For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr.Prachi Singh's Blog – March 2016 Archive (9)

हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है? ....ग़ज़ल// डॉ. प्राची

राज़ हर दिल में छुपाने का भला क्या अर्थ है ?

गैर पर हासिल लुटाने का भला क्या अर्थ है ?



हो बहुत विद्वान तुम, पर ये न समझोगे कभी

हार कर भी जीत जाने का भला क्या अर्थ है ?



प्यार में तकरार होना कर लिया मंज़ूर, पर

अजनबी सा पेश आने का भला क्या अर्थ है ?



देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,

इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?



सच कहो जब खिलखिलाए एक अरसा हो गया,

जश्न खुशियों का मनाने का भला क्या अर्थ है ?



जम चुके… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 30, 2016 at 11:32am — 6 Comments

भ्रम भुला दो तुम ज़रा...ग़ज़ल// डॉ. प्राची

2122,2122,2122,212



ताज है या एक सूली ये बता दो तुम ज़रा।

इश्क के हर राज़ से पर्दा उठा दो तुम ज़रा।



होश में हूँ अब तलक इस बात पर हैराँ हो क्यों?

इश्क है गर नीँद तो मुझको सुला दो तुम ज़रा।



फूल की हर सेज पर तो चल चुके अब तक बहुत,

है चुभन गर इश्क तो, काँटे बिछा दो तुम ज़रा।



मेरी हस्ती आज भी मुझमें बची ज़िंदा कहीं,

इश्क है मिटना अगर, मुझको मिटा दो तुम ज़रा।



मेरी इन वीरानियों में चित्र कोई बन सके,

ख्वाब कुछ रंगीन पलकों पर सजा दो… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 28, 2016 at 1:26pm — 6 Comments

होली मनाना आपका.....ग़ज़ल // डॉ. प्राची

है अदा या फिर सितम होली मनाना आपका।

रात के बारह बजे जी भर सताना आपका।



रंग ले आना छिपाकर नित नई तरकीब से

हाय! चालों में उलझ हल्ला मचाना आपका।



टैग तय कर टोलियों में, बालटी के ड्रम लिए

क्या गज़ब अंदाज़ है, टोली में जाना आपका।



जीन्स टी-शर्टों की कतरन काट करना चीथड़े

बन लफंडर साथ फिर ऊधम मचाना आपका।



हम भला कोरे रहें ये आपको मंज़ूर कब

पर कहो अच्छा है क्या हमको भिगाना आपका?



बन के बन्दर लौटकर दर्पण में खुद को देखकर

साल के… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 23, 2016 at 3:00pm — 8 Comments

होली पर एक प्रेम गीत....//डॉ. प्राची

माही तेरा रंग गुलाबी, सब रंगो में सबसे से गहरा



रंग भरी ले कर पिचकारी

क्यों करता नटखट अठखेली,

हाय! मेरी चूनर रंग डाली

चुहल करे हर एक सहेली,

पायल की रुनझुन में गुपचुप, मगर लाज का गूँजा पहरा।



इस अबीर का रंग है पक्का

लग जाए फिर ये ना छूटे,

बंधन ऐसा प्रेमपाश का

जुड़ जाए फिर ये ना टूटे,

शब्द-शब्द अंतर से उतरा, पर आँखों में आ कर ठहरा।



माही के रंगो में सोनी

सोनी के रंग रंगा माही,

ढले एक दूजे के ढंग में

जन्मों के जैसे… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 21, 2016 at 8:27pm — 2 Comments

हँसी दो चार दिन की है...(ग़ज़ल) //डॉ. प्राची

1222.1222.1222.1222



हैं बस दो-चार दिन आँसू, हँसी दो-चार दिन की है।

सँजोयें क्या भला, जब ज़िन्दगी दो-चार दिन की है?



भले हो काँस्य या कञ्चन ये कारागार टूटेगा

यहाँ पर श्वास केवल बंदिनी दो-चार दिन की है।



अँधेरी रात से लड़ने को इक दीपक सहेजें खुद

मिली जो रहमतों की रौशनी, दो-चार दिन की है।



पिये हर घूँट में नदिया, वही लहरों में इतराए

समंदर की भला कब तिश्नगी दो-चार दिन की है?



मेरी आँखों में गर देखो, तो पत्थर दिल पिघल जाए

मुझे… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 15, 2016 at 12:41pm — 8 Comments

उसे ज़िन्दगी की वो ताल दे (ग़ज़ल)...//डॉ.प्राची

11212 ,11212 ,11212 ,11212



हो भले कठिन मेरी हर डगर, मुझे चाहे कोई भी हाल दे।

मेरा हर कदम यूँ सधा पड़े, कि जहान जिसकी मिसाल दे।



न किसी किताब के प्रश्न हों, न जवाब उनकेे कहीं मिलें

मेरी नज़्र ही हो जवाब हर, तू उसे ज़रा वो सवाल दे।



वो घुला है मुझमे कुछ इस कदर, कि न हो सके कोई वापसी

मेरा चीर दिल, मेरे होश ले, मेरी जान चाहे निकाल दे।



मैं चलूँ चले, मैं थमूँ थमे, जो हँसू हँसे, मेरे साथ ही

मेरा प्यार छू ले हर इक ज़हन, मेरी शख्सियत में कमाल… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 10, 2016 at 7:46am — 6 Comments

खुला आकाश तेरा है ..... (विश्व महिला दिवस पर) //डॉ. प्राची

ये माना रात गहरी है, सुनहरा पर सवेरा है।

सलाखें तोड़ दे बुलबुल, खुला आकाश तेरा है।



तुझे जो रोकती है वो

हर इक ज़ंज़ीर झूठी है,

ज़रा झंझोड़ हर बंधन,

कहाँ तकदीर रूठी है ?

उड़ानों पर तेरा हक़ है, ये पिंजर कब बसेरा है?

सलाखें तोड़.....



ज़माने के तराजू पर

न अपने पंख अब तू तोल,

'खुले अम्बर' की परिभाषा

जो सच समझे, वही तू बोल।

ये तेरा चित्र है जिसका, तेरा दिल ही चितेरा है।

सलाखें तोड़.....



तुझे छूना है चन्दा को

तुझे… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 7, 2016 at 9:53pm — 11 Comments

इतनी बड़ी भी ख्वाहिशें अच्छी नहीं होतीं (ग़ज़ल)......डॉ. प्राची

2212,2212,2212,22



अपनों के गम पर आतिशें अच्छी नहीं होतीं।

यूँ पीठ पीछे साजिशें अच्छी नहीं होतीं।



घर-बार रिश्तेदार सब हों दाँव पर, जिसमे

इतनी बड़ी भी ख्वाहिशें अच्छी नहीं होतीं।



कुछ बाँट पाओ बोझ तो साथी को आए चैन

दिन रात बस फरमाइशें अच्छी नहीं होतीं।



गर नीँव ही हो खोखली रिश्ते बचें क्या ख़ाक

मन में सुलगती रंज़िशें अच्छी नहीं होतीं।



सागर पुकारे प्यास रख, तो दौड़ती है वो

बहती नदी पर बंदिशें अच्छी नहीं… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 3, 2016 at 12:36pm — 9 Comments

ऐसे हालात का इल्ज़ाम मुझे मत देना। (ग़ज़ल)....डॉ. प्राची

2122.1122.1122.22



तुम सजा सा कोई ईनाम मुझे मत देना।

प्यार का रुसवा सा अंजाम मुझे मत देना।



तुम पुकारो भी नहीं, और न कभी मैं आऊँ

ऐसे हालात का इल्ज़ाम मुझे मत देना।



अपना साया ही डराए मुझे तन्हाई में

इतनी सूनी भी कोई शाम मुझे मत देना।



तुम अगर ज़ह्र भी दो, हँस के उसे पी लूँ, पर

बेवफाई का गम-ए-जाम मुझे मत देना।



तेरी साँसों से जुड़ी हैं मेरी साँसे हमदम

रुखसती का कभी पैगाम मुझे मत देना।



मेरी पहचान बना दी है तमाशा… Continue

Added by Dr.Prachi Singh on March 1, 2016 at 6:02pm — 7 Comments

Monthly Archives

2022

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
15 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service