Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 21, 2016 at 7:33pm — 7 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 16, 2016 at 9:13pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 15, 2016 at 5:16pm — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 6, 2016 at 10:30am — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 26, 2016 at 8:40pm — 2 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 22, 2016 at 11:21am — 9 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 15, 2016 at 5:50pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 13, 2016 at 9:52am — 2 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 12, 2016 at 3:00pm — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 11, 2016 at 9:30pm — 2 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 7, 2016 at 5:00pm — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on November 5, 2016 at 6:30pm — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 23, 2016 at 10:30am — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 12, 2016 at 10:00pm — 5 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 11, 2016 at 8:30pm — 11 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 10, 2016 at 7:51pm — 10 Comments
छोटी छोटी सी खुशियां
भर देती हैं झोली
हंसी ख़ुशी दिन बीते जब
ज़िन्दगी लगती हमजोली
जीवन के है रंग निराले
जो खेले आँख मिचोली
एक आये जब दूजा जाए
ज़िन्दगी लगती मखमली |
लेकर बहार आती है ज़िन्दगी
प्यार से जब सींचि जाती है
कड़वाहट का ज़हर भी पीती
अपना असर दिखाती है |
अपनों के बीच अपनों के संग
प्यार को पाती है ज़िन्दगी
प्यार गर न मिले तो
सूखे पत्तों की तरह मुरझा जाती है ज़िन्दगी |
मौलिक एवं…
ContinueAdded by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 10:30pm — 10 Comments
छम छम करती हुई
आयी जब वो छत पर
चाँद भी जैसे ठहर सा गया
यौवन उसका देखकर
श्वेत वस्त्रों में लिपटी हुई
कुछ शरमाई कुछ अलसायी
देख रही थी बादलों को
लगा मानो कह रही हो
बुला दो मेरे प्रियतम को
देख उसको बादल भी बरस पड़े
पीड़ा थी जुदाई की
या थी प्रीत की जीत
चाँद भी जा चूका था
बादल भी बरस गये
पिया के दरस को
नयन भी तरस गये |
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 5:20pm — 10 Comments
क्यों करते
खुदकी वाह वाही
होती उसकी
फिर बुराई
माना बहुत कुछ
जान गये हो
खुद को भी
पहचान गये हो
न इतना
गुमान करो
खुद का खुद
सम्मान हरो
अच्छे हो
जानो खुदको
इन्सां हो
मानो खुदको ।
चलो भले
अपनी ही चाल
न खींचों
दूसरों की खाल
धीरे धीरे
चलना है
दौड़ना नहीं
बस चलना है ।
जय हो जय हो
का नारा छोड़ो
स्व तारीफ़ से
नाता तोडो ।
एक दिन
पेड़ क्या
बन जाओगे
ज़मीन…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 29, 2016 at 10:30pm — 12 Comments
क्यों खामोश हो
कुछ बोलते भी नहीं
कुछ कहते भी नहीं
कुछ सुनते भी नहीं
वो देखो वहाँ
क्षितिज के किनारे
आकार ले रहा है
प्यार बादलों में
वो देखो वहाँ
उन लहरों को
जो कर रही है बयां
प्यार चट्टानों से
वो देखो वहाँ
उन परिंदो को
जो उड़ते हुए भी
कर रहे बातें बादलों से
वो देखो वहाँ
रंग बदलते आस्मां को
किस तरह रंग बदलता है
बिलकुल तुम्हारी ही तरह
गुलाबी फ़ज़ाओं…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 22, 2016 at 3:00pm — 10 Comments
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