Added by shashi purwar on October 15, 2013 at 3:30pm — 14 Comments
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१६ / ९ /१३
मौलिक और अप्रकाशित
Added by shashi purwar on October 5, 2013 at 5:00pm — 12 Comments
फूल बागों में खिले ये सबके मन को भाते है
मंदिरों के नाम पर ये रोज तोड़े जाते है .
फूल माला में गुथे या केश की शोभा बने
टूट कर फिर डाल से ये फूल तो मुरझाते है
फूल का हर रंग रूप तो सुरभि भी पहचान है
फूल डाली पर खिले तो भौरों को ललचाते है
फूल चंपा के खिले या फिर चमेली के खिले
फूल सारे बाग़ के मधुबन को ही महकाते है
भोर उपवन की देखो तितली से ही गुलजार हुई
फूलों का मकरंद पीने भौरे भी मंडराते है
पेड़ पौधो से सदा…
Added by shashi purwar on October 5, 2013 at 5:00pm — 13 Comments
Added by shashi purwar on October 1, 2013 at 3:01pm — 18 Comments
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