Added by Ram Ashery on September 11, 2021 at 9:30pm — 2 Comments
आज अपने मकसद को पाने में हम होगें कामयाब
मन में रख विश्वास, महामारी से जंग जीत जायेगें
कुदरत के सिद्धांतों पर जब हम चलना सीख जायेगें
जीवन में हम जैसा फल बोयेगें वैसा ही फल खायेगें
आज नहीं तो कल,लोग अपनी गलती समझ जायेगें
आज अपने मकसद को पाने में हम होगें कामयाब ॥
छल कपट राग द्वेश छोड जब जीना सीख जायेगें
लालच त्याग कर, दूसरों के दुख को समझ पायेगें
जिस दिन हम अपनी कमजोरी को ताकत बनायेगें
तभी कोरोना पर अपनी विजय का जश्न मनायेगें
आज अपने मकसद को…
Added by Ram Ashery on May 16, 2021 at 8:30am — No Comments
लेन देन जगत में, कुदरत रखे सब हिसाब ।
मिलता न कुछ मुफ्त में, हम हो कामयाब ॥
अपने आतीत से सीख लें,
पलटकर देख लो इतिहास
मुसीबतों से कुछ सबक ले,
रख सुखी भविश्य की आस ।
हर बाधा की दिशा मोड दो,
कर जीवन में सतत प्रयास ।
विपत्ती में धैर्य से निर्णय लें,
ह्र्दय जगे सफलता की आस ।
मन में जगा विश्वास, आंखों से देखे ख्वाब !
टूटे न मन से आस, लोग होगें कामयाब !!
वक्त रहते आज तू संवार ले,
कल तेरा होगा न उपहास ।
दुख में हिम्मत हार…
Added by Ram Ashery on May 15, 2021 at 9:30am — No Comments
हमारा आज और कल एक सिक्के के दो पहलू हैं
सुनहरे कल के लिए आज की बलि मत चढ़ा दो
माना की आज ज़िंदगी कठिन है पर जीना जरूरी है
उसके लिए अपने भविष्य को बचाना है
तिनके का सहारा लेकर हमें जाना है उस पार ।
हिम्मत न हार तूफान से टकरा
अपने कल के लिए कठिन संघर्ष कर
आया भयंकर तूफान खतरे में जग जहान है
आशा की पतवार है किश्ती नदी मझधार है
हिम्मत न हार हमें जाना है उस पार ।
मंजिल पर दूर तक कोई नजर नहीं आता
छोटा है तो…
ContinueAdded by Ram Ashery on November 21, 2020 at 3:00pm — 2 Comments
जो डूब चुका है कंठ तक झूठ के सवालों में
उससे ही हम न्याय की उम्मीद लगा बैठे ।
देश आज फंस चुका है गद्दारों के हाथों में
हमारी आपसी मतभेद का फाइदा उठा बैठे ।
हमसे मांगते मंदिर का सबूत न्यायालय में
भारत में भी तालिबानी फरमान सुना बैठे ।
राम के मंदिर के लिए लड़ रहे न्यायालय में
सुबह की रोशनी में अपना अस्तित्व देख बैठे ।
आज न्यायालय ही खड़ा हो गया सवालों में
जो संविधान को अलग रख निर्णय ले बैठे ।
न्यायाधीस को शर्म नहीं…
ContinueAdded by Ram Ashery on August 24, 2019 at 8:30pm — No Comments
कागज की किस्ती और वर्षा का पानी,
वह बचपन की यादें हैं बहुत याद आती
आज रूठी गई दादी और वर्षा की रानी
न कहती है कहानी न बरसता है पानी॥
बच्चों को पता नहीं कैसे बहती है नाली
छतों से गटर में बहता, बरसा का पानी
गटर जब चोक हो ,सड़क पर बहे पानी
सड़के और गलियाँ नदियाँ बनके बहती ॥
वह कागज की किस्ती तभी याद आती
दादी की कहानी, रिमझिम बरसता पानी
बहुत याद आती वह बचपन की कहानी
माँ बाप को फुरसत कहाँ कहे जो…
ContinueAdded by Ram Ashery on August 18, 2019 at 3:00pm — 2 Comments
Added by Ram Ashery on March 24, 2018 at 4:42pm — 5 Comments
गर बनाना चाहते हो विकसित
वतन तो करनी होगी मेहनत ।
धरम जाति की दूर करो नफरत
सब आज मिलकर संवार लो किस्मत ।
मजदूर गरीब की किस्मत खोटी
प्रजातन्त्र में भी मिलती न रोटी ।
मरता किसान फसल हुई खोटी
घर में न अन्न कैसे बने रोटी ।
कर्ज में कृषक सरकार है सोती
ललित विदेश में चुन रहा मोती ।
अज्ञान है मिटाना करो सुनिश्चित
हर बालक हो आज करो सुशिक्षित ।
बज गया बिगुल जंग होना बाकी
खत्म हुइ रात सुबह होना बाकी ।
समता समाज में आना बाकी…
Added by Ram Ashery on March 23, 2018 at 4:00pm — 6 Comments
सुख
सुख! सुख! लोगों के जीवन में सुख है कहाँ
जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी दुखी हैं यहाँ
सुख हमारे जिंदगी में मृग तृष्णा जैसी है यहाँ
सदा हमसे दूर ही देखने में नजर आती यहाँ
अपने नेताओं को दौलत की खुशबू आती जहां
सभी अपने ईमान को बेचकर टूट पड़ते वहाँ
सभी लोग सुख खरीदने की कोशिस करते जहाँ
माँ बाप भाई बहन पैसे के आगे सब झूठे यहाँ
अपनों से लोग झूठ फरेब धोखा सब करते यहाँ
थोड़ी सुख के लिए लोग अंगारों पर चलते यहाँ
ज़िंदगी की नाव में परिवार…
Added by Ram Ashery on January 12, 2018 at 8:00pm — 1 Comment
(माँ रमा बाई को यह कविता समर्पित )
माँ रमा बाई जी को कोटि कोटि वंदन
आओ हम सब करें फूलों से अभिनंदन
वक्त की पुकार समर्पित कर दो तन मन
ज्ञान की ज्योति से प्रकाशित करो वतन
अब समाज में समता लाकर रहेगें हम
नफरत सभी के दिलों से निकाल देगें हम
उनके अधूरे काम को अब पूरा करेगें हम
अज्ञान को संसार से मिटा कर रहेगें हम
जीवन के हर क्षण में याद रहे यह प्रण
टूटे दिलों को जोड़ एक माला बनाएँ हम
खुशियाँ सभी के राह में सदा बिछाएँ…
ContinueAdded by Ram Ashery on May 27, 2017 at 3:00pm — 2 Comments
शिक्षा के पंख लगे जब मानव तन में
रंक बने राजा हमारे देश के शासन में
झूमता हृदय सबका खुशी से उमंग में
संभव है सब कुछ आज इस जगत में
धरती को नापे डाले मात्र एक क्षण में
सागर को कैद करले अपनी मुट्ठी में
हिमालय जीत का स्वप्न रखे मन में
अपने यश की पताका गाड़दे अंबर में
भ्रम सारे टूट जाएँ जो फैले समाज में
नफरत मिट जाएँ आपसी व्यवहार में
विकास की नदी बहा दे अपने देश में
समता की फसल खूब लहरे समाज में
आज ममता, भाईचारा दिखे समाज…
Added by Ram Ashery on February 17, 2017 at 2:30pm — 6 Comments
दुनिया में है अपना देश महान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ।
करुणा, दया,और धर्म से वंचित
मानवता को करते ये लज्जित
प्रभु के ऊपर खुद होते सुशोभित
कहते जग में हम सबसे विद्वान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
शील समाधि प्रज्ञा सबसे वंचित
सभी को पता है इनकी हकीकत
अज्ञानता से चलती है सियासत
वेद ज्ञान से विमुख ये पुरोहित
देश में चहुं दिश फैला अज्ञान
आज के पुजारी बन बैठे भगवान ॥
देव दासी प्रथा खूब थी…
ContinueAdded by Ram Ashery on February 4, 2017 at 5:30pm — 5 Comments
फूलों को प्यार से सुनाती है प्रेम धुन
उन्हीं पर लुटाती अपना सर्वस्य जीवन
बदले में फूलों को देती है नया जीवन
निभाते हैं रिश्ता ये दोनों सारा जीवन ॥
जो फूल हमारे जीवन लाते हैं खुशियाँ
मिटा देते गम भर देते हैं सारी खुशियाँ
भौरें और तितलियाँ बजाती हैं तालियाँ
बदले में जीवन भर करते हैं रंगरेलियाँ ॥
हम इंसानों को नहीं है जरा भी शरम
हम इन फूलों के प्रति कितने बेरहम
फूल तो क्या !कलियों पर नहीं रहम
कहीं भगवान के नाम पर करते…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 20, 2017 at 9:00pm — 6 Comments
कल हमारे समाज का सबसे श्रेष्ठ तबका ,
जो साक्षर कहलाते, आज निरक्षर हो गए ।
कूप मंडूप को ही जीवन का लक्ष्य समझा
आविष्कार कर न सके, वे गुलाम हो गए ।
समय की नजाकत को जिसने नहीं समझा,
ज्ञान का डंका बजाते, वे आज पीछे रह गए ।
इस बदलते जमाने में अपने को अलग रखा
विज्ञान के इस युग में वे अज्ञानी हो गए ।
खुद को सर्वश्रेष्ठ और दूसरों को मूर्ख समझा
वे दुनिया की इस दौड़ में सब पीछे रह गए ।
साथियों समय बदल रहा, नजाकत को समझो,
तुम…
ContinueAdded by Ram Ashery on January 14, 2017 at 12:00pm — 4 Comments
माँ की ममता कोई कल्पना नहीं,
ये सृष्टि संरचना की एक दास्तां
जो जन्म लेती अनंत गहराई में
पुष्पित,पल्लवित होती धरातल पर
एक कल्पतरु का सुंदर रूप लेकर
सदियों से चल रहा यह शिलशिला
ये हृदय से निकली प्यार ज्योति
सूर्य की रोशनी में हर दिन बढ़ती
बांधती सभी को एक प्रेम डोर में
अपने खुशियों की देती तिलांजली
नन्ही सी चिड़िया लड़ती साँप से
अपने प्राणों को संकट में डालकर
उसे बचाती मुसीबतों को झेलकर
उसके…
ContinueAdded by Ram Ashery on December 17, 2016 at 8:30pm — 5 Comments
बुद्धिजीवियों की एक ही हसरत
सुख समृद्धि को देश में है लाना ।
संभालकर रखना अपनी विरासत,
आपसी झगड़ों से सबको बचाना ।
इसके लिए खुद से करते कसरत
बिना किए कभी कोई भी बहाना ।
कोसों दूर रहती है इनसे मुसीबत
मिलती इन्हे खुशियों का खजाना ।
सभी लोग जानते इनकी हकीकत
आलसी सदा करते अनेकों बहाना ।
ऐसे लोगों की होती एक फितरत
दूसरों की कमी पर उंगली उठाना ।
समाज को दिखाते अपनी लियाकत,
समाज के सुधार से सदा मुंह…
ContinueAdded by Ram Ashery on December 10, 2016 at 9:30am — 4 Comments
गुरु भगवान से पहले आते सब जाते बलिहारी
ज्ञान का सूरज यहाँ निकलता नहीं रहे अज्ञानी
सूरज सादृश्य वह ज्ञान बांटते कोई नहीं शानी
शिक्षा एवं संस्कार बांटते यह है अमिट कहानी
सरकारी स्कूलों में अध्यापक करते हैं मनमानी
देश की प्रगति में बाधक पर कहलाते हैं ज्ञानी
ऐसे शिक्षक को दंड मिले तो नहीं कोई हैरानी
मानवता को शर्मिंदा कर बच्चों की करते हानी
बच्चों संग करते भेद भाव शिक्षा में आनाकानी
नादानों से करते दुर्व्यवहार सुनकर होती हैरानी …
ContinueAdded by Ram Ashery on September 17, 2016 at 3:00pm — 7 Comments
तेरी आँखों में मैंने देखी अपनी सूरत
तब से भूला जग में जीने की चाहत ॥
तेरी भोली मूरत का मैं पुजारी हो गया
तेरा दीवाना, परवाना मस्ताना हो गया
गलियों में तेरे घूमता आवारा हो गया
मैं सभी के नजरों में बदनाम हो गया ।
तेरी आँखों में मैंने देखी अपनी, सूरत
तब से भूला जग में जीने की चाहत ॥
भूलकर मैं सुध बुध मस्ताना हो गया
पतंगे की तरह मैं तेरा दीवाना हो गया
तेरे बिन मैं तो अब बेसहारा हो गया
सुबह शाम तेरी राह देखता रह गया…
ContinueAdded by Ram Ashery on September 16, 2016 at 3:30pm — 1 Comment
अंधेरे में रोशनी,
जीवन का सहारा ।
शाम को बिछड़ती,
जब सुबह निहारा ।
इधर जब पौ फटी,
तो देखो लो नजारा।
क्या जानवर, पक्षी,
सब दिखे बे सहारा।
कोई रहम न करता ,
क्या कानून निराला ।
भूखे इंसान की रोटी,
बेटी हजम कर डाला।
रोशनी की आस दिखती,
परंपरा का डर दे डाला ।
तन मन पर हजारों पीड़ा,
सहन करके भी जी लेता ।
अपनों का पेट भरता ,
अतीत को भूल जाता ।
मानवता को कलंकित…
ContinueAdded by Ram Ashery on May 14, 2016 at 1:00pm — 3 Comments
चिंचोली की दशा देखकर बाबा हम शर्मिंदा हैं
छद्म भेष में प्रतिद्वंदी समाज को धोखा देता है
स्ंग्रहालय के संरक्षण मे करते कितना खोट
कुर्सी के लालच में फंस समाज पे करते चोट
जर-जर होकर फट रही आज तेरी टाई कोट
तेरी निशानी मिटती देख बाबा हम शर्मिंदा है
चिंचोली की दशा देखकर बाबा हम शर्मिंदा हैं
छद्म भेष में प्रतिद्वंदी समाज को धोखा देता है
टंकण मशीन धूल खा रही मेरे कर्मो में खोट
भारत का संविधान लिख बाबा ने किया भेंट
तेरी धरोहर आज…
ContinueAdded by Ram Ashery on April 15, 2016 at 3:30pm — No Comments
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