For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – March 2011 Archive (25)

सामयिक गीत: राम जी मुझे बचायें.... -- संजीव 'सलिल'

सामयिक गीत:

राम जी मुझे बचायें....

-- संजीव 'सलिल'

*

राम जी मुझे बचायें....



एक गेंद के पीछे दौड़ें ग्यारह-ग्यारह लोग.

एक अरब काम तज देखें, अजब भयानक रोग..

राम जी मुझे बचायें,

रोग यह दूर भगायें....

*

परदेशी ने कह दिया कुछ सच्चा-कुछ झूठ.

भंग भरोसा हो रहा, जैसे मारी मूठ..

न आपस में टकरायें,

एक रहकर जय पायें...

*

कड़ी परीक्षा ले रही, प्रकृति- सब हों एक.

सकें सीख जापान से, अनुशासन-श्रम नेक..

समर्पण-ज्योति… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on March 31, 2011 at 12:06pm — 3 Comments

भावनात्मक दरारें

माता पिता की ज़ख्मों वाली पीठ,

को न सहलाना,

परिवार की मुस्कुराहटों में,

न मुस्काना,

दोस्तों की खामोशियों में,

चुप रह जाना,

अपनों के दिलों में,

न झाँक पाना,

हमारी मजबूरियां नहीं,

कमजोरियां हैं,

जो अक्सर अपने,

बंधनों के,

एक धागे को,

तोड़ जाती हैं,

भावनात्मक दरारें हैं ये,

नहीं भरो तो,

निशान छोड़ जाती हैं .



किसी शीतल सुबह,

अपनी हथेलियों में,

ओस की बूँदें भरो,

अपने अहं को कर किनारे,

उसमे मिलाओ,

प्रेम… Continue

Added by neeraj tripathi on March 26, 2011 at 3:25pm — 15 Comments

मुक्तिका: गलत मुहरा ----- संजीव 'सलिल'

मुक्तिका:                                                                          



गलत मुहरा



संजीव 'सलिल'

*

सही चहरा.

गलत मुहरा..



सिन्धु उथला,

गगन गहरा..



साधुओं पर

लगा पहरा..



राजनय का

चरित दुहरा..



नर्मदा जल

हहर-घहरा..



हौसलों की

ध्वजा फहरा..



चमन सूखा

हरा सहरा..



ढला सूरज

चढ़ा कुहरा..



पुलिसवाला

मूक-बहरा..



बहे पत्थर…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on March 21, 2011 at 6:40pm — 7 Comments

कविता :- सच कहना तुम भूली मुझको ?

कविता :- सच कहना तुम भूली मुझको ?…

Continue

Added by Abhinav Arun on March 20, 2011 at 6:30pm — 18 Comments

हर उर भरे रंग हर होली कर संग

हर उर भरे रंग हर होली कर संग 

(मधु गीति सं. १७३३, दि. २० मार्च, २०११) 

 

हर उर भरे रंग, हर होली कर संग;…

Continue

Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 20, 2011 at 1:49pm — 2 Comments

नवगीत: तुमने खेली हमसे होली ----संजीव 'सलिल'

नवगीत:



तुमने खेली हमसे होली



संजीव 'सलिल'

*

तुमने खेली हमसे होली

अब हम खेलें.

अब तक झेला बहुत

न अब आगे हम झेलें...

*

सौ सुनार की होती रही सुनें सच नेता.

अब बारी जनता की जो दण्डित कर देता..

पकड़ा गया कलेक्टर तो क्यों उसे छुडाया-

आम आदमी का संकट क्यों नजर न आया?

सत्ता जिसकी संकट में

हम उसे ढकेलें...

*

हिरनकशिपु तुम, जन प्रहलाद, होलिका अफसर.

मिले शहादत तुमको अब आया है अवसर.

जनमत का हरि क्यों न मार… Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on March 19, 2011 at 11:52pm — 2 Comments

ये "कैसी"... 'होली'...???

 

'हंसी-ठिठोली', मस्तियों की "टोली"... करें 'अठखेली', बन "हमजोली"...

हर 'साल' की तरह... लो फिर आई "होली"... ... ...…

Continue

Added by Julie on March 19, 2011 at 6:30pm — 9 Comments

ऐसे खेलो फाग

ऐसे खेलो फाग, राग -रंग मन में जागे.
नफ़रत रंग से यूँ धुल जाए, बस अपनापन लागे.
बस अपनापन लागे,यही होली का रंग है.
इसे खेलने का सबका,पर अपना -अपना ढंग है.
कोई दूर से भर पिचकारी,गोरा अंग भिंगाये.
कोई गोरे गाल पे मल-मल,लाल गुलाल लगाए.
दूर -दूर से देखके जिनको, थक गए थे ये  नैन.
वही खड़ी थी पास हमारे, होली की थी रैन.
होली की थी रैन, फ़ायदा झट से उठाया.
उनके रुखसारों पे, धीरे -धीरे रंग…
Continue

Added by satish mapatpuri on March 19, 2011 at 2:46pm — 5 Comments

कविता : - रंगों की बूँदें

 

कविता : - रंगों की बूँदें

लाल लाल हरी…

Continue

Added by Abhinav Arun on March 19, 2011 at 1:30pm — 3 Comments

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

लेकर दोस्तों की तकरार ,

संग में चुनावी तेवहार ,

देखो दोस्त करे लड़ाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

आगे पार्नव  की पुकार  ,

फिर दीदी का बेवहार ,

करे कभी मिलन कभी जुदाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

कांग्रेस में मची हाहाकार ,

लाल भी थोड़ा परेशान ,

हिंदी भासियो की यहा नहीं कोई सुनवाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

सबका डंका बाजे यार ,

जीतेगा होगी जय जयकार ,

जित के लिए हैं जरुरी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments

holi hai

होली की मुबारकबाद के साथ आप के लिए चन्द दोहे
 
सहजन फूला साजना,महुआ हुआ कलाल
मौसम दारु बेचता,हाल हुआ बेहाल
 
गेंहू गाभिन गाय सा,चना खनकते दाम
महुआ मादक हो गया,बौराया है आम
 
गौरी है कचनार सी,नैनों भरा उजास
पिया बसंती हो गए,आया है मधुमास
 
फगुनाया मौसम हुआ,अलसाया सा गात
चौराहे होने लगी तेरी मेरी बात
 
सतरंगी है…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 18, 2011 at 12:42pm — 4 Comments

इन अकेली वादियों में चले आये

इन अकेली वादियों में चले आये

(मधु गीति सं. १७१७, दि. १० मार्च, २०११)

 

इन अकेली वादियों में चले आये, भरा सुर आवादियों का छोड़ आये;

गान तुम निस्तब्धता का सुन हो पाये, तान नीरवता की तुम खोये सिहाये.…

Continue

Added by GOPAL BAGHEL 'MADHU' on March 17, 2011 at 1:06pm — 2 Comments

ग़ज़ल - उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में

OBO पर आकर बहुत अच्छा लगा. यहाँ पर एक से एक उस्ताद शायर और कवियों की रचनाएं पढ़कर आनंद आ गया.

अपनी एक नयी ग़ज़ल पेश कर रहा हूँ, आप सब से मार्गदर्शन की आशा है.



अँधेरा है नुमायाँ बस्तियों में

उजाले कैद हैं कुछ मुट्ठियों में



ये पीकर तेल भी, जलते नहीं हैं…

Continue

Added by Saahil on March 16, 2011 at 8:07pm — 11 Comments

ग़ज़ल :- कहीं कोई कमीं है

ग़ज़ल :- कहीं कोई कमीं…

Continue

Added by Abhinav Arun on March 13, 2011 at 1:30pm — 6 Comments

यूँ हुआ क्यूँ कर

 
ज़िक्र बदरंग हर हुआ क्यूँ कर
हर ख़ुशी के लिए दुआ क्यूँ कर
 
नाव कागज़ की खूब तैरे है 
आदमी इस तरह  हुआ क्यूँ कर
 
आज तक धडकनों में तूफां हैं 
आप ने इस क़दर छुआ क्यूँ कर
 
लोग चुपचाप क़त्ल देखे है
कौन पूछे कि ये हुआ क्यूँ कर
 
या कि राजा है या कि रंक यहाँ 
ज़िन्दगी  इस क़दर जुआ क्यूँ कर
 
मैंने रस्ते बनाये आप…
Continue

Added by ASHVANI KUMAR SHARMA on March 11, 2011 at 12:00am — 6 Comments

ग़ज़ल : हर अँधेरा ठगा नहीं करता

हर अँधेरा ठगा नहीं करता

हर उजाला वफा नहीं करता

 

देख बच्चा भी ले ग्रहण में तो

सूर्य उसपर दया नहीं करता

 

चाँद सूरज का मैल भी ना हो

फिर भी तम से दगा नहीं करता

 

बावफा है जो देश खाता है

बेवफा है जो क्या नहीं करता

 

गल रही कोढ़ से सियासत है

कोइ अब भी दवा नहीं करता

 

प्यार खींचे इसे समंदर का

नीर यूँ ही बहा नहीं करता

 

झूठ साबित हुई कहावत ये

श्वान को घी पचा नहीं…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 8, 2011 at 11:30pm — 6 Comments

'औरत'... "आज"...!!

 

(("महिला-दिवस" पर महिलाओं को 'समर्पित'...))

----…

Continue

Added by Julie on March 8, 2011 at 8:38pm — 9 Comments

मैं और आगे बढ़ते जाती हूँ

दिन-प्रतिदिन स्वयं में ही ध्वस्त हो

विच्छेद हो कण-कण में बिखर जाती हूँ

आहत मन,थका तन समेटे दुःसाध्यता से…

Continue

Added by Venus on March 8, 2011 at 5:30pm — 3 Comments

महिला दिवस पर विशेष

सृष्टि की अनमोल कृति
कभी दुलारती मां बन जाती
कभी बहन बन स्नेह जताती
बेटी बन जब पिया घर जाती
आँसू की धारा बह जाती
कभी पत्नी बन प्यार लुटाती
बहु बन घर को स्वर्ग बनाती
नारी तेरे बहुविध रूपों से
यह संसार चमन है
महिला दिवस पर हर नारी को बारम्बार नमन है
दुष्यंत...

Added by दुष्यंत सेवक on March 8, 2011 at 12:00pm — 5 Comments

वक़्त कुछ बहका है ऐसे

कल ही था कि जब छिपाकर, फेंक देते थे हम दातुन,

नीम क़ी कड़वी तबीयत, अब दवाई हो गयी है;

कल ही था जब जेठ क़ी, दुपहरी में हम गुल खिलाते,

गर्मियों क़ी दोपहर, अब बेईमानी हो गयी है;

आमों क़ी वे अम्बियाँ, थे हम कल जिनको चुराते,

बिकती हैं बाज़ार में वो, मेहरबानी हो गयीं हैं;

और ईखों की बदौलत, राब थे हम कल बनाते,

ताज़े गुड़ की भेलियाँ अब इक कहानी हो गयीं हैं.



वक़्त कुछ बदला है ऐसे,

जैसे फ़िल्मी गीतों में अब, नृत्य के अंदाज़ बदले;



कल तक लिखे जिन खतों… Continue

Added by neeraj tripathi on March 7, 2011 at 5:48pm — 12 Comments

Featured Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service