For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Ranveer Pratap Singh
  • 38
Share on Facebook MySpace

Ranveer Pratap Singh's Friends

  • Tushar Raj Rastogi
  • shahrukh siddiqui
  • अरुन 'अनन्त'
  • deepti sharma
  • Albela Khatri
  • Yogi Saraswat
  • Rekha Joshi
  • Nilansh
  • Dr.Prachi Singh
  • Sonam Saini
  • MAHIMA SHREE
  • rajesh kumari
  • AVINASH S BAGDE
  • Vasudha Nigam
  • AjAy Kumar Bohat
 

Ranveer Pratap Singh's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Mumbai
Native Place
Bhopal
Profession
Film maker
About me
a common man with big dreams...

Ranveer Pratap Singh's Blog

मैं भारत का मुसलमान हूँ

है मज़हब भले अलग मेरा, पर मैं भी तो इंसान हूँ

खान पान पहनावा अलग, पर बिलकुल तेरे सामान हूँ

ऊपर से चाहे जैसा भी, अन्दर से हिंदुस्तान हूँ

अपने न समझे अपना मुझे, इस बात मैं परेशान हूँ

अपने ही मुल्क में ढूंढ रहा, मैं अपनी पहचान हूँ

मैं भारत का मुसलमान हूँ-२

जब कोई धमाका होता है, लोग मुझ पर उंगली उठाते हैं

आतंक सिखाता है मज़हब मेरा, ये तोहमत हम पर लगाते हैं

दंगों में…

Continue

Posted on May 1, 2018 at 4:30pm — 6 Comments

मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

दिल में प्यार

आँखों में सम्मान रहने दो

मंदीर की आरतियों संग

मस्जिद की अज़ान रहने दो

क्यों लड़ना धर्म के नाम पर

क्यों बेकार में खून बहाना

मज़हब के मोहल्लों में

इंसानों के मकान रहने दो

मुझे हिन्दू, उसे मुसलमान रहने दो!

माना सब एक ही हैं

पर थोड़ी अलग पहचान रहने दो

अगरबत्तियों की ख़ुशबू संग

थोडा लोहबान रहने दो

चढाने दो उसको चादरें

मुझे चढाने दो चुनरियाँ

दोनों मज़हब तो सिखाते हैं प्रेम ही

तो थोड़ी गीता थोडा क़ुरान…

Continue

Posted on September 5, 2017 at 10:59pm — 5 Comments

मैं बदल गया हूँ!

आसमान में उगता सूरज, जलता सूरज तपता सूरज

बदरियों की बगियाँ में, लुका-छिपी करता सूरज

सांझ सकारे किसी किनारे, धीरे धीरे ढलता सूरज

मैं भी तो इस सूरज सा, चढ़ा कभी कभी ढ़ल गया हूँ

जाने क्यों कहते हैं लोग, की मैं बदल गया हूँ!…

Continue

Posted on January 25, 2015 at 10:00pm — 6 Comments

ककहरा

ककहरा



क- काले दिल कपड़े सफ़ेद

ख- खादी की नियत में छेद

ग- गद्दार देश को बेच रहे

घ- घर को रहे भालो से भेद

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



च- चिड़िया थी जो सोने की

छ- छलनी है आतंक की गोली से

ज- जहां तहां है ख़ून खराबा

झ- झगड़े, जात-धर्म की बोली से

इसके बाद कुछ नहीं

मानो हुआ कुछ नहीं…



ट - टंगी है आबरू चौराहे पे माँ की

ठ - ठगी सी आंसू बहाती है

ड - डरी हुयी है बलात्कारियों से

ढ - ढंग से जी नहीं…

Continue

Posted on January 11, 2013 at 11:30pm — 11 Comments

Comment Wall (4 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:05am on September 16, 2012, Nilansh said…

janmdin ki subhkaamnaaon ke liye bahut aabhaar aapka

At 5:14pm on August 31, 2012, Lata R.Ojha said…

Dhanyavaad :)

At 7:56pm on August 20, 2012, Khushbu Singh said…
thanx
At 9:36am on August 14, 2012, AjAy Kumar Bohat said…

janamdin ki  shubhkaamnao ke liye bahut bahut dhanyavaad Ranveer ji..

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
18 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service