2122---2122---2122---212 |
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दौर बदला है, बदल जा, ऐ सुखनवर साथ चल |
सोचता है जिस जबां में, उस जबां में लिख ग़ज़ल |
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जिंदगी बदलाव है...... गर थम गए… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 29, 2015 at 2:44pm — 36 Comments
22—22—22—22—22—2 |
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गुलशन में फिर भौंरा आया, बढ़िया है |
फूलों से काटों का नाता, बढ़िया है |
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आज उफ़क तक सरसों देखी, दिल बोला-… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 4:03pm — 15 Comments
2122---2122---2122---212 |
धूप की तकसीम में कुछ तो हुआ है देखना |
आज फिर सूरज सवालों में घिरा है देखना |
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नीम के ये जर्द पत्ते आंसुओं-से झर गए |
इस फिज़ा की आँख में कंकड़… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 21, 2015 at 3:03pm — 9 Comments
2122-- 1122 --1122 –112 |
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बंदगी जिनका सफीना था, वही पार गए |
नाखुदाओं पे भरोसा जो किया, हार गए |
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अम्न के वास्ते इस पार से उस पार गए… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 20, 2015 at 1:32am — 13 Comments
1222---1222---122 |
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जरा सा पास आकर देख तो लो |
कभी पलकें उठाकर देख तो लो |
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अगरचे तिश्नकामी गम बहुत है |
उसे आँसू… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 19, 2015 at 2:08am — 18 Comments
2122 – 2122 – 2122 – 212 |
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चाँदनी जब रात, गुमसुम क्यों नदी का तीर है? |
मौन है जल किसलिए, पूछो कि क्यों गंभीर है? |
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प्यार के झुरमुट अंधेरों से लिपट सोते… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 15, 2015 at 2:44pm — 12 Comments
212—-212---212---212 |
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पूछते रह गए आप क्या कर चले? |
वो मेरी जिंदगी हादसा कर चले. |
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गुमटियाँ शह्र से जो हटा कर चले… |
Added by मिथिलेश वामनकर on October 14, 2015 at 4:30pm — 23 Comments
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