Added by Dr.Prachi Singh on May 28, 2012 at 12:31pm — 14 Comments
Added by MAHIMA SHREE on May 27, 2012 at 5:00pm — 22 Comments
खुल जा सिम सिम बंद हो जा सिम सिम –दुकान हो या कार्यालय बंद करना,कराना,या खुलवाना,यह तमाशा ‘भारत बंद’ के मौके पर देखने या दिखाने का मधुर दृश्य दृष्टिगोचर होता है|
भारत बंद हम भारतीयों का राष्ट्रिय त्यौहार है. पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए, और हमें तो भारत बंद कराने के लिए एक सरकार की टेढ़ी चाल का इंतजार रहता है|यह त्यौहार प्रति वर्ष किसी भी महीने में मनाया जा सकता है|सरकार को भारत बंद को…
ContinueAdded by UMASHANKER MISHRA on May 27, 2012 at 2:00pm — 6 Comments
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 27, 2012 at 12:30am — 6 Comments
चक्षु पटल भींच
एक अक्स उभरता है...
जो गहन तिमिर में
कोटिशः सूर्य सा चमकता है...
स्मरण जिसका महका देता है
सम्पूर्ण जीवन...
ख़ामोशी में गूंजती है
जिसकी प्रतिध्वनि अन्तः करणों में
और उन अनकहे शब्दों की
झंकृत स्वर तरंगें
नस नस में दौढ़ती हैं
सिहरन बन कर...
और बेसुध मन बावरा
तय कर लेता है
मीलों के फांसले
एक क्षण…
Added by Dr.Prachi Singh on May 26, 2012 at 11:00am — 10 Comments
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा श्रृंगार किया
कितनी संवेदना ,कितनी आह
कितने अश्रु , कितनी चाह
कितने आलाप , कितने गान
मिल कर भी
संतॄप्त न कर पाती
उर अरमनों में छिपे स्पंदन को,
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
सावन रिक्त , शशि सुप्त
सूरज न उग्र , रौद्र नयन हैं रुष्ट
प्रियतम जब से मैंने प्रेम का आवाहन किया
करुण वेदना , विरह अश्रु , और मौन ने मेरा…
ContinueAdded by arunendra mishra on May 25, 2012 at 11:56pm — 9 Comments
चश्मे तो हमने राह में पाये हैं बेशुमार
तेरी ही तिश्नगी में आये हैं बार- बार
प्यार से बिठाया और खुशियाँ लूट ली
धोखे यूँ जिंदगी में खाये हैं कई हजार
सीमाएं मेरे दर्द की वो नाप के गए
अश्क जब काँधे पे बहाये हैं ज़ार-ज़ार
बता गमजदा दिल अब कैसे ढकें बदन
खुशियों के पैरहन कर लाये हैं तार-तार
वादियों में बुलबुलें अब चहकती नहीं
जब दर्द…
ContinueAdded by rajesh kumari on May 25, 2012 at 3:00pm — 26 Comments
कुछ तो ऐसा हुआ होगा
Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 25, 2012 at 11:00am — 14 Comments
Added by dilbag virk on May 24, 2012 at 7:42pm — 10 Comments
हाँ वो मेरी बेटी है
जो बगल में लेटी है
मेरा प्यार है वो
जीवन की बहार है वो
हमारे प्यार की निशानी
एक अनकही कहानी
खिलखिलाहट उसकी
दीवाना करती है
जाएगी …
ContinueAdded by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 24, 2012 at 6:29pm — 28 Comments
दुनिया यही सिखाती हरदम, सीख सके तो तू भी सीख।
आदर्शों पर चलकर हासिल, कुछ ना होगा, मांगो भीख।
तीखे कर दांतों को अपने, मत रह सहमा औ…
ContinueAdded by Sanjay Mishra 'Habib' on May 24, 2012 at 4:00pm — 20 Comments
1
बिन जाने ह्रदय की पीड़ा पिया , दिल तोड़ के ऐसे जाते हो
मैं बैठी राह को तकती यहाँ, मुह मोड़ के ऐसे जाते हो
क्यूँ रूठे हो जरा हमसे कहो, बिन बात के कैसे जानूं मैं
प्रिय मेरे साथ में तुम थे चले, अब छोड़ के ऐसे जाते हो
2…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on May 24, 2012 at 12:30pm — 9 Comments
तू मेरे लिए परियों का रूप है जैसे,
कड़कती ठंड मे सुहानी धूप हैं जैसे,
तू हैं सुबह चिड़ियो की चहचहाहट जैसी,
या फिर कोई निश्छल खिलखिलाहट जैसी।
तू हैं मेरी हर उदासी के मर्ज की दवा जैसी,
या उमस मे चली शीतल हवा जैसी।
तू मेरे आँगन मे फैला कोई उजाला है जैसे,
या मेरे गुस्से को लगा कोई ताला है जैसे।
वो पहाड़ की चोटी पे सजी सूरज की किरण है जैसे,
या चाँदनी बन करती वो सारी ज़मीन रोशन हैं जैसे
मेरी आँख मे आँसू आते ही मेरे संग संग वो भी…
ContinueAdded by Vasudha Nigam on May 24, 2012 at 12:19pm — 9 Comments
आओ मिल जुल के इस दुनियाँ से मुहब्बत कर लें
Added by Deepak Sharma Kuluvi on May 24, 2012 at 11:16am — 9 Comments
शहर ये हो गया शमशान कहीं और चलें॥
बस्तियाँ हो गईं वीरान कहीं और चलें॥
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई यहाँ,
है नहीं कोई भी इंसान…
ContinueAdded by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 24, 2012 at 7:30am — 11 Comments
तेरी चाहत में डूब रब की इबादत होगी
मेरे इस दिल पे अगर तेरी इनायत होगी
तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 10:30pm — 7 Comments
===========|| नैन ||==========
मन भावन है गोरी तेरे नैनो की प्यारी भाषा
इन गहरे नैनो में अब तो बसने की है अभिलाषा
देखा जबसे इन नैनो को किस दुनिया में डूबा हूँ
डूबा डूबा सोचे ये मन इन नैनो की परिभाषा
इन नैनो से होती वर्षा चाहत वाले तीरों…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 4:37pm — 3 Comments
मुक्तक
तुम देखो हृदय की पीड़ा प्रिये, इस तरह मुझे तडपाती हो
छुप छुप के निहारो एकटक मुझे, दिन रात जिया तरसाती हो
मैं जानूं तुम्हारे मन की व्यथा, दिखलावे को इतराती हो
कह डालो ह्रदय को खोलो…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 12:30pm — 4 Comments
लिखना हो कविता तो, भाव को टटोल ले तू |
भाव लिए लय ही तो, कविता में प्राण हैं ||
छंद में जो हो प्रवाह, लोग करें वाह वाह |
ह्रदय को भेदता जो, शब्द रुपी बाण हैं…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:00pm — 6 Comments
कटाक्ष... क्रिकेट बनाम थप्पड़-मुक्केबाजी........! भाई साहब, क्रिकेट इक दर्शन है.... आय. पी . एल.' उसका विराट प्रदर्शन है.आज देश की पहचान पूरे विश्व में इसी कारण है.वो कितने अफसोसनाक दिन थे जब हमारे देश को घोर गरीबी क़े कारण जाना जाता था.आई पि एल ने हमारे प्रति दुनिया का नजरिया ही बदल दिया. आज क्रिकेट में क्या नही है!! शोहरत है..पैसा है...ऐय्याशी क़े छलकते जाम है ..मरमरी बांहें हैं ..शोख निगाहे है...चमकते सितारे है...संसद में दारू बनाने,पीने-पिलाने वालो का नेतृत्व करने वाले हस्ताक्षर…
ContinueAdded by AVINASH S BAGDE on May 22, 2012 at 2:44pm — 10 Comments
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