पानी हमको पीना है
मिनरल या फिर फ़िल्टर
साफ़ पानी सुरक्षित पानी
खुद का बर्तन खुद का पानी||
पानी बड़ा या प्यास ?
विषय है ये बेहद ही ख़ास
प्यास है एक स्वाभाविक सी क्रिया
प्यास सभी को जगती है||
कभी मिल जाता पानी तो
कभी सूखे से तपती है
प्यास है तन के प्यास है मन की
प्यास आँखों की प्यास कुछ पाने की||
पानी चाहिए मीठा मीठा
हो तो फ़िल्टर या फिर मिनरल
प्यासा जब मरने को…
ContinueAdded by sarita panthi on November 25, 2014 at 9:42am — 7 Comments
स्त्री को चाह होने लगी स्त्री की
पुरुष कर रहा पुरुष से प्यार
कैसे तो ये संभव है
और कैसे हो जाता इकरार||
स्वभाविक सी अभिव्यक्ति है ?
या सामाजिक वर्जनाओं को तिरस्कृति है?
ईश्वर का तो नही रहा होगा ऐसा कोई अभिप्राय
प्यार के नये नये रूप देते दिल हिलाए||
स्त्री और पुरुष का अनमोल अनूठा जोड़
सृष्टि टिकी है इस रिश्ते पर कैसे कोई सकता तोड़
वासनाओं के दिख रहे नित नए ही रूप
इश्क हो रहा शर्मिंदा प्यार दिख रहा…
ContinueAdded by sarita panthi on November 24, 2014 at 9:53am — 7 Comments
छुपा ना सकोगे मेरी चाहत को
यूँ नजरें चुराने से
धडकता है दिल तुम्हारा
मेरे ही बहाने से
पलभर का ही साथ है
या पल दो पल की बात है
यूँ ही तो नही
तुमसे हुई मुलाकात है
धडकता है दिल मेरा
तेरी ही धड़कन से
मौन है सारे शब्द
बोलते नयन है नयन से
बहुत सम्हाला इस दिल को
पर होकर रहा बेकाबू
दिल के हाथों है मजबूर
जा नही सकते तुझसे दूर
जाने किससे हुई खता
जाने किसका है क़ुसूर
सरिता पन्थी…
ContinueAdded by sarita panthi on November 14, 2014 at 8:30pm — 5 Comments
ठूँठ
था हराभरा मेरा संसार
खुशियाँ लगती थी मेरे द्वार
हरी हरी मेरी शाखायें
फूल पत्ते भरकर इठलाये||
मेरा जीवन उनसे था और
उन सब से ही में जीता था
छांव पथिक सुस्ता लेता था
थकन अपनी बिसरा देता था||
समय ने ऐसा खेल दिखाया
दूर हो गयी मेरी ही छाया
छोड़ गये सब मुझको मेरे
एक एक कर देर सबेरे||
कद मेरा यूँ हुआ बढ़ा
रह गया आज अकेला खड़ा
रूप…
ContinueAdded by sarita panthi on November 12, 2014 at 7:49am — 10 Comments
बाहोँ के अपनी वो के हार दे दो
प्यार भरे सोलह श्रंगार दे दो||
खिल जाए बगिया वो बहार दे दो
बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||
भड़क जाये शोले वो आग दे दो
नाचे मेरा मन वो राग दे दो||
बजे दिल में सरगम को साज दे दो
बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||
उड़ जाऊ तुम संग वो परवाज दे दो
कदमो तले तुम ये आकाश दे दो||
मर जाऊ तुम पे ये विश्वाश दे दो
बस मुझे थोडा सा तुम प्यार दे दो ||
हाथो का अपने वो…
ContinueAdded by sarita panthi on November 6, 2014 at 9:00am — 7 Comments
दिल ये बेईमान सताता है
हर पल भटकना चाहता है
डोरी है प्यार की नाजुक सी
कच्ची है कह धमकाता है
हलकी सी भी हवा मिले तो
हवा के संग बह जाता है
लग जाये ना गैरों की नजर
इस डर से छुपाकर रखा है
मैं लाख सम्हालूँ जतन करूँ
मुझको ही भ्रम दे जाता है
देखूं तो दुनिया…
Added by sarita panthi on November 2, 2014 at 10:00pm — 10 Comments
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