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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 100वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| पिछले आठ वर्षों से अधिक समय से अनवरत होने वाला यह आयोजन अब अपने सौवें पायेदान पर पहुँच चुका है| इस मील के पत्थर पर पहुंचना, बिना आप सबकी सहभागिता और समर्पण के संभव नहीं था| इस बार के आयोजन को विशेष और यादगार बनाने के लिए नियम और शर्तों में कुछ छूट दी गई है, आप सभी इसे अवश्य ध्यान से पढ़ लें| मिसरा -ए-तरह जनाब समर कबीर साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"सब्र करना तो आ गया है मुझे"

2122            1212              112/22
फ़ाइलातुन      मुफ़ाइलुन        फ़इलुन/फ़ेलुन

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ)

रदीफ़ :-गया है मुझे 
काफिया :- (मिला, बुला, हटा, पा, दिखा, भुला, सता, सिखा, जता, बता, पिला  आदि)

मुशायरे की अवधि तीन  दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 19 अक्टूबर दिन  शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 21 अक्टूबर दिन रविवार  समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम  तीन ग़ज़लें प्रस्तुत की जा सकेगी लेकिन एक दिन में केवल एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी| 
  • प्रत्येक ग़ज़ल में से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी लिपि में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें  और दिन में एक बार संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें|

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 अक्टूबर दिन  शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

इस ग़ज़ल हेतु मेरी दिली दाद और मुबारकबाद स्वीकार करें भाई नादिर जी. 

//तेरा हमदम बना गया है मुझे

इश्क जीना सिखा गया है मुझे// उम्दा और जानदार मतला.

 

//तेरी हर इक अदा पे मरते हैं 

रूठना भी तो भा गया है मुझे//  /तेरी हर इक अदा पे मरता हूँ (मरते हैं और मुझे में तकरार है)

 

//कत्ल मेरा नहीं किया लेकिन

रुख़सती से डरा गया है मुझे// बहुत खूब 

 

//तेरी शर्तों पे जी रहा हूँ मै

कैसे कह दूँ ,तू भा गया है मुझे// क्या कहने है, लाजवाब शेअर. 

 

//दर्द बढ़ता रहा मेरा हर दिन

मर्ज कैसा लगा गया है मुझे// अच्छा शेअर है. 

 

//रिज़्क मेहनत भी माँगता है मियाँ

एक ज्ञानी बता गया है मुझे// इस शेअर के भाव बेहतरीन हैं, रंगत भी सूफियाना है - वाह.

 

//माँ से मैंने ये कर लिया है अहद

सब्र करना तो आ गया है मुझे// मुतमइन हो गई ये सुनके माँ

 

//दिल का सौदा बुरा नहीं नादिर

लाभ वो सौ गिना गया है मुझे// 

दिल का सौदा निरा ख़सारे का 

लाभ गो सौ गिना गया है मुझे 

जनाब योगराज साहब आपकी हौसला अफजाई और इस्लाह का तहे  दिल से शुक्रिया .......

आदरणीय नादिर साहब. खूबसूरत अशआर हुए. चौथा शेर ख़ास तौर पर अच्छा लगा.हार्दिक बधाई 

आ. नादिर खान साहब,
खूब ग़ज़ल हुई है ...
ढेरों दाद और बधाई स्वीकार करें 

ये भी उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय नादिर जी। दिली बधाई स्वीकार कीजिए। आदरणीय योगराज सर के सुझावों से मैं भी सहमत हूँ। सादर।

जनाब नादिर ख़ान साहिब,.

बहुत उम्दा ग़ज़ल सभी शे'र लाजवाब मेरी और से ढेरों दाद,,

आद० नादिर साहब जी ये ग़ज़ल भी खूब हुई शेर दर शेर दाद हाज़िर है 

जनाब नादिर भाई आदाब,ये भी अच्छी ग़ज़ल हुई,बधाई स्वीकार करें ।

जनाब योगराज प्रभाकर साहिब की इस्लाह उत्तम है,संज्ञान लें ।

आदरणीय नादिर खान जी इस ग़ज़ल हेतु मेरी दिली दाद और मुबारकबाद स्वीकार करें 

जनाब नादिर खान साहब शानदार ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल कीजिये|

लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने दिल से मुबारकबाद

जनाब नादिर खान जी , तीसरी ग़ज़ल भी बहुत अच्छी लगी, दाद कुबूल करें।

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"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
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