Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 31, 2012 at 7:30pm — 13 Comments
दामिनी गयी दुनिया से देख,
क्या विधाता का यह लेख है |
बेटी पूछती अपना कसूर,
क्यां इंसानियत कुछ शेष है।
बेटे में ऐसा क्या है अलग,
जो देता दर्जा उसे विशेष है।
क्यों न सख्त सजा अपराध की,
गर तराजू करता इन्साफ है ।
मूक है शासक चादर ताने,
हैवानियत छू रही आकाश है ।
मानवता पर लग रहा कलंक,
सभ्य समाज का पर्दाफाश है ।
कानून बना है, और बन जाएगा,
उससे क्या संस्कार आ जायेगा।
समाज और सरकार अब जानले,
नैतिक शिक्षा जरूरी यह…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 29, 2012 at 6:30pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 22, 2012 at 11:00am — 18 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 20, 2012 at 3:46pm — 8 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 16, 2012 at 2:25pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 14, 2012 at 12:30pm — 4 Comments
निज मकान प्राप्त करे,कर कर्जे का भार,
क्रेडिट कार्ड से भी ले,अब आसान उधार।
क्रेडिट कार्ड बोझ तले,नित दबता ही जाय ,
इस…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 11, 2012 at 6:30pm — 10 Comments
धरती माँ ही पालती, रख नारी का मान,
यही रहेगी संपदा, कर नारी के नाम ।
बहती नदी सी नारी, दूजे घर को जाय,
अपनावे ता उम्र ही, घर उसका हो जाय ।
ममता भाव की भूखी, केवल चाहे मान,
रुखी सूखी पाय भी, घर की रखती शान ।
झेल रही है बेटियाँ, अपना सब अपमान,
बाँध टूटता सब्र का, तुझे न इसका भान ।
नारी का सम्मान करे, तब घर का तू नाथ,
दूजे घर को छोड़ कर, पकड़ा तेरा हाथ ।
लड़के की ही चाह में, सहन किया है पाप,
भ्रूण हत्या पाप करे, झेले फिर संताप…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 7, 2012 at 11:00am — 12 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 4, 2012 at 7:00pm — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2012 at 1:30pm — 14 Comments
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