सांसे जब तक चलती हैं
तब तक चलता है
सुख- दुःख का एहसास
मान -अपमान की पीडाएं
उंच -नीच , जात -पात का भेद
सम्पन्नता -विपन्नता का आंकलन
नहीं मिलने मिलाने के उलाहने
प्रतियोगिता की अंधी दौड़
एक दुसरे को मिटा डालने का षड़यंत्र
सांसे जब तक टूटती हैं
उस क्षण को
ग्लानी से भरता है मन
और छोड़ देता है तन को
बची रह जाती है
उसकी कुछ यादें
अंततः कुछ भी नहीं बचता शेष
और फिर से शुरू हो…
ContinueAdded by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 9:46pm — 26 Comments
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
क्या हम सचमुच हैं
तेरे ही कठपुतले
तू जैसा चाहेगी
वैसा ही पाठ सिखाएगी
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
कभी कुछ खोया था
कंही कुछ छुट गया था
कभी छन् से कुछ टूट गया था
भीतर जख्मो के कई गुच्छे हैं
गुच्छो के कई सिरे भी हैं
पर उनके जड़ो का क्या
तेरा ही दिया खाद्य औ पानी था
नियति तू कब तक खेल रचाएगी
कंही कुछ मर रहा है
कंही कुछ पल रहा…
ContinueAdded by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 9:29pm — 11 Comments
मौज कोई सागर के किनारों से मिली
साँसे अपनी दिल के इशारों से मिली
सोंधी सी महक बारिश का इल्म देती है
गुलशन की खबर ऐसे बहारों से मिली
आंधी ने नोच डाले हैं दरख्तों से पत्ते
जुदाई की भनक आती बयारों से मिली
चाँद खुश है रोशन करेगा बज्मे- जानाँ
आस नभ में चमकते सितारों से मिली
हरेक लब उसे अकेले में गुनगुनायेंगे
ऐसी कोई नज्म संगीतकारों से मिली
पंहुच गई है परदेश में निशा की डोली
खबर भोर में आते…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 3, 2012 at 9:03pm — 27 Comments
तुझको साया कहता हूँ , खुद भी तेरे जैसा हूँ
सागर हूँ गहरा लेकिन, लहरें कहती तन्हा हूँ
मुझसे क्यूँ शरमाते हो, मैं तो बस आईना हूँ
कहलो गंदा जितना तुम, मैं बस अच्छा सुनता हूँ…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 8:30pm — 6 Comments
पाने को कुछ सीख, ग़ज़ल की कक्षा में
हम भी हुए शरीक़, ग़ज़ल की कक्षा में
पकड़ ही लेंगे तिलकराजजी चूकों को
बड़ी हों या बारीक, ग़ज़ल की कक्षा में
भूल-भुलैया भूलों की जब देखेंगे
कर देंगे वे ठीक, ग़ज़ल की कक्षा में
ढूंढ रहे थे कहाँ कहाँ हम रहबर को
मिले यहाँ नज़दीक, ग़ज़ल की कक्षा में
"अलबेला" ने त्याग दिया टेढ़ा रस्ता
चलेंगे सीधी लीक, ग़ज़ल की कक्षा में …
Added by Albela Khatri on June 3, 2012 at 8:30pm — 30 Comments
प्रति चरण ३२ अक्षर, १६-१६ पर दो विश्राम, इक्त्तीस्वां (३१ वाँ) दीर्घ, बत्तीसवां (३२ वाँ ) लघु
शारदा कृपा कर दो मुझको नादान जान
भरो खाली झोली माता ज्ञान का दो वरदान
मैं तेरा ध्यान कर के छंद की रचना करूँ
देश देश गायें सब भारत की बढे शान
छंद मेरे पढ़ें जो भी…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 7:00pm — 11 Comments
निश्चित ही पानी अनमोल है। यह बात पहले मुझे कागजों में ही अच्छी लगती थी, अब समझ भी आ रहा है। गर्मी में पानी, सोने से भी महंगा हो गया है, बाजार में दुकान पर जाने से ‘सोना’ मिल भी जाएगा, मगर ‘पानी’ कहीं गुम हो गया है। मेरे लिए तो फिलहाल सोने से भी ज्यादा कीमत, पानी की है, क्योंकि पानी को ढूंढने निकलता हूं तो दिन खप जाता है और वह गाना याद आता है...पानी रे पानी...तेरा रंग कैसा...। पानी के बिना वैसे तो जिंदगी ही अधूरी है और ऐसा लग भी रहा है, क्योंकि पानी ने जिंदगी से दूरी जो बना ली है। सुबह से…
ContinueAdded by rajkumar sahu on June 3, 2012 at 1:38pm — 8 Comments
ग़ज़ल या गीत गा के सुर मिलाने में मजा आए
बने जब धुन जुदा सी तो सुनाने में मजा आए
न सोना हो सका मुमकिन न जगने में सुकूँ पाया
जगे खुद यार को भी यूँ जगाने में मजा आए
गजब है इश्क ये मौला समझना है बहुत मुश्किल
बिछड़ के यार से खुद को रुलाने में मजा आए…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 12:30pm — 6 Comments
बे-अदब आबाद होते जा रहे हैं
इल्म है बरबाद होते जा रहे हैं
देख कर गम इस जमाने का कहें क्या
सब दिले-नाशाद होते जा रहे हैं
गम हमारे देख अपनों को न गम हो
इसलिए हम शाद होते जा रहे हैं
चोर ही जाबित यहाँ पग पग लुटेरे…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 3, 2012 at 9:30am — 8 Comments
कैद न करो मुझे पिंजरों में
Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 2, 2012 at 10:30pm — 6 Comments
इश्क में बरबाद होते जा रहे हैं
अन सुनी फ़रियाद होते जा रहे हैं
प्यार का हमको सलीका क्यूँ न आया
क्यूँ दिले-नाशाद होते जा रहे हैं
जख्म अब गहरे छुपा के मुस्कुराते
दिन-ब-दिन हम शाद होते जा रहे हैं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 2, 2012 at 12:00pm — 10 Comments
फ़िल्म : सी आई डी
तर्ज़ : सौ साल पहले......
दो साल पहले मैं बेरोज़गार था, बेरोज़गार था,
आज भी हूँ और कल भी रहूँगा
दोस्तों-पड़ोसियों का कल भी कर्ज़दार…
Added by Albela Khatri on June 2, 2012 at 7:30am — 24 Comments
टूटते हैं टूटने दो, अब ह्रदय के तार को
छूटते हैं छूटने दो, खून के उफान को
हटो छोडो रास्ता अब, कफ़न सर पर लिये हैं
मौत से अब डर किसे है, मौत से लगते गले हैं
सह चुके अब ना सहेंगे, इस देश के अपमान को
टूटते हैं टूटने दो, अब ह्रदय के तार को
विश्व में उपहास के, कारण बनाये जाते हैं
खद्दरों के भेष में, दीमक हजम कर जाते हैं
इस देश की संपत्ति और, इस देश के सम्मान को
छूटते हैं छूटने दो, खून के उफान को
आम आदमी यहाँ, हाशिए में होता है
जिंदगी कि दौड…
Added by UMASHANKER MISHRA on June 2, 2012 at 12:30am — 14 Comments
ये दिल मेरा अब इश्क के काबिल ही नहीं है
बिखरा है जो अब टूट के वो दिल ही नहीं है
हम जीते थे जिस शान से यारों के साथ में
वो छूटे हैं पीछे सभी महफ़िल ही नहीं है
गम हैं मेरा जो जान से मारेगा एक दिन
जो गम को डाले मार वो कातिल ही नहीं…
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on June 1, 2012 at 5:00pm — 16 Comments
जीवन और मृत्यु
आत्मा परमात्मा
सत्य और असत्य
शाश्वत मूल्यों का सत्य
धूप और छाँव
साथ नहीं होती
गमछा संग धोती
बिना सीप मोती
बगैर दीप ज्योति
स्त्री स्त्री देख रोती
पोता हो या पोती
कैसे मिलता जीवन का
अनुपम सुन्दर उपहार
किसी घर में बेटी न होती
Added by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 1, 2012 at 4:30pm — 22 Comments
Added by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 1, 2012 at 3:00pm — 16 Comments
फिर से गुजरे वो पल याद आने लगे
भूल जाने में जिनको ज़माने लगे
हैं वही शोखियाँ है वही बांकपन
जितने मंज़र हैं सारे पुराने लगे
कोनसी शै हे जिसपर भरोसा करें
अब तो साए भी अपने डराने लगे
उनको खुशियाँ मिलीं हे ख़ुदा का करम
हाथ अपने ग़मों के खजाने लगे
अपनी हसरत बताने जिन्हें आये थे
वो तो अपना ही मुज़्दा सुनाने लगे
Added by SHARIF AHMED QADRI "HASRAT" on June 1, 2012 at 2:55pm — 16 Comments
हैलो हैलो !! हैलो बेटा बोल ! माँ खुशखबरी है आपको पोता हुआ है, इतना कहकर रोहित ने फ़ोन रख दिया | रेखा के पाँव तो ख़ुशी के मारे जमीन पर नहीं पड़ रहे थे, उसी समय बहुत सारी मिठाई लाकर पूरी कालोनी में बाँट दी | फिर तैयार होकर हॉस्पिटल पंहुच गई और सारे कर्मचारियों को मिठाई बांटी, आयाओं को सौ- सौ के नोट भी दिए और फिर बहु के पास पोते को देखने पहुंची वहां पर डॉक्टर भी राउंड पर आई हुई थी देखते ही रेखा एक पूरा मिठाई का डिब्बा डॉक्टर की तरफ देते हुए बोली आप भी मेरे पोते के होने की मिठाई खाओ |…
ContinueAdded by rajesh kumari on June 1, 2012 at 10:30am — 23 Comments
कदम उनसे दूर जाने लगे
Added by Ajay Singh on June 1, 2012 at 9:36am — 7 Comments
पप्पू ने पूछा पापा,
ये भारत बन्द क्या होता है ?
पापा मुस्कुराया
पप्पू को बताया -
बेटा,
मेरा भारत महान में लोकतान्त्रिक सरकार है
और भारत बन्द हमारा राजनैतिक त्यौहार है
जो विपक्ष द्वारा मनाया…
Added by Albela Khatri on June 1, 2012 at 9:30am — 13 Comments
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