Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2012 at 5:57pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 24, 2012 at 11:30am — 24 Comments
1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |
2.अमल करे तबही बढे, गुरु सबके हीसाथ,
करम सेही भाग्य बढे, भाग्य उसीके हाथ |
3. नेता भाषण में कहें,जाति का नहीं भेद,
जो फोटू दिखलाय दो, तुरत करेंगे खेद |
4. भेद गरीब अमीर का , नहीं करे करतार,
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 22, 2012 at 11:00am — 14 Comments
हिंदी दिवस पर समस्त ओ बी ओ के सम्मानित सदश्यों का हार्दिक शुभ कामनाए
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2012 at 11:00am — 10 Comments
अमृत ही बरसाय (संशोधित दोहे)
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 6:00pm — 16 Comments
पडौसी खावे मलाई, हम ताकत ही रहे,
शरनागाह बना देश, हम देखते ही रहे |
नीतियाँ उदारवादी, हमको ही खा रही,
स्वार्थ की राजनीति, सबको जला रही |
स्पष्ट निति के अभाव में,अभाव में जी रहे,
सहिष्णुता लोकतंत्र में, तपत हम सोना रहे |
समय हमें सिखलाएगा, काँटों पर चलना,
शहीद की शहादत को, अक्षुण बनाए रखना |
शीतल कैलाश हिम पर, है शिव शंकर बैठे,
पवित्र गंगा भी धारित, है जटा में समेटे |
त्रिनेत्र से भष्म कर दे, इसका…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 12, 2012 at 1:00pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2012 at 11:30am — 10 Comments
ओबीओ में विशाल मेंला लगा था
छंद कवियों का तांता लगा था |
मैंने वहां ;दोहा;नाम से कविता दागी
प्राचार्य ने यह दोहा नहीं कह हटा दी |
मैंने फिर छन्-पकैयां लिख लगा दिए
गुरुवर ने नरम हो कुछ सुझाव दिए |
एक अलबेला कूद पड़े बोंले मानलो
सिष्य से प्राचार्य बना देंगे जानलो |
गुरुवर बोंले ये कर्म योगी का…
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 4, 2012 at 5:30am — 14 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 1, 2012 at 5:35pm — 6 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 7:30pm — 6 Comments
मर्यादित आचरण ही,सद्चरित्र व्यवहार,
सद्चरित्र व्यवहार से,हो दर्शन करतार //
कर दर्शन करतार के, सदाचार सोपान,
सदाचार सोपान से, होगा बेडा पार //
होगा बेडा पार तब,परहित तेरे कर्म,
परहित तेरे कर्म हो, उसेही मनो धर्म //
पुरुषोत्तमश्री राम का, है मर्यादित चरित्र,
अनुशासित नित्कर्म, है आचरण पवित्र //
जीवन दर्शन तत्व को,कृष्ण ही समझाय
युक्ति संगत करम को, कर्मयोगी बतलाय //
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 11:30am — 16 Comments
कर्म ने ही सुखद भाग्य बनाया
गीता में कृष्ण ने यही बताया |
मदद ली जाती है, इसकी समझ धरो
भूलोंसे सीख का मन में उन्माद भरो |
प्रभु के दिए मौके को न जाने दिया करो
उंगलियाँ यूँ ही न सब पर उठाया करो |
बीते वक्त की याद ने मन दुखी कराया
उठों तभी सवेरा है, मन को समझाया…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 28, 2012 at 5:34pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 27, 2012 at 3:04pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 24, 2012 at 1:30pm — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 23, 2012 at 10:30am — 7 Comments
हे भारत के लोगों जागों
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 14, 2012 at 2:30pm — 3 Comments
रामानुज के छोटे भाई शिवशंकर अन्तरिक्ष संचार विभाग में कार्यरत थे |विभाग के उपमहा प्रबंधक धोकलराम पंवार ने शिवशंकर को आकाशपुर की स्टेशनरी फर्मो से निविदाए एवं साथ में बंद लिफाफे एकत्रित कर प्रस्तुत करने का कार्य करने का निर्देश दिया | डी.जी.एम् धोकलराम पंवार को उसने बताया कि उसकी सेवा निवृति होने में अब 15 माह का समय ही शेष बचा है, अतः यह कार्य किसी अन्यसे सम्पादित करावे | डी.जी.एम्. पंवार ने कहा कि सेवा निवृति से पूर्व,मै चाहता हूँ कि आप भी लाभ ले लो,फिर आपकी इमानदार छवि के चलते किसी को कोई…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 13, 2012 at 4:00pm — 9 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 6, 2012 at 12:30pm — 7 Comments
बच्चे ने पूछा - दादी, आप भगवन को प्यारी कब होंगी ? बूढी दादी बोली-बेटा,भगवान् की पूजा करना ही अपने हाथ में है,बाकी सब भगवान पर है | बच्चे ने फिर पूछा- दादी आप "टै" कब बोंलेगी ? दादी कुछ देर विस्मय से बच्चे को गुहारती रही,फिर सोच कर बोंली- सौरभ बेटे "टै" बोलने से क्या होता है ? चल तू कहता है तो अभी ही बोल लेती हूँ -टै | इस पर सौरभ बोंला - दादी. रात को माँ पापा से कह रहा था कि आप नयी कार कब खरीदोंगे | मम्मी-पापा बात कररहे थे कि दादी के पास बहुत सारा धन है | पर जब वह "टै" बोल जायेगी तब ही…
ContinueAdded by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2012 at 5:30pm — 13 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2012 at 11:00am — 5 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |