For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr Ajay Kumar Sharma's Blog – March 2012 Archive (8)

क्यों हम लौट चलें !

क्यों हम लौट चलें !

कि चाहत देख कर हमारी  ज़माना जलता है ,

कि घर बहार हर दम कोई फ़साना  पलता है .

निगाहें घूम जाती हैं, तेरे साथ आने से

दीवारें सुन ही लेती हैं हमारे गुनगुनाने से

क्यों हम लौट चलें !

ये अंकुर है जो फूटा है, नहीं शुरुआत ये जाना

ये बढ़ते कदम तो बस एक परवाज़ है जाना .

ये दीपक है जो लड़ता है , तूफां में अँधेरे में,

ये जुगनू चमकेगा फिर से, अंधियारे घनेरे  में

क्यों हम लौट चलें !

ये मंजिल बन चुकी है…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 31, 2012 at 4:54pm — 1 Comment

गीतों से दिल की बातें, कैसे तुम्हें सुनाऊं ..

गीतों से दिल की बातें, कैसे तुम्हें सुनाऊं  .

बेबस नयन की बोली, कैसे तुम्हें दिखाऊ.

दिल कुमुदनी सा देखो, प्रियतम मेरी तुम्हारा ,

चन्द्र चन्द्रिका से दिल की, कैसे इसे खिलाऊं .

दर्पण से दिल में जो भी ,संजोये तुमनें सपने ,

दर्पण में अक्स दिल का , कैसे तुम्हें दिखाऊ.

काज़ल ने है बचाया, नज़र से ज़माने की ,

वो ख्वाब तुम्हारे हैं, ज़माने से मैं छिपाऊं .

ऋतु बसंत पतझड़ पर, छा गयी गुलिस्ताँ में,

मैं खिल उठा…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 22, 2012 at 4:36pm — 8 Comments

चतुष्पथ पर...

मृगनयनी नवयौवना

लावण्य क्या कहना !

संकोच व लज्जा

बनी सुसज्जा.

सप्त-अंगुल भर

कटी प्रदेश कमाल.

ओ गजगामिनी

तेरी मदमस्त चाल.

अर्ध- पारदर्शी वस्त्र में कैद

अंग -प्रत्यंग में

लाती भूचाल,

तिर्यक दृष्टीपात

करती हृदय अघात

नारी सौंदर्य .

निहारते चक्षु.

अट्टालिकाओं से

चतुष्पथ पर...

 

 

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा ( सौंदर्य रस पूर्ण  बिम्ब )

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 15, 2012 at 11:45am — 7 Comments

तन्हाई बोली .. ! !

.

मैं

और

तन्हाई

लड़ते रहते हैं

कभी बिखरते

कभी संवरते

रहते हैं.

ओ तन्हाई !

तुम क्यों

दुःख -पीड़ा को

रखती हो अपने साथ

फिरती हो यहाँ वहां

लिये हाथों में हाथ .

तन्हाई मुस्काई

कुछ इठलाई

बोली ...

बचपन की यादें

मोहब्बत के बातें

कहानी कहती नानी

रिमझिम बरसता पानी

पहली मुलाकात

महबूब की बात

उनका इतराना

रूठना मनाना

सब के…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 14, 2012 at 11:57am — 6 Comments

आगाज़...

मैनें कहा

कुछ और नहीं

सिर्फ वो ही

जो युगों से

सहा था...

सहा था फूलों नें

ख्वाबों में लहराते

सावन के झूलों नें

उन शब्दों नें

जो आ न पाए

लबों पर तुम्हारे ही

ज़ुल्मों से ...

सहा था उस प्यासे नें...

जो दम तोड़ गया

समंदर में रह कर

पर छू न पाया

पानी को जुबान से कभी.

सहा था उन पलकों नें...

जो युगों से भरी हैं

अनमोल मोतियों से

आतुर हैं

छलकने को

पर…

Continue

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 12, 2012 at 11:30pm — 6 Comments

मेरे कुछ हाइकू...( 5 - 7- 5 )

1.

प्रकृति प्यारी 

रुई बिछी धरती

ये बर्फ़बारी .

२.

मुखौटे छाए

जनमानस लुटा

चुनाव आये .

३.

उड़ते गिद्ध

फिर मारा आदमी

लो आया युद्ध .

४.

ये दुपहरी 

अलसाया शरीर

जेठ का माह .

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 2, 2012 at 5:26pm — 6 Comments

कन्या भ्रूण हत्या ..हाइकू ( ५-७-५ )

शोख सी परी .

ज्यों बनी, खून सनी.

कोख में मरी.

 

( शोख = चंचल ; कोख = माँ का गर्भाशय / Uterus ) 

 

 रचयिता  : डा अजय कुमार शर्मा

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 1, 2012 at 4:08pm — 5 Comments

सीलन...

हर सुंदर

प्रभात वेला में

प्रतिदिन

मैं पाता हूँ

स्वयं को

सीलन भरी लकड़ी सा

जो चाहती है

सुलगना

और...

सुलगना भी

इस तरह की

उसमें होम हो जाए

सीलन .

सीलन अहम् की

बहुत सारे 

भ्रम की

मेरी हमसफ़र !

आओ ...

पवित्र अग्नि में

प्यार की .

भस्म कर दें

सीलन

हृदयों के

संसार की .

.

.

करोगी स्वीकार ?

मेरा निमंत्रण !!

Added by Dr Ajay Kumar Sharma on March 1, 2012 at 3:00pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service