For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – December 2018 Archive (7)

ग़ज़ल: है कितना मुझ पे तुम्हारा क़याम लिख देना।....(६ )

(1212 1122 1212 22 ) 

है कितना मुझ पे तुम्हारा क़याम लिख देना 

उठे जो दिल में वो बातें तमाम लिख देना 

**

ज़रा सा हाशिया आगाज़ में ज़रूरी है 

ख़ुदा का नाम ले ख़त मेरे नाम लिख देना 

***

मुझे बताना कि क्या चल रहा है अब दिल में 

गुज़र रही है तेरी कैसे शाम लिख देना 

***

तरीका और भी है बात मुझ तलक पहुँचे 

हवा के हाथ…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 29, 2018 at 11:00am — No Comments

ये  मिला सिला हमें तुम्हारे एतबार का

आज पेश है एक नगमा --

*

ये  मिला सिला हमें तुम्हारे एतबार का

कारवाँ लुटा लुटा सा रह गया है प्यार का

*

न तुम हमारे हो सके न और कोई हो सका

ग़रीब का नसीब तो न जग सका न सो सका

न भूल हम सके सनम कभी तुम्हारी बुज़दिली

कि कोशिशों से भी कभी कली न दिल की फिर खिली

मौसम-ए-ख़िज़ाँ ने घोंट डाला दम बहार का

कारवाँ लुटा लुटा सा रह गया है प्यार का

*

यक़ीन कैसे हम करें कि ज़िंदगी में तुम नहीं

सुकून के हसीन पल हमारे खो गए कहीं

जिधर भी…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 28, 2018 at 10:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल: बारम्बार सियासत की क्या (५ )

( 22 22 22 22 22 22 22 2 )

***

बारम्बार सियासत की क्या यह नादानी अच्छी है ? 

धर्मों की आपस में क्या आतिश भड़कानी अच्छी है ? 

***

रखना दोस्त बचाकर मोती कुछ ख़ुशियों की  ख़ातिर भी 

छोटे मोटे ग़म पर आती क्या तुग़्यानी* अच्छी है ?(*बाढ़ )

***

सोचा समझा था पुरखों ने फिर कानून बनाये कुछ 

आज़ादी की ख़ातिर तन की क्या उर्यानी* अच्छी है…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 27, 2018 at 11:30am — 8 Comments

गर मीर* ही न ध्यान रखेगा अवाम का। .....(४)

गर मीर* ही न ध्यान रखेगा अवाम का (*नायक )

फिर क्या करे अवाम भी ऐसे निज़ाम का 

***

अब तक न याद आई थी उसको अवाम की 

क्या रह गया यक़ीन फ़क़त आज राम का 

***

दौलत कमाई ख़ूब मगर इतना याद रख-

"बरकत नहीं करे कभी पैसा हराम का "

***

बेकार तो जहाँ में नहीं जिन्स* कोई भी (*वस्तु )

गर्द-ओ-गुबार भी कभी होता है काम…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 26, 2018 at 2:30pm — 14 Comments

ग़ज़ल:पुरखार रहगुज़र है चलना सँभल सँभल के......(३)

(221 2122 221 2122 )



पुरखार रहगुज़र है चलना सँभल सँभल के

आसाँ नहीं निभाना मत लेना इश्क़ हल्के

***

सच कह रहे हैं हमने देखा बहुत ज़माना

रह जाएँ आग में सब आशिक़ कहीं न जल के

***

दम तोड़ती यहाँ पर आई नज़र है हसरत

देखे हैं लुटते अरमाँ हर पल मचल मचल के

***

जो चाहते हैं अपना चैन-ओ-सुकून खोना

मैदाँ में वो ही आये हाथों में थूक मल के

***

अक़्सर यहाँ पे पड़ता मिर्गी के जैसा दौरा

कटती है रात सारी करवट बदल बदल के

***…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 24, 2018 at 11:30am — 6 Comments

ग़ज़ल --ज़मीँ थे तुम मुहब्बत की.......(२)

ज़मीँ थे तुम मुहब्बत की तुम्हीँ गर आस्माँ होते 

हमारे ग़म के अफ़साने ज़माने से निहाँ* होते (*छुपे हुए )

***

बने हो गैर के ,रुख़्सत हमारी ज़ीस्त से होकर 

न देते तुम अगर धोका हमारे हमरहाँ* होते (*हमसफर )

***

तुम्हारी आँख  की मय को अगर पीते ज़रा सी हम 

तुम्हीं साक़ी बने होते तुम्हीं पीर-ए-मुग़ाँ* होते(*मदिरालय का प्रबंधक ) 

***

बनाया हिज़्र को हमने…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 23, 2018 at 2:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल--फरेब ओ झूठ की यूँ तो सदा.......(१)

बह्र -बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम

अरकान -मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन 

मापनी-1222 1222 1222 1222

***

फरेब-ओ-झूठ की यूँ तो सदा जयकार होती है,

मगर आवाज़ में सच की सदा खनकार होती है।

**

हुआ क्या है ज़माने को पड़ी क्या भाँग दरिया में 

कोई दल हो मगर क्यों एक सी सरकार होती है 

***

शजर में एक साया भी छुपा रहता है अनजाना

मगर उसके लिए…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on December 21, 2018 at 5:00pm — 15 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2020

2019

2018

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
3 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
15 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
21 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service