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Tilak Raj Kapoor
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Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना है कि वाक्य-रचना के जो  नियम गद्य पर लागू होते हैं वही पद्य में भी यथावत् लागू होते हैं।  उनका पालन न होने पर वाक्य भिन्न अर्थ भी ले सकते…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे प्यार भी करते रहे। (यहॉं व्यक्त के अभाव में उद्गार का प्रयोग उचित नहीं है, उद्गार अपने आप में क्रिया रूप नहीं है अत: करते रहे इसके साथ नहीं आयेगा।…"
10 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे नेता मिल के भ्रष्टाचार भी करते रहे (जब मिला अवसर तो भ्रष्टाचार भी करते रहे) वो बहाने के लिए सिंगार भी करते रहे (बात वही लेकिन ‘यूँ दिखाने के…"
15 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते रहे इसमें दोनों पंक्तियॉं परस्पर बदल लेने से शेर अधिक प्रभावशाली हो जायेगा।   बोझ अपना और अपनों का उठाने के लिए सब मुसीबत में हमें सहकार भी करते रहे (सहकार का अर्थ सहयोग…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अपने दिल को हर घड़ी लाचार भी करते रहे (दिल दिया, देकर उसे लाचार भी करते रहे, दिल देने वाला ही लाचार भी कर रहा है) (जब अपने दिल की बात हो तो वह लाचार होता है, हम खुद उसे लाचार नहीं करते हैं, हॉं किसी अन्य को हम लाचार अवश्य कर सकते हैं। इस पंक्ति को…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"शेर से यह ध्वनित नहीं हाे रहा है कि सभी देवता या कोई देवता विशेष का आचार विचार हमेशा ही व्यभिचार का रहा हो। इसमें 'यदा-कदा', 'अवसरानुसार' आदि भी देखे जा सकते हैं। "
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपके अनुभव को विचार में लेते हुए आपकी ग़ज़ल को एक अन्य दृष्टिकोण से देख रहा हूँ मैं और आपके शेर में सुधार प्रस्तावित न करते हुए उदाहरण भर दे रहा हूँ उनके लिये जो कहन में सुधार के विषय पर चर्चा के लिये प्रस्तुत हैं। जीव में उत्साह का संचार भी करते…"
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"ग़़ज़ल पर संभावित प्रश्नों को विचार में लेते हुए मेरे विचार प्रस्तुत हैं।  खुद ही अपनी ज़िन्दगी दुश्वार भी करते रहे दोस्तों से गैर सा व्यवहार भी करते रहे।  मत्ले के शेर की दृष्टि से इस तरही की रदीफ़ बहुत कठिन है। कारण यह है दोनों…"
19 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"रदीफ़ 'भी करते रहे' पर आपकी स्पष्टता महत्वपूर्ण और समझने का विषय है।  आश्वस्त हूँ कि आपकी बात सदस्यों तक बात पहुँचेगी।  इस तरह के रदीफ़ शेर कहने में कठिन स्थिति उत्पन्न करते हैं।  'भी करते रहे' में दो स्थिति देखाी…"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल में रदीफ़, काफ़िया और बह्र की दृष्टि से प्रयास सधा हुआ है। इसे प्रशंसनीय अभ्यास माना जा सकता है।  मुझे जो समस्यायें दिख रही हैं वो मुख्यत: शब्द और व्याकरण प्रयोग की दृष्टि से विचारणीय हैं तथा प्रत्येक शेर पर इंगित हैं। नफ़रतों की…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"बूढ़े न होने दें, बुजुर्ग भले ही हो जाएं। 😂"
May 5
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मेरा सोचना है कि एक सामान्य शायर साहित्य में शामिल होने के लिए ग़ज़ल नहीं कहता है। जब उसके लिए कुछ कहा जाएगा तो उसका हर तरह से साहित्यिक कसावट का परीक्षण होगा और उसी कसावट से रचना को मान्यता मिलेगी। सामान्य शायर व्यावहारिक भाषा और कसावट में…"
May 5
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी जानकारी रदीफ़, काफ़िया और बह्र से शुरु होकर उस स्तर तक जाती है जहॉं बड़े-बड़े उस्तादों में भी विवाद बना रहता है। परिणाम यह है कि किसी भी ग़ज़ल पर अंतहीन…"
May 5
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मुझे लगता है कि जो भी चर्चा हो उसमें कोई ऐसा आक्षेप न आए जो किसी ऐसे व्यक्ति को आहत करे जो सीधे सीधे उत्तरदाई न हो। हर सदस्य को स्वस्थ रहने का अधिकार है और चर्चा से किसी निर्दोष पर कोई दबाव नहीं बनना चाहिए। इतना अनुशासन तो मानवीय दृष्टिकोण से आवश्यक…"
Apr 30
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी व्यक्ति की श्रेष्ठता का प्रचार तंत्र भी नहीं। किसी का सम्मान पूर्णतः व्यक्तिगत विषय है फिर भी पटल पर सभी को सम्मान सहित संबोधित करने की परंपरा रही है…"
Apr 29
मनोज अहसास replied to Tilak Raj Kapoor's discussion ग़ज़ल संक्षिप्‍त आधार जानकारी-10 in the group ग़ज़ल की कक्षा
"मेरे ख़्याल से बहरे मीर में ऐसे पढ़ सकते हैं सादर"
Sep 27, 2024

Profile Information

Gender
Male
City State
Bhopal, MP
Native Place
Bhopal
Profession
State Govt. Service

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At 1:02pm on July 26, 2015, Santlal Karun said…

आदरणीय, सादर अभिवादन ! जन्म-दिन पर सहृदय शुभ कामनाएँ !

At 1:30am on July 26, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें....

At 12:42pm on July 20, 2015, Ravi Shukla said…

आदरणीय तिलक जी

सादर प्रणाम

ग्रजल की कक्षा में आपके लेख पढ़ रहा हूॅं बहुत सी जानकारी मिली आभार

10 आलेख के बाद मुझे और पोस्‍ट दिखाई नही दी

क्‍या वे कक्षा में उपलब्‍ध है या नही

और भी जानकारी चाहता हॅूं क्‍योंकि बह्र के बारे में अभी भी मैं मुतमईन नहीं हूँ इसकी मुझे और जानने की जरूरत है  । साथ ही कुछ आलेख में आपने जुज आदि का भी जिक्र किया था उसके बारे में भी जानना है । आशा है मार्ग दर्शन मिलेगा तो शौक को सहारा मिलेगा ।

सादर ।

At 7:43pm on January 11, 2015, Rahul Dangi Panchal said…
आदरणीय तिलक राज जी आप वे जानकारी मुझे भी भेजने का कष्ट करें तो बडी मेहरबानी होगी जो जानकारी आपने आदरणीय मिथिलेश जी को भेजने की बात की है! सादर!
मेरी ई मेल आई डी है
" panchal92rahul@gmail.com"
आपने कहा था!
"मिथिलेश जी
आप अपना ई-मेल आई डी मुझे भेज दें। मैं आपको एकजाई सभी बह्र और उनकी मुज़ाहिफ़ शक्‍लें भेज देता हूँ। "
At 9:21pm on July 26, 2014,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…


At 7:33pm on April 24, 2014, Sushil Sarna said…

आदरणीय तिलक राज जी , नमस्कार -ये आपसे मेरे प्रथम परिचय है - सर ग़ज़ल विधा में मात्राओं का वर्गीकरण मेरी समझ में नहीं आ रहा - ग़ज़ल लिखता हूँ लेकिन मात्रा भार में पिछड़ जाता हूँ - हिन्दी में लघु और गुरु समझ में आती है लेकिन ग़ज़ल में ?? आपसे अनुरोध है की मेरी प्रेषित ग़ज़ल जो निम्न प्रकार से है उसकी मात्रा/अरकान से समझा देंगे तो आपकी कृपा होगी -

आबाद हैं तन्हाईयाँ ..तेरी यादों की महक से
वो गयी न ज़बीं से .मैंने देखा बहुत बहक के
कब तलक रोकें भला बेशर्मी बहते अश्कों की
छुप सके न तीरगी में अक्स उनकी महक के
सुर्ख आँखें कह रही हैं ....बेकरारी इंतज़ार की
लो आरिज़ों पे रुक गए ..छुपे दर्द यूँ पलक के
ज़िंदा हैं हम अब तलक..... आप ही के वास्ते
रूह वरना जानती है ......सब रास्ते फलक के
बस गया है नफ़स में ....अहसास वो आपका
देखा न एक बार भी ......आपने हमें पलट के
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

At 8:50am on October 7, 2013, Abhinav Arun said…

हार्दिक स्वागत और सादर प्रणाम आदरणीय ! स्नेह और आशीर्वाद प्राप्त हो यही कामना है !!

At 9:03am on July 26, 2013, लक्ष्मण रामानुज लडीवाला said…

जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए | प्रभु आपको नए आयाम स्थापित करने दिनोदिन प्रगति का 

मार्ग प्रशस्त करने में सक्षमता प्रदान करे |

At 3:30pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

At 3:12pm on June 29, 2013, Dr Babban Jee said…

परम आदरणीय निकोर एवं कपूर साहेब ........दरअसल आपने मुझे अपने अनुगृहीत किया अपनी जमात में जगह देकर / आपका आशीर्वाद बना रहे , यही एक छोटी सी चाहत है/ श्रधा के साथ

 
 
 

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