नशाख़ोरी
करते हैं जन जो नशा, होता उनका नाश
तिल-तिल गिरते पंक में, बनते हैं अय्याश
बनते हैं अय्याश, नष्ट कर कंचन काया
रिश्तों को कर ख़ाक बनें लगभग चौपाया
छपती खबरें रोज न जाने कितने मरते
युवा वर्ग गुमराह नशा जो हर दिन करते।।1
जरदा गुटखा पान सँग, बीड़ी औ' सिगरेट
अब यह कैसे बन्द हो, इस पर करें डिबेट
इस पर करें डिबेट, किया क्या हमने अब तक
आसानी से नित्य पहुँचता क्यों यह सब तक
बालक, वृद्ध, जवान न करते इनसे…
Added by नाथ सोनांचली on November 28, 2019 at 7:30pm — 8 Comments
घर में किसी बुजुर्ग ने, दिया आप को नाम
नाम बड़ा अब कीजिये, करके अच्छे काम
करके अच्छे काम, बढ़े कद जिससे अपना
जग हित हो हर श्वांस, बड़ा ही देखें सपना
पद वैभव सम्मान, ख्याति हो दुनिया भर में
उत्तम जन कुलश्रेष्ठ, आप ही हों हर घर में।।
जह्र फिजा में है घुला, नगर शहर या गाँव
बाग बगीचे काट कर, खोजे मानव छाँव
खोजे मानव छाँव, भला अब कैसे पाए
जब खुद गड्ढा खोद, उसी में गिरता जाए
धुन्ध धुँआ बारूद, बहें मिल खूब हवा में
कैसे लें अब साँस, घुला जब…
Added by नाथ सोनांचली on November 7, 2019 at 10:30pm — 8 Comments
अर्चन करने सूर्य का, चले व्रती सब घाट
छठ माँ के वरदान से, दमके खूब ललाट
दमके खूब ललाट, प्रकृति से ऊर्जा मिलती
हो निर्जल उपवास, मगर मुख आभा खिलती
शाम सुबह देें अर्घ्य, करें यश बल का अर्जन
चार दिनों का पर्व, करें सब मन से अर्चन।।
पूजा दीनानाथ की, डाला छठ के नाम
अस्त-उदय जब सूर्य हों, करते सभी प्रणाम
करते सभी प्रणाम, पहुँच कर नदी किनारे
भरकर दउरा सूप, अर्घ्य दें हर्षित सारे
प्रकृति प्रेम का पर्व, नहीं है जग में दूजा
अन्न…
Added by नाथ सोनांचली on November 2, 2019 at 10:00pm — 6 Comments
आता है जब न्यूज़ में, होता कष्ट अपार
रख आश्रम माँ बाप को, बेटा हुआ फरार
बेटा हुआ फरार, तनिक भी क्षोभ न जिसका
होगा वह भी वृद्ध, कभी पर भान न इसका
रिश्तों का इतिहास, स्वयम् को दुहराता है
ख़ुद पे गिरती गाज़, समझ में तब आता है।।
मौलिक व अप्रकाशित
Added by नाथ सोनांचली on November 1, 2019 at 11:11am — 9 Comments
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