========ग़ज़ल=========
बह्रे - मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ
वजन- १ २ २ - १ २ २ -१ २ २ - १ २
मुहब्बत है तो फिर जताओ जरा
ये पर्दा हया का उठाओ जरा
अजी मुस्कुराते हो क्यूँ आह भर
है क्या राज दिल में बताओ जरा
लबों पे गुलों सी हसीं चोट दे
सनम को कभी आजमाओ जरा
है वीरान तुम बिन गुलिस्ताँ मेरा
हँसो फूल बन खिल-खिलाओ जरा
हुई आज फीकी मेरी जिन्दगी
नए रंग आकर चढाओ जरा
ये हर्फे-मुहब्बत कहे हैं सुनो
ग़ज़ल की तरह गुनगुनाओ जरा
हमें दूर से ही न तरसाओ यूँ
कभी पास आकर सताओ जरा
तेरे नर्म हाथों से बिखरा है गुल
ये जुल्फों में फिर से सजाओ जरा
पिघल जाए बर्फाब सा मेरा दिल
गले से हमें यूँ लगाओ ज़रा
है तुम बिन अँधेरे मेरे रात दिन
कोई "दीप" आकर जलाओ जरा
संदीप पटेल "दीप"
संदीप पटेल "दीप"
सिहोरा, जबलपुर (म.प्र.)
Comment
रिवायती रंगत में मलबूस यह ग़ज़ल प्रभावित कर गई भाई संदीप पटेल जी, ढेरों ढेर बधाई.
लबों पे गुलों सी हसीं चोट दे
सनम को कभी आजमाओ जरा|
Very Nice Shri Patel sahab,
बहुत खूब संदीप जी मुहब्बत है तो फिर जताओ जरा
ये पर्दा हया का उठाओ जरा ...umda..बधाई
आदरणीय नादिर साहब, आदरणीय हसरत साहब , आदरणीय वीनस सर जी , आदरणीय गुरुवर सौरभ सर जी, आदरणीया राजेश कुमारी जी
आप सभी को सादर प्रणाम सहित बहुत बहुत धन्यवाद जो आपने नाचीज की ग़ज़ल को न केवल वक़्त दिया बल्कि हौसलाफजाई भी की
अपना ये स्नेह अनुज पर यों ही बनाये रखिये सादर आभार
वाह वाह वाह क्या रंगीली मखमली ग़ज़ल लिखी है अति सुन्दर ये अंदाज़ बनाए रखिये यही वक़्त है तुम्हारा गोड ब्लेस
भाई, कमाल ! किसकी बात करूँ ? छोटी-छोटी बातें कहन को क्या से क्या बना देती हैं !
इन अश’आर पर ढेर सारी दाद लीजिये -
लबों पे गुलों सी हसीं चोट दे
सनम को कभी आजमाओ जरा ..
ये हर्फे-मुहब्बत कहे हैं सुनो
ग़ज़ल की तरह गुनगुनाओ जरा ...
हमें दूर से ही न तरसाओ यूँ
कभी पास आकर सताओ जरा ....
इन शेरों में ग़ज़ब की कसमसाहट बयां हुई है. इस चुहल को बचाये रखना.. .
मक्ता में तख़ल्लुस का बढिया प्रयोग हुआ है. लेकिन उला में है की जगह हैं होना चाहिये न, भाई ?
खैर, यह सब तो मेरी ओर से चलता ही रहेगा.. . बधाई-बधाई-बधाई !!
बहुत खूब संदीप जी एक और आपने अपने 'दीवान' में एक और हीरा जड़ दिया
bahut khoob deep nji kya ghazal kahi he bahut bahut mubarak ho
वाह दीप जी पर्फेक्ट गज़ल है, मज़ा आ गया पढ़कर ।
पर हमारा तो ये आलम है कि
पसीना निकाले है बह्र और वज़न
कभी हमें भी इनसे मिलाओ ज़रा
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