221, 2121, 1221, 212
दैरो हरम से दूर वो अंजान ही तो है ।
होंगी ही उससे गल्तियां इंसान ही तो है ।।
हमको तबाह करके तुझे क्या मिलेगा अब ।
आखिर हमारे पास क्या, ईमान ही तो है ।।
खुलकर जम्हूरियत ने ये अखबार से कहा ।
सारा फसाद आपका उन्वान ही तो है ।।
खोने लगा है शह्र का अम्नो सुकून अब ।
इंसां सियासतों से परेशान ही तो है ।।
उसने तुम्हें हिजाब में रक्खा है रात दिन ।
वह भी तुम्हारे हुस्न का दरबान ही तो है…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 22, 2019 at 4:39pm — 2 Comments
जब मुलाकात में सौ बार बहाना आया ।।
कैसे कह दूँ मैं तुझे प्यार निभाना आया ।।
क़ातिले इश्क़ का इल्ज़ाम लगा जब तुम पर ।
पैरवी करने यहां सारा ज़माना आया ।।
आज की शाम तेरी बज़्म में हंगामा है।
मुद्दतों बाद जो मौसम ये सुहाना आया ।।…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 19, 2019 at 1:09am — No Comments
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दरमियाँ हुस्न पर्दा दारी है ।
कैसे कह दूँ के बेक़रारी है ।।
ऐ कबूतर जरा सँभल के उड़ ।
देखता अब तुझे शिकारी है ।।
कौन कहता बहुत ख़फ़ा हैं वो ।
आना जाना तो उनका जारी है ।।
सब बताता है नूर चेहरे का ।
रात उसने कहाँ गुजारी है ।।
कैसे कर लूं …
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 10, 2019 at 9:00am — 5 Comments
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यह ख़बर इज़्तिराब की सी है ।
बात जब इंकलाब की सी है ।।
वह बगावत पे आज उतरेगा ।
उसकी आदत नवाब की सी है ।।
हम सफ़र ढूढना बहुत मुश्किल ।
सोच जब इंतखाब की सी है ।।
देखकर जिसको बेख़ुदी में हूँ ।
उसकी फ़ितरत शराब की सी है ।।
आ रहे रात में सनम शायद ।
रोशनी आफ़ताब की सी है ।।
रोज पढ़ता हूँ उसको शिद्द्त से ।
वो जो मेरी किताब की सी है…
Added by Naveen Mani Tripathi on March 6, 2019 at 6:55pm — No Comments
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खूब सूरत गुनाह कर बैठे ।
हुस्न पर हम निगाह कर बैठे ।।
आप गुजरे गली से जब उनके ।
सारी बस्ती तबाह कर बैठे ।।
कुछ असर हो गया जमाने का ।
ज़ुल्फ़ वो भी सियाह कर बैठे ।।
देख कर जो गए थे गुलशन को ।
आज फूलों की चाह कर बैठे ।।
जख्म दिल का अभी हरा है क्या ।
आप फिर क्यों कराह कर बैठे ।।
किस तरह से जलाएं मेरा घर ।
लोग मुझसे सलाह कर बैठे ।।
लोग नफरत की इस सियासत…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on March 4, 2019 at 1:00pm — 11 Comments
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