अपनी पुरानी डायरी में से आपके लिए कुछ हाज़िर कर रहा हूँ ! आशा है आपको पसंद आएगा !
ये प्रेमिकाएं बड़ी विकट होती हैं
बिल्कुल डाक टिकट होती हैं
क्योंकि जब ये सन्निकट होती हैं
तो आदमी की नीयत में थोडा सा इजाफा हो जाता है !
मगर जब ये चिपक जाती हैं तो
आदमी बिलकुल लिफाफा हो जाता है !!
सम्बन्धों के पानी से
या भावनाओं की गोंद से चिपकी हुई
जब ये साथ चल पड़ती हैं तो
अपने आप में हिस्ट्री बन जाती हैं !
जिंदगी के डाक खाने में उस लिफ़ाफ़े की
रजिस्ट्री…
Posted on March 30, 2013 at 10:44am — 16 Comments
लोकतंत्र
जहाँ हर नेता भ्रष्ट
हर अधिकारी घूस खाने को
स्वतंत्र है |
यही तो अपना
लोकतंत्र है ||
पहचान
लोकसभा और विधानसभा को
बना दिया जंग का मैदान |
देख कर इन नेताओं के कारनामे
लोग हो रहे हैरान ||
उजले कपड़ों के पीछे लिपटे
इंसानों की शक्लों में घूम रहे शैतान |
पचा गए यूरिया , खा गए चारा
बच के रहना मेरे भाई
कहीं खा ना जायें इंसान ||
कहें 'योगी ' कविराय
इन नेताओं से उठा…
Posted on September 7, 2012 at 2:00pm — 8 Comments
यहाँ वृक्ष हुआ करते थे
जो कभी
लहलहाते थे
चरमराते थे
उनके पत्तों का
आपस का घर्षण
मन को छू लेता था
उनकी डालों की कर्कश
कभी आंधी में
डराती थी मन को |
बारिश के मौसम की
खुशबू और ताज़गी
कुछ और बढ़ा देती थी
जीवन को ||
उन वृक्षों की पांत
अब नहीं मिलती
देखने तक को भी
लेकिन , हाँ !
वृक्ष अब भी हैं
वही डिजाईन
वही उंचाई
शायद उंचाई तो कुछ
और भी ज्यादा हो
मगर इनसे…
Posted on August 21, 2012 at 1:00pm — 20 Comments
ओ सर्वव्यापी , ओ सर्वशक्तिमान
जब सब में है तू विद्यमान
तो इस दुनियाँ में ये
ऊँच-नीच का अंतर क्यों है ?
कोई कहे तुझे खुदा , कोई कहे तुझे भगवान्
करते जब सब तेरा ही गुणगान
तो इस मृत्युलोक में
तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ?
ओ सर्वरक्षक , सर्वगुणों की खान
कैसा है तेरा विधान
जब सब तेरे बनाये हुए हैं
तो ये गोरे काले का अंतर क्यों है ?
तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान
कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन…
Posted on June 29, 2012 at 10:00am — 10 Comments
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Comment Wall (9 comments)
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जन्म दिन की हार्दिक शुभ कामनाए श्री योगी सारस्वत जी, प्रभु आपको चहुँ ओर विकास का
मार्ग अग्रसर करे | आपका हमारा स्नेह यूँ ही बना रहे | शुभ शुभ
आये आपके घर खुशियों की डोली ,हमारी तरफ से आपको हैप्पी होली . आदरणीय धन्यवाद , आपकी हौसला अफजाई मेरी कविता के पौधे में खाद का काम कर रहे हैं . एक बार फिर धन्यवाद"
योगी जी आपकी सुंदर प्रतिकृया मिली उसके लिए आपका बहुत बहुत आभारी हूँ। लेकिन क्षमा चाहूंगा इतनी तारीफ के लायक मैं नहीं हूँ...मैं तो अभी ग़ज़ल की एबीसीडी सीख रहा हूँ...इतने बड़े शायरों से मेरी तुलना करना सूरज को दिया दिखाने जैसे है। फिर भी आपकी भावनाओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूँ।
योगी जी जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई ! ईश्वर आपको सदा स्वस्थ और मस्त रखें और आप साहित्य और देश की सेवा ऐसे ही करते रहें !!
योगी भाई बहुत बहुत आभार ! आपकी सुंदर प्रतिक्रियाएँ मिलती रहती हैं। अच्छा लगता है।
वृक्ष सूखकर भी देखो
कितने काम हमारे आते हैं |
स्वयं जलकर आदमी को देते रोटी
परमार्थ का पाठ हमें पढ़ते हैं ||
aadarniya yogi ji. sadar vrakshon ki upyogita par aapki pahli rachna ka swagat hai. aap sundar likhen, likhne ki takniki main ijafa karen. badhai.
aadarniy yogi ji, aapka hardik swagat hai.
yogi ji ,apka swaagt hae ,bahut achchha likha hae ,badhaai