पर खड़ी मैं तेरे…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 8, 2013 at 11:01am — 16 Comments

कुण्डलियाँ [मेरा परिचय]

कहते सब सरिता मुझे ,बढती हूँ निष्काम
जीवन के पथ हैं कठिन, चलते रहना काम
चलते रहना काम, नहीं रोके रुक पाती
शत्रु सामने देख , सहज दुर्गा बन जाती
मेरा शील स्वभाव , भाव हैं मुझमें बहते
मैं जीवन का स्रोत मुझे सब सरिता कहते //

....................................................

        मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 6, 2013 at 10:01am — 23 Comments

बागबां [लघुकथा]

साथ वाले सहगल साहिब यश जी से बोले घई जी के पिता हस्पताल में हैं यश जी ने कहा कल तो मेरे पास बैठे थे बेचारे परेशान थे ,पूछ रहे थे मुझे यहाँ आए हुए कितने दिन हो गए मैंने कहा मालूम नहीं उन्होंने फिर जिद्द करके पूछा फिर भी अंदाजा मुझे आए हुए कितना समय हो गया है ,मैंने कहा लगभग एक महीना हुआ होगा तो बोले फिर वो [छोटा बेटा] मुझे लेने क्यों आ रहा है? अभी दो महीने तो नहीं हुए हैं यह क्यों भेज रहे हैं मुझे इसी उधेड़बुन में शायद वो सुबह तक उठ ही नहीं पाए ,उनके एक हिस्से ने काम करना बंद कर दिया था और…

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 5, 2013 at 11:30pm — 20 Comments

सुनाई शंख देता है यहाँ शुभ काम से पहले

1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2 2  1 2 2  2

चढा दी हसरतें सूली किसी ईनाम से पहले//

नमन है उन शहीदों को सदा आवाम से पहले//



बने आजाद परवाने कफ़न को सिर पे बांधा था

वतन पर जान देते थे किसी अंजाम से पहले //



भुला सकते न कुर्बानी वतन पर मर मिटे हैं जो

ज़माना सर झुकाएगा खुदा के नाम से पहले//

शहादत व्यर्थ उनकी यूँ नहीं अब तुम करा देना

नसीहत मानना उनकी किसी कुहराम से पहले//



वफ़ा कैसे निभानी सीखलो अपने वतन से तुम …

Continue

Added by Sarita Bhatia on October 3, 2013 at 8:00pm — 24 Comments

कुण्डलियाँ [ जीवन ]

जीवन के पथ हैं सरल ,अगर सही हो सोच
जीवन की इस दौड़ में ,आती रहती मोच /
आती रहती मोच ,बैठ कर रुक मत जाना
आगे की लो सोच लक्ष्य जल्दी यदि पाना
अगर सारथी कृष्ण दौड़ते जीवन रथ हैं
यदि हौंसले बुलंद, सरल जीवन के पथ हैं//

..........................

मौलिक व अप्रकाशित 

Added by Sarita Bhatia on October 1, 2013 at 11:30am — 16 Comments

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